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गर्जिया देवी मंदिर के टीले को मिलेगी लोहे जैसी सुरक्षा, बरसात के बाद शुरू होगा करोड़ों का निर्माण अभियान

आस्था के केंद्र गर्जिया देवी मंदिर को बाढ़ से बचाने की तैयारी पूरी, 11.93 करोड़ की योजना से टीले को मिलेगा नया जीवन और मजबूती।

रामनगर। आस्था का प्रतीक बना ऐतिहासिक गर्जिया देवी मंदिर अब और भी सुरक्षित होने जा रहा है, क्योंकि शासन ने मंदिर के आस-पास स्थित टीले की सुरक्षा के लिए भेजे गए प्रस्ताव को आखिरकार मंजूरी दे दी है। वर्षों से बारिश और बाढ़ की मार झेलते इस मंदिर के टीले की हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी, जिससे श्रद्धालुओं की चिंता बढ़ गई थी। लेकिन अब जब शासन ने सिंचाई विभाग और आईआईटी रुड़की की साझा रूपरेखा को हरी झंडी दे दी है, तो लोगों को बड़ी राहत मिलने जा रही है। करीब 11.93 करोड़ रुपये की इस डीपीआर में उस टीले को फिर से संबल देने की योजना है, जो कभी प्राकृतिक आपदाओं से थर्रा उठता था। अब जब यह प्रस्ताव पारित हो चुका है, तो बरसात का मौसम खत्म होते ही इस कार्य को धरातल पर उतारने की तैयारियां शुरू हो जाएंगी।

धार्मिक आस्था की मिसाल बन चुका यह मंदिर उत्तराखंड के सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु देवी गर्जिया माता के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। लेकिन बीते कुछ वर्षों से जब-जब बारिश और बाढ़ ने रौद्र रूप धारण किया, तब-तब यह मंदिर का टीला भी डराने लगा। पहले तो सिंचाई विभाग ने चारों ओर लोहे और कंक्रीट की बाउंड्री बना कर प्राथमिक सुरक्षा दी थी, जिसने अस्थायी रूप से राहत पहुंचाई। लेकिन भविष्य में बड़े खतरों से बचाने के लिए एक ठोस योजना की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। यही सोच कर आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों के साथ मिलकर एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की गई, जिसमें टीले के चारों ओर सीढ़ीनुमा सीसी ब्लॉकों के निर्माण की महत्वाकांक्षी योजना बनाई गई है, जो न केवल सौंदर्य बढ़ाएगी बल्कि स्थायित्व भी सुनिश्चित करेगी।

बनाई गई योजना के अनुसार, लगभग 70 मीटर लंबे टीले के चारों ओर सीसी ब्लॉक इस तरह बनाए जाएंगे कि वे नदी की दिशा में बाढ़ के पानी के दबाव को झेल सकें। इन ब्लॉकों की नींव को मजबूती देने के लिए 5 मीटर गहरी सीसी वॉल को भूमि में डाला जाएगा, ताकि जल प्रवाह से कोई भी हिस्सा कमजोर न पड़े। यह काम चरणबद्ध ढंग से किया जाएगा, ताकि मंदिर में दर्शन-पूजन का क्रम प्रभावित न हो। शुरुआत में नदी की दिशा की ओर से काम शुरू होगा और जैसे-जैसे निर्माण आगे बढ़ेगा, मंदिर के पिछले हिस्से और अन्य किनारों की बारी आएगी। इस पूरे कार्य को इतने योजनाबद्ध और तकनीकी तरीके से अंजाम दिया जाएगा कि श्रद्धालुओं की आस्था में कोई विघ्न न आए और सुरक्षा भी सर्वाेत्तम हो।

सिंचाई विभाग रामनगर के अधिशासी अभियंता अमित कुमार गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि शासन ने जो स्वीकृति प्रदान की है, उसके तहत अब केवल बजट की अंतिम औपचारिकता शेष है। जैसे ही आवंटन मिल जाएगा, बरसात के समाप्त होते ही निर्माण का कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा। उनका कहना है कि यह केवल एक संरचनात्मक कार्य नहीं है, बल्कि एक सांस्कृतिक और धार्मिक उत्तरदायित्व है, जिसे पूरी गंभीरता के साथ निभाया जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि निर्माण के दौरान श्रद्धालुओं की सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा जाएगा और मंदिर की नियमित पूजा-पाठ किसी भी स्थिति में बाधित नहीं होगी। गर्जिया देवी मंदिर को प्रकृति के प्रकोप से बचाने का यह प्रयास न केवल आस्था की रक्षा है, बल्कि क्षेत्र की धार्मिक विरासत को सहेजने का भी एक साहसिक कदम है।

उत्तराखंड जैसे राज्य में जहां प्रकृति की अद्भुत छटा और धार्मिक परंपराएं एक साथ सांस लेती हैं, वहां इस प्रकार की संरचनात्मक पहलें विशेष महत्व रखती हैं। गर्जिया देवी मंदिर केवल एक तीर्थ स्थल नहीं, बल्कि वह केंद्र है जहां श्रद्धा और इतिहास का संगम होता है। शासन की स्वीकृति और तकनीकी संस्थाओं की भागीदारी यह दर्शाती है कि अब धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को केवल आस्था का विषय नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी देखा जा रहा है। यह परियोजना पूरी होते ही रामनगर न केवल अपने धार्मिक गौरव को सुरक्षित रखेगा, बल्कि विकास की उस लकीर पर खड़ा होगा, जहां परंपरा और प्रगति एक-दूसरे का हाथ थामे चलती हैं।

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