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कोरोना योद्धा उषा के परिवार को मिले दस लाख से छलका हर आंख में सम्मान

ड्यूटी पर शहीद हुईं सफाईकर्मी उषा को मिला सम्मान, मुख्यमंत्री राहत कोष से परिवार को दी गई 10 लाख की आर्थिक सहायता राशि

काशीपुर। कोविड काल के कठिनतम दौर में जब हर कोई अपने घरों में बंद था, तब कर्तव्य पथ पर डटी रहीं काशीपुर नगर निगम की सफाई कर्मचारी श्रीमती उषा। अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए कोरोना योद्धा के रूप में सेवा देने वाली इस महिला कर्मवीर ने आखिरकार इसी ड्यूटी पर अपने प्राण गंवा दिए। शासन-प्रशासन द्वारा जब यह देखा गया कि उन्होंने अपने जीवन की आहुति समाज की सेवा में दी है, तब मुख्यमंत्री राहत कोष से 10 लाख रुपये की विशेष सहायता राशि मंजूर की गई। इस मानवीय पहल के तहत आज एक औपचारिक आयोजन में काशीपुर के महापौर दीपक बाली ने यह सहायता राशि दिवंगत उषा के पति सुंदरलाल को सौंपते हुए न केवल आर्थिक सहायता का आश्वासन दिया, बल्कि परिवार के प्रति सहानुभूति जताते हुए श्रद्धांजलि भी अर्पित की।

नगर निगम कार्यालय में हुए इस आयोजन के दौरान माहौल गमगीन और श्रद्धाभाव से भरा हुआ था। महापौर दीपक बाली ने इस अवसर पर कहा कि कोविड महामारी में जिन योद्धाओं ने अपने जीवन का बलिदान दिया, उन्हें भूलना न तो प्रशासन का धर्म है और न ही समाज का। दिवंगत श्रीमती उषा जैसे कर्मठ कर्मचारी एक आदर्श प्रस्तुत करते हैं, जिनकी प्रेरणा आने वाली पीढ़ियों को निस्वार्थ सेवा की भावना सिखाएगी। कार्यक्रम में उपस्थित नगर निगम के सहायक नगर अधिकारी कमल सिंह मेहता, एसआई मनोज सिंह बिष्ट, सलीम अहमद और समाजसेवी संजय कापड़ी ने भी मृतका को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके परिवार के प्रति संवेदनाएं प्रकट कीं। सभी की आंखों में सम्मान और पीड़ा का मिश्रण स्पष्ट झलक रहा था।

स्वर्गीय उषा को राज्य सरकार ने श्कोरोना योद्धाश् का दर्जा देकर यह संदेश दिया है कि जनसेवा में बलिदान देने वाले किसी भी नागरिक को शासन कभी नजरअंदाज नहीं करता। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की इस सहानुभूतिपूर्ण दृष्टि की प्रशंसा करते हुए महापौर दीपक बाली ने उन्हें प्रजावत्सल नेता बताया और कहा कि वर्तमान सरकार आम जन की पीड़ा को अपने हृदय में महसूस करती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि दिवंगत कर्मियों के परिजनों को सम्मान और सहयोग देने के लिए नगर निगम कृतसंकल्पित है और इस दिशा में निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस चेक के माध्यम से भले ही मृतका को वापस नहीं लाया जा सकता, लेकिन यह सहायता उनके परिवार की आर्थिक सुरक्षा और सामाजिक सम्मान की दिशा में एक मजबूत कदम है।

इस कार्यक्रम के दौरान मृतका के पति सुंदरलाल का चेहरा भावनाओं से भीगा हुआ था। उनकी आंखें नम थीं, लेकिन उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और महापौर दीपक बाली के प्रति कृतज्ञता जताते हुए कहा कि सरकार ने उनकी पत्नी के योगदान को न सिर्फ पहचाना, बल्कि परिवार की मदद कर यह सिद्ध किया कि सेवा और त्याग कभी व्यर्थ नहीं जाता। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पत्नी की तरह हजारों सफाई कर्मचारी दिन-रात बिना भय के डटे रहे और समाज की रक्षा की। ऐसे में सरकार द्वारा यह सहायता राशि उन सभी कर्मचारियों के आत्मबल को मजबूती देती है, जो अब भी समाज सेवा में लगे हुए हैं।

पूरे आयोजन के दौरान यह अनुभव किया गया कि राज्य सरकार और नगर निगम की सामूहिक संवेदना पीड़ित परिवार के लिए कितनी महत्वपूर्ण है। स्वर्गीय श्रीमती उषा की याद में कुछ क्षणों का मौन रखकर उनके बलिदान को नमन किया गया। सभी उपस्थित अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने एक स्वर में यह संकल्प लिया कि ऐसे समर्पित कर्मचारियों की स्मृति को जीवित रखने के लिए नगर निगम स्तर पर भविष्य में भी विशेष योजनाएं चलाई जाएंगी। इस मौके पर यह भी प्रस्ताव रखा गया कि निगम क्षेत्र में कार्यरत अन्य कर्मचारियों की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रशिक्षण और कल्याणकारी योजनाओं को सक्रिय रूप से लागू किया जाएगा।

यह पूरा प्रसंग स्पष्ट करता है कि उत्तराखंड सरकार न केवल कोरोना योद्धाओं को सम्मान देती है, बल्कि उनके परिजनों को संबल देने का भी अपना वादा निभा रही है। मुख्यमंत्री राहत कोष से जारी की गई 10 लाख रुपये की सहायता राशि महज औपचारिकता नहीं, बल्कि उस परिवार के लिए पुनर्जीवन की एक सशक्त किरण है जिसने अपने एक सदस्य को समाज की सेवा में खो दिया। स्वर्गीय श्रीमती उषा जैसी कर्मठ सफाईकर्मी, जिन्होंने कोविड काल में अपने कर्तव्य को सर्वोपरि रखा और अपनी जान की परवाह किए बिना कार्यरत रहीं, उनके बलिदान को नगर निगम के कर्मचारी आज भी सम्मानपूर्वक स्मरण करते हैं। यह आर्थिक सहयोग केवल आर्थिक संबल नहीं, बल्कि उनके त्याग को सामाजिक सम्मान देने का प्रयास है। कर्मचारियों और नागरिकों को यह विश्वास है कि उषा का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा और समाज उन्हें हमेशा याद रखेगा।

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