रामनगर। उत्तराखंड की पावन धरा पर इस बार होली के रंगों और भक्तिभाव का अनूठा संगम देखने को मिला। गर्जिया माता मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, ढोल-नगाड़ों की गूंज, गुलाल से रंगे भक्तों की टोलियां और यूपी से आए सैकड़ों बाइक सवार होल्यारों का भव्य जुलूसकृसबने इस होली को ऐतिहासिक बना दिया। यूपी के बिलासपुर, रामपुर और आसपास के इलाकों से 300 से अधिक बाइक सवार श्रद्धालु रामनगर के गर्जिया माता मंदिर पहुंचे। भगवा ध्वज लहराते हुए श्रद्धालुओं का यह काफिला जब शहर की सड़कों से गुजरा, तो हर कोई इसे देखने के लिए रुक गया। श्रद्धालुओं ने ‘जय माता दी’ और ‘हर-हर महादेव’ के गगनभेदी जयकारों से पूरे माहौल को भक्तिमय कर दिया।
हर साल की तरह इस बार भी होली के पावन अवसर पर बिलासपुर, रामपुर और यूपी के अन्य जिलों से श्रद्धालु बाइक जुलूस निकालकर गर्जिया माता के दर्शन करने पहुंचे। 100 से अधिक बाइकों का यह भव्य काफिला जब रामनगर के लखनपुर चुंगी, कालाढूंगी रोड और कोसी बैराज से गुजरा, तो पूरे रास्ते पर श्रद्धालु भक्ति और उल्लास में झूमते नजर आए। गर्जिया माता मंदिर पहुंचने से पहले श्रद्धालुओं ने कोसी नदी में स्नान किया और फिर गुलाल उड़ाकर होली का उत्सव मनाया। मंदिर परिसर में पहुंचते ही माहौल और भी भव्य हो गया। ढोल-नगाड़ों की धुन, अबीर-गुलाल की महक और भजन-कीर्तन की गूंज ने श्रद्धालुओं को एक अलग ही आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। श्रद्धालुओं ने कहा कि गर्जिया माता के आशीर्वाद के बिना हमारी होली अधूरी रहती है। यह हमारी वर्षों पुरानी परंपरा है, जिससे हमारी होली और भी शुभ हो जाती है।

मंदिर परिसर में जब श्रद्धालु पहुंचे तो पूरा इलाका भक्तिभाव और रंगों से सराबोर हो चुका था। गुलाल उड़ाते हुए श्रद्धालु माता के दरबार में पहुंचे और घंटियों की गूंज के साथ पूजा-अर्चना की। श्रद्धालुओं की टोली ने ‘रंग बरसे’, ‘होली खेले रघुवीरा’ और अन्य भक्तिगीतों की धुनों पर नृत्य किया। माता के दर्शन के बाद श्रद्धालु हनुमान धाम, छोई पहुंचे, जहां उन्होंने भजन-कीर्तन और पूजा-अर्चना की।
गर्जिया माता मंदिर के दर्शन के बाद श्रद्धालु रामनगर के प्रसिद्ध हनुमान धाम पहुंचे। यहां संगीतमय भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों भक्तों ने हिस्सा लिया। श्रद्धालु ‘राम-राम बोल, शक्ति का संचार हो’ और ‘जय जय हनुमान गोसाईं’ जैसे भजनों पर झूमते नजर आए। श्रद्धालुओं ने कहा कि हम माता गर्जिया और हनुमान धाम में आकर पूरे देश की सुख-समृद्धि और खुशहाली के लिए प्रार्थना करते हैं। गर्जिया माता मंदिर उत्तराखंड के नैनीताल जिले में, रामनगर के पास, कोसी नदी के बीच एक ऊँचे टीले पर स्थित है। यह मंदिर माता पार्वती को समर्पित है और स्थानीय लोग उन्हें ‘गर्जिया देवी’ के नाम से पूजते हैं। मंदिर तक पहुँचने के लिए करीब 90 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। मान्यता है कि यहाँ माँ दुर्गा के वाहन शेर की भयंकर गर्जना सुनाई देती थी, इसी कारण इसे गर्जिया माता मंदिर कहा जाता है। यह मंदिर जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क से मात्र 10 किलोमीटर दूर स्थित है, इसलिए पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का प्रमुख केंद्र बना हुआ है।
उत्तराखंड के विभिन्न पर्वतीय क्षेत्रों में होली का जश्न पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया गया। हल्द्वानी, कालाढूंगी, नैनीताल और रामनगर जैसे इलाकों में रंगों की मस्ती देखते ही बन रही थी। महिलाएं भी उत्साह से सराबोर नजर आईं और उन्होंने एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं दीं। होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं है, बल्कि हमारी संस्कृति, परंपरा और आध्यात्मिकता का भी प्रतीक है। गर्जिया माता मंदिर में इस बार की होली सिर्फ रंगों तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह भक्ति, आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम बन गई। श्रद्धालुओं ने कहा कि हमारी यह यात्रा सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि यह हमारी संस्कृति और परंपरा को जीवंत रखने का प्रयास है। गर्जिया माता के आशीर्वाद से हमारी होली और भी पावन बनती है।
गर्जिया माता मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ और यूपी से आए बाइक सवारों की टोली ने यह साबित कर दिया कि होली सिर्फ एक रंगों का पर्व नहीं, बल्कि यह एक आध्यात्मिक यात्रा भी है। गुलाल, ढोल और भक्ति के रंगों से सराबोर यह उत्सव देखने वालों के लिए किसी दिव्य अनुभूति से कम नहीं था। इस पावन मौके पर भक्तगण श्रद्धा और भक्ति से सराबोर नजर आए और माता से सुख-समृद्धि की कामना की। उत्तराखंड में इस बार की होली ने यह साबित कर दिया कि यह त्योहार सिर्फ आनंद और मस्ती तक सीमित नहीं, बल्कि आस्था और परंपराओं को जीवंत रखने का भी पर्व है।