रामनगर। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में इन दिनों एक के बाद एक बाघों के घायल अवस्था में देखे जाने की खबरों ने वन विभाग को हाई अलर्ट पर ला दिया था, और अब आखिरकार प्रशासन ने अपनी तत्परता दिखाते हुए दो घायल बाघों को बेहद सफलतापूर्वक ट्रेंकुलाइज कर ढेला रेंज स्थित रेस्क्यू सेंटर में शिफ्ट कर दिया है। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के ढिकाला और ढेला पर्यटन जोन से अलग-अलग स्थानों से इन बाघों को सुरक्षित तरीके से निकाला गया। ऑपरेशन के दौरान वरिष्ठ पशु चिकित्सकों, अनुभवी वनकर्मियों, आधुनिक ड्रोन टेक्नोलॉजी और प्रशिक्षित हाथियों की मदद ली गई। यह पूरा अभियान ना सिर्फ प्रशासन की चुस्ती-फुर्ती का परिचायक बना, बल्कि वन्य जीवों के संरक्षण को लेकर सरकारी तंत्र की गंभीरता का भी प्रमाण बन गया। रेस्क्यू किए गए बाघों में से एक की उम्र लगभग 5 वर्ष बताई गई है जो ढिकाला जोन से पकड़ा गया, जबकि दूसरा बाघ, जिसकी उम्र करीब 7 से 8 वर्ष है, को ढेला जोन से ट्रेंकुलाइज किया गया। दोनों बाघों की हालत फिलहाल स्थिर है, हालांकि उनमें से एक की हालत चिंताजनक बनी हुई है, जिसे लेकर विशेषज्ञ चिकित्सक विशेष निगरानी में इलाज कर रहे हैं।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन रंजन मिश्रा ने इस पूरे ऑपरेशन की जानकारी साझा करते हुए बताया कि इन बाघों पर बीते कई दिनों से नजर रखी जा रही थी। पार्क की नियमित गश्ती टीम को बार-बार यह सूचना मिल रही थी कि कुछ बाघ घायल अवस्था में घूम रहे हैं। इन सूचनाओं को गंभीरता से लेते हुए विभाग ने उच्च स्तरीय प्लानिंग शुरू की और तुरंत वरिष्ठ डॉक्टरों की एक टीम को तैयार कर रेस्क्यू प्रक्रिया को गति दी। जंगल के गहरे हिस्सों में जाकर पहले बाघों की सटीक स्थिति का पता लगाया गया और फिर अत्यंत सावधानी से उन्हें ट्रेंकुलाइज कर सुरक्षित तरीके से उठाया गया। ऑपरेशन के दौरान टीम ने यह सुनिश्चित किया कि किसी भी बाघ को अनावश्यक दर्द या अतिरिक्त चोट न पहुंचे। ड्रोन कैमरों के जरिए बाघों की लोकेशन ट्रैक की गई और हाथियों की सहायता से इलाके में गश्त कर उन्हें घेरे में लिया गया। पैदल चल रहे वनकर्मियों ने बाघों की गतिविधियों पर लगातार नजर रखी ताकि सही समय पर ट्रेंकुलाइज किया जा सके।
रेस्क्यू किए गए बाघों को ढेला रेंज स्थित विशेष रेस्क्यू सेंटर में शिफ्ट किया गया है, जहां फिलहाल दोनों बाघों का इलाज चल रहा है। एक बाघ की हालत डॉक्टरों के अनुसार संतोषजनक है और उसमें सुधार दिख रहा है, जबकि दूसरा बाघ गंभीर चोटों से जूझ रहा है और उसकी हालत फिलहाल नाजुक बताई जा रही है। घायल बाघों के इलाज में जुटे विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम लगातार निगरानी में है और सभी जरूरी मेडिकल प्रक्रियाएं अपनाई जा रही हैं। चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन रंजन मिश्रा ने कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो बाहरी विशेषज्ञों की भी मदद ली जाएगी ताकि दोनों बाघों को पूरी तरह से ठीक किया जा सके। वन विभाग इस घटना को वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक बड़ी जिम्मेदारी मान रहा है और हर आवश्यक कदम उठा रहा है।
बताया जा रहा है कि प्रारंभिक जांच में इन बाघों के घायल होने का कारण आपसी संघर्ष प्रतीत हो रहा है। जंगल में अक्सर इलाकों को लेकर बाघों में भिड़ंत हो जाती है और कई बार ये संघर्ष घातक साबित होते हैं। वन विभाग फिलहाल इसी एंगल से मामले की गहनता से जांच कर रहा है। साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि कहीं इन बाघों के घायल होने के पीछे मानवीय हस्तक्षेप या अवैध गतिविधियों का कोई संकेत तो नहीं है। फिलहाल विभाग की रिपोर्ट में ऐसा कुछ सामने नहीं आया है, लेकिन निगरानी और सतर्कता जारी है।
यह पूरा घटनाक्रम न केवल कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की त्वरित कार्यशैली को दर्शाता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि जंगल के भीतर होने वाली हर हलचल पर अब टेक्नोलॉजी की मदद से कड़ी निगरानी रखी जा रही है। ड्रोन, ट्रैप कैमरा, हाथियों और अनुभवी वनकर्मियों का समन्वय वन्यजीवों की सुरक्षा और उनके उपचार में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है। रंजन मिश्रा ने एक बार फिर दोहराया कि कॉर्बेट प्रशासन बाघों और अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा को सर्वाेच्च प्राथमिकता देता है और भविष्य में भी इस तरह की किसी भी घटना से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।