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कांवड़ मेले में शिवभक्तों की आस्था के लिए हरिद्वार में शराब पर पड़ा पर्दा

सात करोड़ भक्तों की भावनाओं का सम्मान, हरिद्वार प्रशासन ने कांवड़ मार्ग की 48 शराब दुकानों को पूरी तरह ढकने का आदेश दिया

हरिद्वार। नगरी एक बार फिर सावन के पवित्र कांवड़ मेले की तैयारियों में डूबी हुई है। आगामी 11 जुलाई से शुरू हो रहे इस विशाल आयोजन में इस बार सात करोड़ के करीब शिवभक्तों के उमड़ने की संभावना जताई जा रही है। देशभर से आने वाले ये भक्त मां गंगा का पावन जल लेकर भगवान शिव को अर्पित करने हरिद्वार पहुंचते हैं। ऐसे में प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों के साथ आबकारी विभाग भी पूरे सतर्क मोड में नजर आ रहा है। इस बार यात्रा की धार्मिक गरिमा को बनाए रखने के लिए आबकारी विभाग ने एक बड़ा निर्णय लिया है, जो अब चर्चा का विषय बन गया है। जिले में कांवड़ मार्ग से सटी सभी शराब की दुकानों को पूरी तरह से पर्दे से ढकने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि श्रद्धालुओं की आस्था आहत न हो और यात्रा में मर्यादा बनी रहे।

हरिद्वार जनपद के आबकारी विभाग ने इस संदर्भ में पूरी तैयारी कर ली है। जिला आबकारी अधिकारी कैलाश चंद्र बिंजोला ने स्पष्ट किया है कि यह फैसला कांवड़ मेले की पवित्रता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। उन्होंने बताया कि हरिद्वार जिले में जो भी शराब की दुकानें कांवड़ मार्ग पर स्थित हैं, उनकी कुल संख्या 48 है। इनमें देशी और अंग्रेजी दोनों प्रकार की दुकानें शामिल हैं। इन सभी पर 11 जुलाई से महाशिवरात्रि यानी 23 जुलाई तक मोटे पर्दे टांगे जाएंगे। अधिकारियों का मानना है कि इस व्यवस्था से शराब बिक्री में लगभग 20 से 25 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है, मगर विभाग ने साफ किया है कि शिवभक्तों की भावना सर्वाेपरि है, और धार्मिक श्रद्धा के सामने व्यवसायिक नुकसान कोई मायने नहीं रखता।

कांवड़ यात्रा के दौरान सिर्फ सतही साफ-सफाई और सुरक्षा व्यवस्था ही नहीं, बल्कि नैतिकता और सामाजिक चेतना की भी कड़ी परीक्षा होती है। इसलिए इस बार प्रशासन ने हर उस तत्व को नियंत्रित करने की ठानी है, जो इस पुण्य यात्रा की गरिमा को प्रभावित कर सकता है। कैलाश चंद्र बिंजोला ने यह भी जानकारी दी कि विभाग ने सिर्फ वैध शराब दुकानों तक ही सीमित नहीं रखा है, बल्कि अवैध शराब की तस्करी पर भी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। जिला स्तर पर एक व्यापक अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें सूचना मिलने पर त्वरित कार्रवाई करते हुए अवैध शराब के अड्डों पर दबिश दी जा रही है और बरामद कच्ची शराब को मौके पर नष्ट किया जा रहा है। इससे यह संकेत साफ है कि विभाग कांवड़ मेले को एक पूर्णतः धार्मिक और मर्यादित स्वरूप देने को प्रतिबद्ध है।

हरिद्वार जैसे आस्था के केन्द्र में जब करोड़ों श्रद्धालु जुटते हैं, तब व्यवस्थाओं की कसौटी भी उसी अनुपात में कठिन हो जाती है। यह वही कांवड़ यात्रा है, जिसमें सिर्फ उत्तर भारत से ही नहीं बल्कि देश के हर कोने से शिवभक्त हरिद्वार की ओर चल पड़ते हैं। ये भक्त अनेक किलोमीटर की यात्रा पैदल तय करते हैं, और उनके रास्ते को पवित्र बनाए रखना प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है। इसीलिए इस बार जिले के हर उस हिस्से पर नज़र रखी जा रही है, जो कांवड़ मार्ग के करीब है। शराब की दुकानों को ढकने का फैसला प्रतीकात्मक नहीं बल्कि एक सशक्त संदेश भी हैकृकि सरकार और प्रशासन, आस्था के मार्ग में किसी भी तरह की व्यावसायिक या भौतिक विघ्न को स्वीकार नहीं करेगा।

इस पूरे कदम से यह भी जाहिर होता है कि वर्तमान प्रशासन धार्मिक आयोजनों के प्रति सिर्फ घोषणाओं तक सीमित नहीं रहना चाहता, बल्कि ठोस कार्यवाही में विश्वास करता है। कैलाश चंद्र बिंजोला जैसे जिम्मेदार अधिकारी जब खुद आगे बढ़कर इस तरह के फैसलों की निगरानी करते हैं, तब यह भरोसा और मजबूत हो जाता है कि कांवड़ यात्रा जैसी महायात्रा को अपवित्र करने वाले तत्वों के लिए कोई जगह नहीं रहेगी। एक ओर पर्दे के पीछे शराब की बिक्री सीमित हो जाएगी, वहीं दूसरी ओर अवैध शराब के खिलाफ चल रहे अभियान से हरिद्वार की पवित्रता में और अधिक निखार आएगा। ऐसे ठोस निर्णयों से ही यात्राएं सिर्फ भीड़ का समूह नहीं रहतीं, बल्कि संस्कारों की गंगा बन जाती हैं।

कुल मिलाकर, हरिद्वार प्रशासन और आबकारी विभाग का यह निर्णय यात्रा मार्ग को धर्म और मर्यादा की दृष्टि से सुरक्षित करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम माना जा सकता है। कांवड़ मेले की गरिमा को अक्षुण्ण रखने के लिए शराब की दुकानों पर पर्दा डालना एक साधारण कदम नहीं, बल्कि श्रद्धा और शासन के बीच तालमेल का सशक्त उदाहरण है। अब देखना होगा कि क्या अन्य जिलों में भी इस तरह के निर्णय लिए जाएंगे, ताकि समूचा कांवड़ मार्ग एक सशक्त धार्मिक अनुशासन की मिसाल बन सके। आगामी दिनों में जिस तरह की भक्तों की भीड़ उमड़ने वाली है, उसमें यह स्पष्ट है कि हरिद्वार का यह निर्णय न केवल स्थानीय स्तर पर सराहा जाएगा, बल्कि यह राष्ट्रीय स्तर पर एक आदर्श बन सकता है।

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