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केंद्रीय बजट पर राकेश टिकैत का बड़ा हमला, किसानों के लिए कर्ज़ और कॉर्पोरेट्स के लिए फायदे का बजट

केंद्रीय बजट में किसानों को कर्ज और निराशा, राकेश टिकैत ने कहा- यह बजट सिर्फ कॉर्पोरेट्स के लिए, किसानों के लिए कोई राहत नहीं

हरिद्वर(सुरेन्द्र कुमार)। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने केंद्रीय बजट 2025 को लेकर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने इस बजट को किसानों के लिए एक बड़ा धोखा बताते हुए कहा कि इसमें किसी भी प्रकार की राहत की उम्मीद किसानों को नहीं मिल पाई है। उनका आरोप है कि सरकार ने इस बजट में किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं किया, बल्कि उन्हें और भी अधिक कर्ज के जाल में फंसा दिया। चौधरी राकेश टिकैत ने कहा, “हमारे देश के किसान पिछले कई सालों से एमएसपी गारंटी कानून और C2 + 50 फार्मूले की मांग कर रहे थे, लेकिन बजट में उनका कहीं कोई जिक्र नहीं किया गया। इसके बजाय, इस बजट में किसानों के लिए सिर्फ कर्ज का प्रावधान किया गया है।” उन्होंने यह भी कहा कि यह बजट केवल कॉरपोरेट पूंजीपतियों के हितों की रक्षा करने के लिए तैयार किया गया है, जो किसानों और गरीबों के हितों से पूरी तरह से विपरीत है।

उनका कहना था कि बढ़ती महंगाई और खेती की लागत के कारण ग्रामीण परिवारों की स्थिति दिन-ब-दिन बद से बदतर होती जा रही है। इस बजट से किसानों को सिर्फ और सिर्फ कर्ज मिल रहा है, जिससे उनकी समस्याओं का समाधान होने की बजाय और भी बढ़ जाएंगी। उन्होंने यह भी कहा कि कर्ज की इस बाढ़ में किसानों की ज़मीनें कॉरपोरेट कंपनियों के हवाले हो सकती हैं, क्योंकि जब किसानों के पास कर्ज चुकाने के लिए पैसे नहीं होंगे तो उनकी ज़मीनें बिकने के लिए मजबूर हो जाएंगी। चौधरी टिकैत ने यह आरोप भी लगाया कि सरकार का यह बजट केवल आंकड़ों तक सीमित है, जबकि वास्तविकता यह है कि ग्रामीण और किसान वर्ग के लिए इस बजट में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी कोई वास्तविक सुधार नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार का ध्यान सिर्फ आंकड़ों पर है, जबकि जमीनी स्तर पर लोग किस तरह से कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, इसका कोई उल्लेख नहीं किया गया।

चौधरी राकेश टिकैत ने यह भी कहा कि इस बजट में किसानों के लिए कोई कर्ज माफी का प्रावधान नहीं था, जबकि यह किसानों की सबसे बड़ी आवश्यकता थी। सरकार ने कर्ज बढ़ाने की बात की है, जिससे किसान फिर से कर्ज के जाल में फंस जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि यह बजट देश के किसानों और मजदूरों के लिए सिर्फ एक छलावा है, क्योंकि इसमें उनकी परेशानियों का कोई समाधान नहीं किया गया। किसानों की स्थिति को लेकर राकेश टिकैत ने कहा, “किसान पहले ही कर्ज में डूबे हुए हैं, और इस बजट में सरकार ने केवल कर्ज बढ़ाने की बात की है। यह एक स्पष्ट संकेत है कि सरकार किसानों के हितों के बजाय कॉरपोरेट्स के पक्ष में काम कर रही है। जब तक यह हालात बने रहेंगे, किसान अपनी ज़मीनों को खोते जाएंगे और उनके लिए कोई राहत नहीं मिलेगी।”

उन्होंने कहा कि सरकार ने हमेशा ही किसानों को नजरअंदाज किया है और इस बार भी यही हुआ है। बजट में किसानों के लिए कोई खास योजना नहीं बनाई गई, जबकि उनके लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता थी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को इस बात का एहसास होना चाहिए कि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए किसानों का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है, और अगर सरकार ने उनके लिए ठोस कदम नहीं उठाए तो कृषि संकट और बढ़ जाएगा।
चौधरी टिकैत ने इस बजट को जनता बनाम कॉरपोरेट करार देते हुए कहा कि यह बजट गरीबों और किसानों के खिलाफ है और सिर्फ कॉरपोरेट्स के फायदे के लिए तैयार किया गया है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भारतीय किसान यूनियन इस बजट को पूरी तरह से नकारती है और यह मांग करती है कि सरकार किसानों के लिए कर्ज माफी की घोषणा करे और कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए।

किसानों के लिए बजट में कर्ज माफी, फसलों के उचित मूल्य निर्धारण और कृषि उत्पादों के मूल्य में वृद्धि की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लेना चाहिए और उन्हें तुरंत समाधान प्रदान करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक सरकार किसानों की आवाज नहीं सुनेगी और उनके लिए ठोस कदम नहीं उठाएगी, तब तक किसान संघर्ष करते रहेंगे। अंत में, चौधरी राकेश टिकैत ने यह कहा कि किसानों को इस बजट से कोई राहत नहीं मिली है और यह सरकार का किसानों के प्रति विश्वासघात है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे इस बजट को नकारते हुए आगे बढ़ें और अपने अधिकारों की लड़ाई जारी रखें। उनका कहना था कि अगर सरकार ने किसान-मजदूरों के हितों के खिलाफ काम करना जारी रखा, तो किसान इसका पुरजोर विरोध करेंगे।

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