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कार्बेट टाइगर रिजर्व में मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए बैठक का आयोजन

रामनगर(एस पी न्यूज़)। कार्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉ. साकेत बडोला और उप निदेशक राहुल मिश्रा के मार्गदर्शन में वन और वन्यजीवों की सुरक्षा को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक का उद्देश्य मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करना था और क्षेत्र के वनाग्नि सुरक्षा उपायों को मजबूत करना था। यह बैठक कार्बेट टाइगर रिजर्व की बिजरानी रेंज और सन्नगर वन प्रभाग के कोसी रेंज के रिगीडा खत्ता क्षेत्र में आयोजित की गई, जिसमें स्थानीय खत्तावासियों को शामिल किया गया। वन विभाग ने इस मौके पर खत्तावासियों को उनके जीवन में वनों पर निर्भरता कम करने के बारे में जानकारी दी। इसके अलावा, उन्हें अन्य स्वरोजगार के अवसरों के बारे में भी बताया गया ताकि वे अपने जीवन यापन के तरीके को बदल सकें और वनों पर निर्भरता को कम किया जा सके। विभाग ने खत्तावासियों को सिलाई, मोमबत्ती, धूपबत्ती, अगरबत्ती बनाने जैसे प्रशिक्षण देने का आश्वासन दिया, जिससे वे नए हुनर सीखकर अपने जीवन स्तर को सुधार सकें और वन्यजीवों से संघर्ष को कम किया जा सके।

वन विभाग के अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि वनों में आग लगने से बचने के लिए कुछ कदम उठाए जाने चाहिए। इसके तहत खत्तावासियों को यह सलाह दी गई कि वे अपने घरों के पास आग न जलाएं और न ही कूड़ा जलाने की आदत डालें, क्योंकि इससे वनाग्नि की समस्या और अधिक गंभीर हो सकती है। विभाग ने यह भी कहा कि अगर किसी भी प्रकार का कूड़ा जलाया जाता है, तो उसे तुरंत बुझा दिया जाए। इस बैठक में वन क्षेत्राधिकारी मानु प्रकाश हर्बाेला ने वनाग्नि से बचाव के उपायों पर चर्चा की और बताया कि यदि कोई घटना होती है, तो स्थानीय बीट स्टाफ को सूचित किया जाए। खत्तावासियों ने वन विभाग से इस दिशा में पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया, जिससे भविष्य में वन्यजीवों और मानवों के बीच संघर्ष कम हो सके।

इस बैठक का उद्देश्य केवल वनाग्नि को नियंत्रित करना ही नहीं था, बल्कि इसने स्थानीय समुदाय को यह संदेश भी दिया कि वे वनों पर अपनी निर्भरता को कम करें। इसके माध्यम से वन विभाग ने उन्हें न केवल वन्यजीवों से संघर्ष को कम करने के तरीके बताए, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि स्थानीय लोगों के पास रोजगार के नए अवसर हों, जिससे वे अपनी आजीविका को सुदृढ़ कर सकें। इस अवसर पर खत्तावासियों को प्रशिक्षण दिया गया कि वे किस तरह से प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करते हुए अपनी आजीविका चला सकते हैं। इससे न केवल वन्यजीवों के प्रति उनका व्यवहार बदल सकेगा, बल्कि वन विभाग को भी लोगों का सहयोग मिलेगा, जो वन्यजीवों और मानवों के बीच सद्भाव बनाए रखने में मदद करेगा।

गोष्ठी में उपस्थित अधिकारियों ने यह भी आश्वासन दिया कि वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे और साथ ही साथ स्थानीय समुदाय के जीवन में सुधार लाने के लिए कई योजनाएं बनाई जाएंगी। इस बैठक के दौरान सभी उपस्थितों ने वन सुरक्षा के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लिया और वन्यजीवों की सुरक्षा में अपना सहयोग देने का वचन लिया। बैठक में कई अन्य अधिकारियों ने भी अपने विचार साझा किए और यह सुनिश्चित किया कि आगे भी इस तरह की बैठकें आयोजित की जाएंगी ताकि वन सुरक्षा को और प्रभावी बनाया जा सके।

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