मनगर। मालधन क्षेत्र के गोपालनगर में खुली शराब की दुकान के खिलाफ जनता का आक्रोश फूट पड़ा है। क्षेत्रीय संगठनों और नागरिकों ने इस दुकान को तुरंत बंद करने, क्षेत्र में नशे के अवैध कारोबार को जड़ से समाप्त करने और बिगड़ती स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने की मांग को लेकर रामनगर विधायक और एसडीएम को सामूहिक रूप से ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि यदि आगामी 2 मई तक इन मांगों पर अमल नहीं हुआ, तो 3 मई से गोपालनगर की इस शराब दुकान के सामने अनिश्चितकालीन धरना और चक्का जाम शुरू कर दिया जाएगा। इस चेतावनी के साथ क्षेत्र में जनआंदोलन की नींव पड़ चुकी है, और यह जन असंतोष अब धीरे-धीरे ज्वालामुखी की शक्ल लेता नजर आ रहा है। जनता का कहना है कि यह लड़ाई केवल शराब की दुकान के खिलाफ नहीं, बल्कि सामाजिक पतन और स्वास्थ्य सेवाओं की अनदेखी के खिलाफ है।
आंदोलनकारी संगठनों ने अपने ज्ञापन में कहा कि अनुसूचित जाति बहुल मालधन क्षेत्र नशाखोरी के कारण सामाजिक विनाश की कगार पर है। सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि स्कूली छात्र, नवयुवक, यहां तक कि बुजुर्ग तक इस नशे की गिरफ्त में आते जा रहे हैं। सामाजिक ढांचे को तोड़ते इस संकट का केंद्र गोपालनगर नंबर 6 में खोली गई शराब की दुकान बन चुकी है, जहां से नाबालिग तक शराब खरीदते देखे जा रहे हैं। यह स्थिति न केवल बच्चों के भविष्य के लिए खतरनाक है, बल्कि गांव के पूरे सामाजिक वातावरण को भी दूषित कर रही है। स्थानीय निवासी इसे एक सुनियोजित साजिश मानते हैं, जिसके ज़रिए समाज को बर्बादी की ओर धकेला जा रहा है। महिलाओं में इसको लेकर भारी आक्रोश है, जो अब जनआंदोलन का रूप ले रहा है।
ज्ञापन में यह आरोप भी स्पष्ट रूप से लगाया गया कि जिस शराब की दुकान को गोपालनगर में खोला गया है, वह मूलतः हाथी डगर क्षेत्र के लिए स्वीकृत थी। लेकिन लाभ के लालच में दुकान को जानबूझकर स्थानांतरित कर दिया गया, जिससे गोपालनगर के निवासियों को जबरदस्ती इसका दुष्प्रभाव झेलना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह के निर्णयों से साफ हो जाता है कि प्रशासन जनता की चिंता नहीं, बल्कि लाभ कमाने वाली कंपनियों के हितों की रक्षा कर रहा है। ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि मुख्यमंत्री द्वारा 12 अप्रैल को सभी नई शराब दुकानों को बंद करने का निर्देश दिया गया था, मगर इसके बावजूद गोपालनगर की यह दुकान अब तक चालू है। यह सीधे तौर पर सरकार के आदेश की अवहेलना और जनभावनाओं का अपमान है, जो किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
इसके साथ ही, आंदोलनकारियों ने स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी। मालधन क्षेत्र की लगभग 40 हजार की आबादी एकमात्र सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर निर्भर है, जहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। यहां सर्जन, निश्चेतक, बाल रोग विशेषज्ञ, रेडियोलॉजिस्ट और पैरामेडिकल स्टाफ तक उपलब्ध नहीं है। वर्षों से एक्स-रे मशीन धूल खा रही है, अल्ट्रासाउंड जैसी अहम सुविधा नहीं है और 24 घंटे आपातकालीन सेवाएं भी अस्तित्व में नहीं हैं। वक्ताओं ने प्रशासन से पूछा कि एक तरफ सरकार स्वास्थ्य सुविधाएं देने में नाकाम है, और दूसरी ओर शराब की दुकानों के माध्यम से लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। यह दोहरा मापदंड न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा है।
इस विरोध प्रदर्शन और ज्ञापन अभियान में क्षेत्र की कई प्रमुख सामाजिक संस्थाएं और नागरिक संगठनों ने सहभागिता की। इसमें महिला एकता मंच की ललिता रावत, सरस्वती जोशी, कौशल्या, देबी, रंजनी, पूजा, तुलसी जोशी, हेमा, ग्राम प्रधान पुष्पा देवी, समाजवादी लोक मंच के गिरिश आर्य, जमन आर्य, किसान संघर्ष समिति के ललित उप्रेती, महेश जोशी, शंकर लाल आर्य, रामबहादुर, उत्तराखंड जन मंच से महेंद्र कुमार आर्य और जय प्रकाश जैसे दर्जनों लोगों ने भाग लिया। इन सभी ने एकजुट स्वर में प्रशासन को चेताया कि यदि जनता की आवाज को अनसुना किया गया, तो यह आंदोलन और अधिक व्यापक और उग्र रूप ले लेगा। यह लड़ाई अब केवल नशे के खिलाफ नहीं, बल्कि व्यवस्था की निष्क्रियता और जनस्वास्थ्य के लिए भी है।