रामनगर। एक बार फिर उत्तराखंड के जंगलों में अवैध खनन का जिन्न पूरी ताक़त के साथ सामने आ खड़ा हुआ है, लेकिन इस बार मामला महज बालू, गिट्टी और बजरी के अवैध दोहन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि वन विभाग के तेज-तर्रार एसडीओ मनीष जोशी पर ही हमले और क्रूरता के संगीन आरोप जड़ दिए गए हैं। मंगलवार की सुबह रामनगर के कोसी नदी क्षेत्र में जब अवैध खनन रोकने की मुहिम तेज़ की गई, तब हालात अचानक विस्फोटक हो उठे। एक डंपर मालिक ने न केवल मनीष जोशी पर मारपीट, गालियों और जानलेवा हमले के इल्ज़ाम लगाए, बल्कि करंट देने जैसी सनसनीखेज़ बातें भी कह डालीं।
मामला जब गरमाया और आरोपों की आग चारों तरफ फैलने लगी, तब खुद एसडीओ मनीष जोशी ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए सच्चाई को सामने लाने का फैसला किया। उन्होंने एक-एक आरोप को सिरे से खारिज करते हुए यह साफ कर दिया कि यह पूरा घटनाक्रम एक सुनियोजित झूठे षड्यंत्र का हिस्सा है, जिसे उन लोगों ने रचा है जो अवैध खनन में गले-गले तक डूबे हुए हैं। उन्होंने दो टूक कहा कि खनन माफिया की यह बौखलाहट इस बात का प्रमाण है कि वन विभाग की सख्त कार्रवाई अब उनकी मुनाफाखोरी की जड़ों तक पहुंच चुकी है। अपनी काली करतूतों के उजागर होने के डर से अब ये माफिया खुद को बचाने के लिए विभागीय अधिकारियों को निशाना बना रहे हैं और झूठे आरोपों की आड़ लेकर जनता को भ्रमित करने का असफल प्रयास कर रहे हैं, लेकिन सच्चाई बहुत जल्द सामने आएगी।
जिस क्षण मंगलवार की सुबह खडंजा गेट के पास कुछ संदिग्ध वाहन खनन की नीयत से पहुंचे, वन विभाग की टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए इन्हें रोकने की कोशिश की। लेकिन उस कोशिश के जवाब में जो हिंसक प्रतिक्रिया सामने आई, उसने पूरे मामले की सच्चाई को खुद ही उजागर कर दिया। मनीष जोशी के अनुसार, जैसे ही विभागीय टीम ने अवैध रूप से पहुंचे डंपरों को रोका, वैसे ही मौके पर मौजूद खननकारियों ने हंगामा खड़ा कर दिया, टीम को धक्का देकर हटाने की कोशिश की और वाहनों को वहां से भगाने का प्रयास शुरू हो गया। यह पूरा घटनाक्रम न केवल अवैध खनन में संलिप्तता का सबूत है, बल्कि इस बात का भी प्रमाण है कि किस तरह प्रशासनिक रोक को कुचलने की नीयत से अराजक ताक़तें सामने आ रही हैं।
सडीओ मनीष जोशी ने तीखे शब्दों में कहा कि जब से वन विभाग ने अवैध खनन की जड़ों तक पहुंचने के लिए निर्णायक कार्रवाई शुरू की है, तभी से खनन माफिया पूरी तरह से बौखला गया है। उन्होंने बताया कि जिन लोगों के आर्थिक हित इस गैरकानूनी धंधे में जुड़े हैं, वे अब खुद को कानून की गिरफ्त में आता देख बौखलाहट में विभागीय अधिकारियों पर कीचड़ उछालने लगे हैं। उन्होंने कहा कि ये वही लोग हैं जो जंगल की धरती को चुपचाप खोद रहे थे और अब जब उन्हें रोका गया है, तो ये झूठे, निराधार और मनगढ़ंत आरोपों का सहारा लेकर वन विभाग की छवि बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन ये साजिशें नाकाम होंगी, क्योंकि सच और सबूत विभाग के साथ हैं और अवैध खनन के खिलाफ लड़ाई हर हाल में अंजाम तक पहुंचाई जाएगी।
जगमोहन सिंह रावत के स्वामित्व वाले डंपर (UK04 CA 9517) को जब अवैध खनन करते हुए पकड़ा गया, तो मामला यहीं नहीं थमा। इसके साथ ही दलीप सिंह रावत (UK04 CA 6989), मनवर सिंह (UK07 CB 3323), योगराज सिंह (UK07 CB 6203), राजेन्द्र सिंह (UK19 CA 8786), जतिन (UK04 CB 6048) और UK04 CB 7446 नंबर वाले अन्य वाहनों को भी धर दबोचा गया। मनीष जोशी ने बताया कि इन सभी वाहनों को तत्काल वन विकास निगम के पोर्टल से डिबार कर दिया गया है ताकि भविष्य में ये दोबारा ऐसी किसी गैरकानूनी गतिविधि का हिस्सा न बन सकें। यह कदम न सिर्फ वन विभाग की तत्परता का परिचायक है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि अब कोई भी अवैध खनन का गुनहगार कानून की पकड़ से नहीं बच पाएगा।
पूरे घटनाक्रम को साजिश करार देते हुए एसडीओ मनीष जोशी ने दावा किया कि उस सुबह की हर हरकत वीडियो में कैद है और यही फुटेज इस बात का जीता-जागता सबूत है कि अवैध खनन माफिया अब पकड़ में आने के बाद बौखलाहट में विभागीय कार्रवाई को बाधित करने पर उतर आया है। उन्होंने यह भी बताया कि वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि किस तरह से खनन से जुड़े लोगों ने मौके पर आए अधिकारियों और कर्मचारियों को दबाव में लेने की कोशिश की और पूरे अभियान को पटरी से उतारने की मंशा रखी। यह पूरा षड्यंत्र बड़ी ही गहराई से रचा गया था, लेकिन वन विभाग की सख्ती और तत्परता ने न केवल इसे विफल किया, बल्कि आरोप लगाने वालों को भी बेनकाब कर दिया।
खुली चुनौती देते हुए मनीष जोशी ने ऐलान किया कि चाहे कितनी भी कोशिशें कर ली जाएं, वन विभाग न तो दबाव में आने वाला है और न ही अवैध खनन के खिलाफ चल रहे अभियानों को रोकने वाला है। उन्होंने साफ किया कि विभाग का हर एक अधिकारी अपने कर्तव्यों को लेकर पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है और जंगल की धड़कनों को चुराने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। इस पूरे मामले ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि जंगल की हरियाली पर काली निगाहें डालने वालों को अब वन विभाग के बुलंद इरादों से दो-चार होना पड़ेगा। अवैध खनन को लेकर जो गंभीरता दिखाई जा रही है, वह न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि उन शक्तियों को खुली चुनौती भी है जो जंगल की मिट्टी को चंद रुपयों के लालच में रौंदने पर उतारू हैं।