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गुज्जरों का जंगल से सफाया, वन विभाग ने 22 हेक्टेयर जमीन से हटाया कब्जा

22 हेक्टेयर जंगल जमीन पर चला बुलडोजर, डीएफओ प्रकाश चंद्र आर्य की अगुवाई में वन विभाग की सख्त कार्रवाई से इलाके में मचा हड़कंप

रामनगर। फैलते अतिक्रमण को लेकर तराई पश्चिमी वन प्रभाग के आम पोखरा रेंज में वन विभाग ने जिस तरह से निर्णायक कार्रवाई को अंजाम दिया, उससे क्षेत्र में हलचल मच गई है। 22 मई को पश्चिमी शिवनाथपुर बीट में डीएफओ प्रकाश चंद्र आर्य के निर्देश पर वन विभाग की विशेष टीम ने करीब 22 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैली अवैध कब्जेदारी को जड़ से उखाड़ फेंका। यह जमीन लंबे समय से गुज्जर परिवारों द्वारा कब्जाई गई थी, जहां अस्थायी डेरों के साथ पक्की बसावट भी शुरू हो चुकी थी। लगातार मिल रही शिकायतों के बाद विभाग ने इस अतिक्रमण पर रोक लगाने का दृढ़ निश्चय लिया और फिर पूरी रणनीति के साथ संयुक्त टीम को मौके पर भेजा गया। पुलिस बल और राजस्व विभाग की मौजूदगी में कार्यवाही को अंजाम दिया गया ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके। इस दौरान किसी प्रकार का विरोध तो नहीं हुआ, लेकिन अधिकारी पूरी तैयारियों के साथ पहुंचे थे, जिससे प्रशासनिक शक्ति का असर स्पष्ट दिखाई दिया।

वन भूमि को धीरे-धीरे निगलते जा रहे अवैध कब्जों पर कड़ी कार्रवाई कर वन विभाग ने न केवल सरकारी जमीन को मुक्त कराया बल्कि एक स्पष्ट संदेश भी दे डाला कि अब जंगलों को निगलने की कोशिश करने वालों के लिए कोई जगह नहीं बची है। डीएफओ प्रकाश चंद्र आर्य ने स्पष्ट रूप से दोहराया कि जंगल की रक्षा सर्वाेच्च प्राथमिकता है और किसी भी सूरत में अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस अभियान में आम पोखरा रेंज के कर्मचारियों ने पूरी मुस्तैदी के साथ भूमिका निभाई। साथ ही पुलिस और राजस्व विभाग की उपस्थिति ने इस कार्रवाई को मजबूती प्रदान की। वर्षों से शिवनाथपुर बीट में फैलते जा रहे अतिक्रमण के खिलाफ यह पहली बड़ी निर्णायक कार्रवाई थी, जो आने वाले समय में अन्य अतिक्रमणकारियों के लिए चेतावनी साबित हो सकती है।

इलाके में इस कार्रवाई की खबर जंगल में आग की तरह फैल गई और स्थानीय स्तर पर कई प्रकार की चर्चाएं शुरू हो गईं। गुज्जर समुदाय के जिन परिवारों ने इस वन भूमि को अपना स्थायी ठिकाना बना लिया था, उन्हें अब विभाग की सख्ती का सामना करना पड़ा है। हालांकि कार्रवाई के दौरान माहौल शांत रहा, लेकिन अधिकारी इस बात को लेकर पूरी तरह आश्वस्त थे कि कोई भी अनहोनी न हो, इसलिए हर स्तर की सुरक्षा और प्लानिंग पहले ही सुनिश्चित की गई थी। पश्चिमी शिवनाथपुर बीट के जिस हिस्से में अतिक्रमण हटाया गया, वह अब पूरी तरह से वन विभाग के कब्जे में आ चुका है और इसे भविष्य में संरक्षित क्षेत्र के रूप में विकसित करने की योजना बनाई जा रही है। विभाग की योजना है कि इस प्रकार की भूमि को जंगल पुनर्निर्माण और हरित क्षेत्र विस्तार के लिए इस्तेमाल किया जाए, जिससे पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी सार्थक परिणाम सामने आ सकें।

वन विभाग की इस मुहिम ने न केवल अवैध कब्जेदारों को बेनकाब किया, बल्कि प्रशासनिक संकल्प शक्ति को भी दिखाया कि अब लचर नीति नहीं बल्कि कड़ा एक्शन ही प्रभावी होगा। यह कार्यवाही इस बात का भी संकेत है कि सरकार अब जंगलों को अवैध निर्माणों और अतिक्रमण से बचाने के लिए जमीन पर उतर चुकी है। डीएफओ प्रकाश चंद्र आर्य के सख्त निर्देश और टीम की तत्परता ने यह सिद्ध कर दिया है कि यदि इच्छा शक्ति हो तो किसी भी चुनौती का समाधान संभव है। अब विभाग की नजर अन्य अतिक्रमित क्षेत्रों पर भी है, और आने वाले दिनों में और भी सख्त कदम उठाए जा सकते हैं। आम पोखरा रेंज में हुई इस कार्रवाई ने यह दिखा दिया कि प्रकृति की गोद में बसे जंगलों को बचाना अब एक मिशन बन चुका है, जिसमें कोई भी बाधा स्वीकार्य नहीं होगी।

डीएफओ प्रकाश चंद्र आर्य ने मीडिया से बातचीत के दौरान स्पष्ट किया कि वन विभाग अब जंगलों की जमीन पर हो रहे किसी भी प्रकार के अवैध कब्जे को कतई सहन नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि वन भूमि पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ विभाग की नीति अब पूरी तरह जीरो टॉलरेंस की है। उन्होंने यह भी बताया कि वन क्षेत्र में किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधि की जानकारी मिलते ही विभाग तुरंत मौके पर पहुंचकर कार्रवाई करेगा। उनके अनुसार, यह सिर्फ एक कार्रवाई नहीं थी बल्कि आने वाले समय के लिए एक सख्त संदेश भी था कि जंगलों को नुकसान पहुंचाने या भूमि पर कब्जा जमाने की कोशिशें अब चलने वाली नहीं हैं। प्रकाश चंद्र आर्य ने यह भी जोड़ा कि इस तरह की कार्यवाहियां आगे भी जारी रहेंगी ताकि जंगल की प्राकृतिक संरचना और जैव विविधता को संरक्षित किया जा सके।

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