काशीपुर। उत्तराखंड राज्य की स्थापना जिन मूलभूत उद्देश्यों के साथ की गई थी, उनमें सबसे प्रमुख उद्देश्य यह था कि प्रदेश के प्रत्येक क्षेत्र को प्रशासनिक रूप से इतना सक्षम बनाया जाए कि विकास की रोशनी दूरस्थ गांवों और अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे। राज्य निर्माण की भावना केवल भौगोलिक विभाजन तक सीमित नहीं थी, बल्कि इसके पीछे यह गहरी सोच थी कि छोटे जिलों की रचना कर शासन-प्रशासन की पहुँच आम जन तक सरल और प्रभावी ढंग से सुनिश्चित की जाए। इसी आधार पर छोटे जिलों का निर्माण आवश्यक समझा गया, जिससे न केवल त्वरित निर्णय लिए जा सकें बल्कि स्थानीय जनता को सरकारी सेवाओं और योजनाओं का लाभ समय पर मिले। आज जब हम उत्तराखंड के विकास की बात करते हैं, तो यह जरूरी है कि उसी मूल सोच को फिर से सशक्त किया जाए, जो राज्य गठन की प्रेरणा बनी थी।
वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश कुमार सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में जब प्रदेश का हर क्षेत्र अपनी पहचान और हक की लड़ाई लड़ रहा है, ऐसे में काशीपुर जैसे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और औद्योगिक दृष्टि से समृद्ध नगर को अब तक जिला न बनाया जाना एक गंभीर प्रशासनिक विफलता के रूप में देखा जा रहा है। यह नगर न केवल उत्तराखंड की औद्योगिक धुरी है, बल्कि इसका ऐतिहासिक महत्व भी उतना ही गहरा और समृद्ध है। ऐसे में यह सवाल बार-बार उठना स्वाभाविक है कि जब राज्य निर्माण के वर्षों बाद भी इस नगर को उसका वाजिब दर्जा नहीं मिल सका, तो क्या यह राज्य की मूल आत्मा के साथ विश्वासघात नहीं है? वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश कुमार सिंह ने इस मुद्दे को अत्यंत गंभीरता से उठाते हुए राज्य सरकार से यह मांग की है कि काशीपुर को शीघ्र नया जिला घोषित किया जाए और इसे उसके प्राचीन गौरवशाली नाम ‘गोविषाण’ से सम्मानित किया जाए, जिससे ना केवल जनता को न्याय मिले बल्कि प्रदेश की असली भावना को भी नई ऊर्जा मिले।
वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश कुमार सिंह ने कहा कि प्रदेश के अन्य क्षेत्रों को जिले का दर्जा देकर सरकार ने स्थानीय प्रशासन को ताकतवर बनाने का जो कार्य किया है, वह सराहनीय है। लेकिन जब बात काशीपुर की आती है, तो यह देखना दुखद होता है कि यह नगर अब तक उपेक्षित बना हुआ है, जबकि इसका भौगोलिक विस्तार, आबादी, राजस्व योगदान और ऐतिहासिक महत्ता इसे स्वतः ही जिले का पात्र बनाते हैं। अधिवक्ता हरीश कुमार सिंह ने बताया कि प्रशासनिक सुविधाओं के अभाव में काशीपुर की जनता को हर छोटी-बड़ी जरूरत के लिए रुद्रपुर जाना पड़ता है, जिससे समय, श्रम और धन की बर्बादी होती है। उन्होंने यह भी कहा कि यह इलाका औद्योगिक रूप से प्रदेश की धड़कन है और इसके आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की भी पूरी निर्भरता काशीपुर पर है, ऐसे में जिला न होने के कारण विकास की प्रक्रिया बाधित होती रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब यह केवल एक प्रशासनिक मुद्दा नहीं, बल्कि जनता की गरिमा और आकांक्षाओं का विषय बन चुका है।
वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश कुमार सिंह ने कहा कि कई दशक बीत जाने के बाद भी काशीपुर को जिले का दर्जा न मिलना राज्य की मूल भावना पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। जब राज्य बना था, तो जनता ने यह आशा की थी कि हर क्षेत्र को प्रशासनिक सशक्तता दी जाएगी। अधिवक्ता हरीश कुमार सिंह ने बताया कि यदि इस दिशा में सरकार ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो यह पूरे उत्तराखंड की न्यायप्रिय जनता के साथ विश्वासघात होगा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जब शासन और व्यवस्था अन्य स्थानों को जिला बना सकती है तो फिर काशीपुर को क्यों दरकिनार किया जा रहा है? उन्होंने कहा कि यह नगर न केवल उत्तराखंड की औद्योगिक राजधानी है, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से भी बेहद समृद्ध है। उन्होंने कहा कि ऐसे में इसे ‘गोविषाण’ के नाम से जिला बनाना न केवल एक प्रशासनिक निर्णय होगा, बल्कि एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण भी होगा। इससे आने वाली पीढ़ियाँ भी इस गौरवशाली इतिहास से परिचित हो सकेंगी।
वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश कुमार सिंह ने कहा कि इतिहास की बात की जाए तो गोविषाण नाम का उल्लेख कई पुरातात्विक, सांस्कृतिक और साहित्यिक दस्तावेजों में मिलता है। यह केवल एक नाम नहीं, बल्कि उस विरासत का प्रतीक है, जिसने इस क्षेत्र को एक विशिष्ट पहचान दी थी। अधिवक्ता हरीश कुमार सिंह ने कहा कि यदि सरकार काशीपुर को इस ऐतिहासिक नाम के साथ जिला घोषित करती है, तो यह एक सकारात्मक संदेश होगा जो न केवल स्थानीय निवासियों को गर्व देगा, बल्कि पूरे उत्तराखंड को उसकी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने में अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने बताया कि इस नाम से जिला बनने पर न केवल प्रशासनिक सुविधा बढ़ेगी, बल्कि यह स्थान धार्मिक पर्यटन, सांस्कृतिक अध्ययन और ऐतिहासिक शोध के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन सकता है। उन्होंने कहा कि इससे निवेश और विकास के भी नए अवसर खुलेंगे, जिससे पूरे क्षेत्र की आर्थिक और सामाजिक स्थिति सुदृढ़ हो सकेगी।
वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश कुमार सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में जब काशीपुर की जनसंख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है, व्यापारिक गतिविधियाँ राज्य की सीमाओं से बाहर तक फैल रही हैं और यहां के उद्योग देश-विदेश में पहचान बना रहे हैं, तो ऐसे में प्रशासनिक स्वतंत्रता और अलग जिला बनाए जाने की माँग और भी अधिक प्रासंगिक हो जाती है। अधिवक्ता हरीश कुमार सिंह ने कहा कि सरकार को अब टालमटोल नहीं करनी चाहिए, बल्कि इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार कर इसे प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने चेताया कि यदि राज्य सरकार ने अब भी इस माँग की अनदेखी की, तो जनता के भीतर असंतोष और अविश्वास की भावना और अधिक गहराएगी। उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों और नागरिकों से आह्वान किया कि वे एकजुट होकर इस माँग को बुलंद करें, ताकि काशीपुर को ‘गोविषाण’ के नाम से जिला बनवाने का सपना जल्द साकार हो सके और यह क्षेत्र अपनी ऐतिहासिक गरिमा और प्रशासनिक पहचान दोनों को प्राप्त कर सके।