हरिद्वार। ऋषिकेश वर्षों पुराने केंद्रीय विद्यालय को आखिरकार वह पहचान और स्थायित्व मिल गया जिसका इंतजार स्थानीय जनता, अभिभावकों और छात्रों को लंबे समय से था। हरिद्वार सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सक्रियता और अथक प्रयासों से अब आईडीपीएल परिसर में स्थित विद्यालय भवन की भूमि केंद्रीय विद्यालय ऋषिकेश के नाम की जाएगी। इस ऐतिहासिक फैसले से न केवल स्कूल को कानूनी मान्यता प्राप्त होगी, बल्कि सैकड़ों बच्चों का भविष्य भी सुरक्षित हो जाएगा।
यह निर्णय उस समय आया जब केंद्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र चौधरी ने हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत के आग्रह पर मामले की गंभीरता को समझते हुए तत्काल आदेश जारी किए। इस आदेश के तहत आईडीपीएल परिसर की वह भूमि, जिस पर स्कूल वर्षों से संचालित हो रहा है, अब केंद्रीय विद्यालय संगठन के नाम स्थानांतरित की जाएगी। इस फैसले से विद्यालय को स्थायी बुनियादी ढांचा मिलेगा और छात्रों को भविष्य में दाखिले की असुरक्षा से भी मुक्ति मिलेगी।
बात करें इस विद्यालय की पृष्ठभूमि की, तो केंद्रीय विद्यालय आईडीपीएल ऋषिकेश की स्थापना वर्ष 1978 में की गई थी। यह स्कूल उस समय आईडीपीएल द्वारा स्थापित किया गया था और दशकों तक यह क्षेत्र के हजारों बच्चों की शिक्षा का आधार बना रहा। परंतु जब आईडीपीएल बंद हुआ, तो स्कूल का अस्तित्व भी संकट में पड़ गया। स्कूल भवन पर स्वामित्व की अस्पष्टता और भूमि हस्तांतरण न होने की वजह से विद्यालय में दाखिले की प्रक्रिया भी बाधित हो गई। वर्ष 2025-26 के लिए कक्षा 1 में प्रवेश बंद कर दिए गए थे, जिससे क्षेत्रीय जनता में भारी आक्रोश पनप गया था।
विद्यालय के प्रधानाचार्य और प्रबंधन द्वारा इस मुद्दे पर लगातार प्रयास किए गए। वर्षों से पत्राचार, संवाद और अनुरोधों का सिलसिला चलता रहा, लेकिन समाधान नहीं निकल पाया। जब तक त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस मुद्दे को पूरी ताकत से उठाया और इसे केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र चौधरी के समक्ष प्रमुखता से रखा। त्रिवेंद्र ने स्पष्ट किया कि स्कूल आईडीपीएल की भूमि पर बना है, यहां कोई नया निर्माण नहीं किया जा रहा है और ना ही कोई पेड़-पौधों की कटाई जैसी समस्या है। ऐसे में भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया में कोई अड़चन नहीं होनी चाहिए।
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने केंद्रीय मंत्री को पत्र लिखकर यह भी बताया कि इस स्कूल के दोबारा संचालन की प्रक्रिया 29 मार्च 2023 से सिविल स्कूल के रूप में फिर शुरू की गई थी, लेकिन भूमि के स्वामित्व को लेकर अनिश्चितता बनी रही। इससे अभिभावकों की चिंता और बच्चों का भविष्य दोनों अधर में लटके हुए थे।
अब जबकि केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र चौधरी ने विभागीय अधिकारियों को आदेश जारी कर दिए हैं कि भूमि को केंद्रीय विद्यालय ऋषिकेश के नाम हस्तांतरित किया जाए, तो यह फैसला न केवल शिक्षा व्यवस्था को नई ऊर्जा देगा बल्कि सरकारी योजनाओं की संवेदनशीलता और चुनी हुई सरकार की जवाबदेही का भी एक आदर्श उदाहरण बनेगा। यह कदम साफ दर्शाता है कि जब जन प्रतिनिधि संकल्प के साथ कोई मुद्दा उठाता है, तो उसका समाधान अवश्य निकलता है।
स्थानीय लोगों और अभिभावकों ने इस फैसले का स्वागत करते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत और भूपेंद्र चौधरी के प्रति आभार जताया है। अब उम्मीद की जा रही है कि स्कूल में जल्द ही सभी कक्षाओं में दाखिले फिर से शुरू होंगे और विद्यार्थियों को एक स्थायी व सुविधाजनक वातावरण में शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। यह फैसला विशेष रूप से उन बच्चों के लिए वरदान साबित होगा जो अब तक अनिश्चितता के साये में पढ़ाई कर रहे थे।