रामनगर(एस पी न्यूज़)। उत्तराखंड में चारधाम यात्रा 2025 के लिए तैयारियां जोरों पर हैं और यात्रियों को एक शानदार अनुभव देने के लिए धार्मिक आयोजन और तिथियों की घोषणा की जा रही है। आगामी दो फरवरी को बसंत पंचमी के दिन टिहरी राज दरबार में एक भव्य समारोह आयोजित किया जाएगा, जिसमें बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि की घोषणा की जाएगी। इस आयोजन के दौरान, स्थानीय पारंपरिक रीतियों और पूजा अर्चना के बाद, भगवान बदरीनाथ के कपाट खुलने की तिथि का ऐलान किया जाएगा। टिहरी राज दरबार में होने वाली इस धार्मिक घटना के साथ ही, इस दिन चांदी के पवित्र तेल कलश गाडू घड़ा यात्रा की तिथि भी घोषित की जाएगी, जो यात्रा के शुद्ध और धार्मिक महत्व को दर्शाती है।
इस महापर्व के लिए तैयारियां बड़े पैमाने पर चल रही हैं। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने जानकारी दी कि बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि को लेकर यह आयोजन नरेंद्र नगर राजदरबार में 2 फरवरी को सुबह 10रू30 बजे से शुरू होगा। विधिपूर्वक पूजा अर्चना के साथ-साथ पंचांग गणना की जाएगी और उसके बाद ही कपाट खोलने की तिथि का ऐलान किया जाएगा। इस आयोजन का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है, क्योंकि यह यात्रा के महत्व को दर्शाता है और श्रद्धालुओं के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव बनता है।
चारधाम यात्रा की शुरुआत के साथ ही उत्तराखंड में धार्मिक उल्लास का माहौल बन जाता है। गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खोलने की तिथि 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन तय की जाएगी, जो परंपरागत रूप से हर साल इस दिन होती है। इस दिन को लेकर श्री गंगोत्री मंदिर समिति और श्री यमुनोत्री मंदिर समिति ने भी कार्यक्रम की घोषणा की है। गंगोत्री धाम के कपाट खुलने की घोषणा हिंदू नववर्ष के मौके पर की जाएगी और यमुनोत्री धाम के कपाट खोलने का आयोजन यमुनोत्री जयंती के अवसर पर किया जाएगा। इन आयोजनों की तैयारी में पूजा अर्चना, देव डोलियों का रथ पर यात्रा और श्रद्धालुओं के स्वागत के कार्यक्रम भी शामिल हैं, जो यात्रा को और भी विशेष बनाते हैं।
उत्तराखंड चारधाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं का विशाल सैलाब हर साल इन धार्मिक स्थलों की ओर बढ़ता है, और राज्य सरकार और मंदिर समितियां हर बार यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए हर संभव कदम उठाती हैं। केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि भी इस वर्ष शिवरात्रि के दिन, 26 फरवरी को तय की जाएगी, जिसमें ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ में पंचांग गणना के बाद रावल और धर्माधिकारी वेदपाठी तिथि का निर्धारण करेंगे। इन धार्मिक आयोजनों में स्थानीय लोग और मंदिर समितियां पूरी तरह से समर्पित होकर कार्य करती हैं ताकि यात्रियों के लिए हर चीज सही तरीके से हो सके और उनके धार्मिक अनुभव को सर्वाेत्तम बनाया जा सके।
इसके अलावा, उत्तराखंड में द्वितीय केदार मद्महेश्वर और तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट खोलने की तिथियां भी इस साल विशेष होंगी। इन दोनों केदारों के कपाट खोलने की तिथि बैसाखी के दिन तय की जाएगी। इस बार की चारधाम यात्रा श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखेगी क्योंकि इसमें कई नई परंपराओं और कार्यक्रमों का समावेश किया जाएगा। राज्य सरकार और धार्मिक संस्थाओं का उद्देश्य है कि यात्रा को श्रद्धालुओं के लिए आसान और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से समृद्ध बनाया जाए। उत्तराखंड के चारों धामों की यात्रा का आरंभ एक ऐतिहासिक घटना बन जाती है, जिसमें हर श्रद्धालु अपनी आस्थाओं और विश्वास के साथ शिरकत करता है। इस साल भी यात्रा को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा होगा, जो उत्तराखंड की धार्मिक आस्थाओं को और भी मजबूत करेगा।