काशीपुर। भारत रत्न बाबा साहब श्री भीमराव अंबेडकर की जयंती के उपलक्ष्य में मंगलवार को काशीपुर बार एसोसिएशन परिसर में एक गरिमामय समारोह आयोजित किया गया, जिसने पूरे अधिवक्ता समुदाय को प्रेरणा और सामाजिक चेतना के एक मंच पर एकत्रित कर दिया। इस कार्यक्रम में उपस्थित अधिवक्ताओं ने बाबा साहब के संविधान, समानता और सामाजिक न्याय के मूल मंत्रों पर चलने का संकल्प लेते हुए उन्हें अपने जीवन और पेशे में उतारने का दृढ़ निश्चय किया। पूरे माहौल में एक उत्साह और श्रद्धा का भाव व्याप्त था, जिसमें हर अधिवक्ता की आंखों में भीमराव अंबेडकर के विचारों के प्रति समर्पण झलक रहा था। यह आयोजन न केवल स्मृति समारोह था, बल्कि यह वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के लिए संविधान की आत्मा को जीवंत बनाए रखने का संदेश भी बन गया।
इस प्रेरणादायी अवसर पर काशीपुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अवधेश कुमार चौबे की उपस्थिति ने माहौल को और भी गंभीरता और गरिमा प्रदान की। उन्होंने अपने वक्तव्य में बाबा साहब के विचारों की प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए कहा कि न्यायपालिका में कार्यरत हर अधिवक्ता को उनके बताए मार्गों पर चलना चाहिए। कार्यक्रम में अनूप कुमार शर्मा (उपाध्यक्ष), नृपेंद्र कुमार चौधरी (सचिव), सूरज कुमार (उप सचिव), सौरभ शर्मा (कोषाध्यक्ष), हिमांशु बिश्नोई (ऑडिटर), सतपाल सिंह बल (पुस्तकालय अध्यक्ष) और दुष्यंत चौहान (प्रेस प्रवक्ता) ने भी अपनी उपस्थिति से आयोजन की गरिमा को और ऊंचा किया। सभी पदाधिकारियों ने मिलकर इस आयोजन को स्मरणीय और प्रेरणादायक रूप दिया। उनके सहयोग और नेतृत्व ने यह साबित किया कि अधिवक्ता समाज केवल न्याय का सेवक नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव का वाहक भी है।
काशीपुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अवधेश कुमार चौबे ने इस ऐतिहासिक अवसर पर अपने ओजस्वी और प्रेरणादायक संबोधन में कहा कि भारत रत्न बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर केवल संविधान निर्माता नहीं थे, बल्कि वे उस क्रांति के अग्रदूत थे जिसने भारत के सामाजिक ढांचे को नई दिशा दी। उन्होंने कहा कि आज का यह आयोजन केवल श्रद्धांजलि नहीं है, बल्कि यह उस चेतना का पुनरुद्धार है, जिसे बाबा साहब ने अपने विचारों और संघर्षों से जागृत किया था। चौबे ने ज़ोर देते हुए कहा कि आज हर अधिवक्ता का यह दायित्व बनता है कि वह न केवल कानून का ज्ञाता बने, बल्कि संविधान के मूल मूल्योंकृसमानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व और न्यायकृका सजग प्रहरी भी बने। उन्होंने यह भी कहा कि जब अधिवक्ता समुदाय संविधान के आदर्शों पर चलकर समाज को दिशा देता है, तब लोकतंत्र की नींव और भी मज़बूत होती है। चौबे ने आह्वान किया कि अधिवक्तागण केवल न्यायालय की दीवारों तक सीमित न रहें, बल्कि समाज में सक्रिय भागीदारी निभाकर बाबा साहब के सपनों के भारत के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाएं।
काशीपुर बार एसोसिएशन के उप सचिव सूरज कुमार ने कार्यक्रम के दौरान अपने भावुक और प्रखर वक्तव्य में कहा कि बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर न केवल दलित समाज के मसीहा थे, बल्कि वे समूचे भारत के लिए एक विचारधारा बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि बाबा साहब ने जिस संविधान की नींव रखी, वह केवल कानूनों का दस्तावेज़ नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों के अधिकारों का संरक्षक है। सूरज कुमार ने स्पष्ट किया कि आज का दिन केवल उनकी जयंती का उत्सव नहीं, बल्कि यह आत्मचिंतन और पुनः संकल्प लेने का अवसर है कि हम उनके दिखाए मार्ग पर अडिग रहें। उन्होंने कहा कि हर अधिवक्ता को चाहिए कि वह अपने आचरण, सेवा और न्याय की भावना में बाबा साहब के आदर्शों को जीवित रखे और समाज के हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज़ बने।
महिला अधिवक्ता वर्ग की सक्रिय भागीदारी भी इस आयोजन की एक विशेषता रही। रश्मि पाल (महिला उपाध्यक्ष) की प्रेरणादायी उपस्थिति ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब बार एसोसिएशन में महिलाएं भी बराबर की हिस्सेदार हैं और सामाजिक संदेशों को आगे ले जाने में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। कार्यक्रम में कामिनी श्रीवास्तव, नरेश कुमार पाल, अर्पित कुमार सौदा, अमित कुमार गुप्ता, अमृत पाल सिंह, अमितेश सिसोदिया, अविनाश कुमार, नरदेव सिंह सैनी, आनंद रस्तोगी, राजेश प्रजापति, समर्थ विक्रम, भुवन चंद्र नौटियाल, सुशील चौधरी, शिवम् अग्रवाल, अभिषेक अग्रवाल, संजय शर्मा सहित बड़ी संख्या में अधिवक्तागणों ने भाग लिया और आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया। यह समूचा कार्यक्रम उस समरसता और एकता का उदाहरण बन गया, जिसे बाबा साहब अंबेडकर जीवन भर स्थापित करने के लिए संघर्ष करते रहे।
काशीपुर बार एसोसिएशन की सक्रिय सदस्य कामिनी श्रीवास्तव ने समारोह के दौरान अपने दमदार और प्रभावशाली वक्तव्य में कहा कि भारत रत्न बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने भारतीय समाज को न्याय, समानता और आत्मसम्मान का जो मंत्र दिया, वह आज भी उतना ही प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि एक महिला अधिवक्ता के तौर पर वे बाबा साहब की उस सोच को नमन करती हैं, जिसमें उन्होंने महिलाओं को शिक्षा, रोजगार और अधिकारों की स्वतंत्रता के लिए मजबूती से आवाज़ उठाई। कामिनी श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि संविधान निर्माण में बाबा साहब की दूरदर्शिता ने भारत को एक समावेशी और लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में स्थापित किया और अधिवक्ता समाज का यह कर्तव्य है कि वह उनके आदर्शों को न्याय प्रणाली के हर स्तर पर लागू करे। उन्होंने सभी को बाबा साहब की शिक्षाओं को आत्मसात करने का आह्वान किया।
इस आयोजन ने अधिवक्ताओं के सामाजिक और वैचारिक कर्तव्यों की भी याद दिलाई। हर वक्ता ने अपने संबोधन में भीमराव अंबेडकर के विचारों को आज के सामाजिक संदर्भों से जोड़ते हुए उनके आदर्शों को आत्मसात करने की अपील की। किसी ने उनके द्वारा निर्मित संविधान की महानता को रेखांकित किया, तो किसी ने उनके सामाजिक आंदोलन की गूंज को आज की राजनीति से जोड़ा। परंतु एक बात सभी के वक्तव्यों में समान रूप से उभरकर सामने आईकृवह थी संविधान के प्रति अगाध आस्था और समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व और न्याय जैसे मूल्यों की रक्षा करने का संकल्प। यह कार्यक्रम केवल एक रस्मअदायगी नहीं था, बल्कि यह एक वैचारिक संकल्प था, जो आने वाले समय में काशीपुर बार एसोसिएशन की दिशा और दृष्टिकोण को नई ऊर्जा और दिशा प्रदान करेगा।