काशीपुर। मंगलवार दोपहर उस वक्त सियासी तपिश से भर उठा, जब विधायक त्रिलोक सिंह चीमा के कार्यालय पर भारतीय जनता पार्टी उत्तराखंड के प्रवक्ता और पूर्व राज्य मंत्री देवेंद्र भसीन ने मीडिया के सामने कांग्रेस पार्टी की साजिशों और उसकी नकारात्मक राजनीति की परतें उधेड़कर रख दीं। यह कोई साधारण प्रेस वार्ता नहीं थी, बल्कि ऐसा राजनीतिक घोषणापत्र था जो देश के मौजूदा माहौल को देखते हुए कांग्रेस की नीयत और उसकी साजिशों को बेपर्दा कर रहा था। देवेंद्र भसीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को भारत की विकास यात्रा का मेरुदंड बताते हुए कहा कि आज भारत एकजुटता के साथ वैश्विक महाशक्ति बनने की दिशा में तेज़ी से बढ़ रहा है, वहीं कांग्रेस पार्टी अपनी नकारात्मक सोच और अवसरवादी रवैये के कारण स्वयं को राजनीति के हाशिये पर धकेल चुकी है। उन्होंने दो टूक कहा कि देश का भविष्य उज्ज्वल है, लेकिन कांग्रेस का राजनैतिक भविष्य अंधकार की ओर सरक चुका है।
आक्रामक लहजे में बोले देवेंद्र भसीन ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि जब पूरा देश पहलगाम हमले की पीड़ा और शोक से झुलस रहा है, जब पर्यटाको का बलिदान हर नागरिक के हृदय को चीर रहा है, उस वक्त कांग्रेस अपने ओछे राजनीतिक एजेंडे को साधने के लिए संविधान बचाओ यात्रा जैसी नाटकबाज़ी कर रही है। उन्होंने कहा कि यह यात्रा दरअसल देश की जनता को भटकाने, भ्रम फैलाने और जनता के आत्मविश्वास को डगमगाने की एक सोची-समझी साजिश है। उन्होंने साफ कहा कि कांग्रेस जैसी पार्टी जो खुद लोकतंत्र और संविधान की हत्या की दोषी है, वह संविधान की रक्षा की बात करे, यह खुद में सबसे बड़ा राजनीतिक मज़ाक है। उनके अनुसार, कांग्रेस की यह यात्रा संविधान के नाम पर देश को अराजकता की ओर धकेलने का पाखंडी अभियान है।
इतिहास के कालखंडों में कांग्रेस की भूमिका को रेखांकित करते हुए देवेंद्र भसीन ने कहा कि अगर भारत के लोकतंत्र का कोई सबसे काला अध्याय है तो वह 1975 में थोपे गए आपातकाल के रूप में सामने आया था, जिसके जिम्मेदार और रचनाकार कोई और नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी थी। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने सिंहासन को बचाने के लिए देश की न्यायपालिका, संसद, प्रेस और जनता की आज़ादी को कुचल दिया था। उन्होंने कहा कि उस दौर में लोकतंत्र को दमित किया गया, प्रेस की आज़ादी पर पहरा बिठाया गया और विपक्षी नेताओं को जेल में ठूंस दिया गया। ऐसे दल के द्वारा संविधान बचाने की बात करना, लोकतंत्र का मखौल उड़ाने के बराबर है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस वही पार्टी है जिसने संविधान की आत्मा से बार-बार खिलवाड़ किया।
देवेंद्र भसीन ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि धारा 356 का कांग्रेस द्वारा जैसा दुरुपयोग हुआ, वैसा उदाहरण दुनिया की किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में नहीं मिलेगा। उन्होंने बताया कि इस धारा के अंतर्गत अब तक देश में 124 बार सरकारों को बर्खास्त किया गया, जिनमें से 102 बार अकेली कांग्रेस या कांग्रेस के समर्थन वाली सरकारें जिम्मेदार रहीं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने इस धारा को अपने राजनीतिक लाभ के लिए खिलौने की तरह इस्तेमाल किया और जनता की चुनी हुई सरकारों को गिराने का घिनौना खेल खेला। यह दर्शाता है कि कांग्रेस का संविधान और लोकतंत्र से कोई लेना-देना नहीं, बल्कि वह सिर्फ सत्ता की भूखी पार्टी है जो लोकतांत्रिक संस्थाओं को हथियार बनाकर राजनीति करती है।
देवेंद्र भसीन ने कहा कि वर्ष 1975 से लेकर अब तक कांग्रेस ने संविधान से छेड़छाड़ का लंबा और काला इतिहास रच दिया है। देवेंद्र भसीन ने कहा कि इंदिरा गांधी ने संसद की कार्यकाल अवधि को 5 साल से बढ़ाकर 6 साल कर दिया और ऐसे प्रस्ताव भी लाए गए जिनमें उन्हें आजीवन प्रधानमंत्री बनाए जाने की साजिशें शामिल थीं। उन्होंने कहा कि संविधान की मूल प्रस्तावना में छेड़छाड़ करते हुए ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द जोड़ दिए गए, जो मूल भावना के खिलाफ था। इतना ही नहीं, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को लागू कर एक देश में दो संविधान, दो प्रधान और दो विधान जैसी विभाजनकारी व्यवस्था की नींव कांग्रेस ने ही रखी थी, जिसने कश्मीर को आतंकवाद की भट्टी में झोंक दिया।
देवेंद्र भसीन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जब भारतीय जनता पार्टी ने तीन तलाक जैसे सामाजिक अभिशाप को समाप्त कर मुस्लिम महिलाओं को नया जीवन दिया, तब कांग्रेस की तुलना में यह ऐतिहासिक सुधार था। देवेंद्र भसीन ने याद दिलाया कि कांग्रेस ने अपने दो-तिहाई बहुमत का दुरुपयोग कर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को पलटकर शाहबानो जैसी बुजुर्ग मुस्लिम महिला के साथ नाइंसाफी की थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए न्यायपालिका तक की अवहेलना की और अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए संविधान की आत्मा को रौंदा। इससे बड़ा संवैधानिक अपराध और क्या हो सकता है?
भसीन ने कहा कि कांग्रेस ने तो प्रधानमंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय तक को अपमानित किया। उन्होंने बताया कि किस तरह सोनिया गांधी के इशारे पर नेशनल एडवाइजरी काउंसिल बनाई गई और ‘सुपर पीएम’ की तरह वह मनमोहन सिंह को संचालित करती रहीं। उन्होंने कहा कि देश और दुनिया ने देखा कि कैसे लोकतांत्रिक ढांचे के भीतर ‘रिमोट कंट्रोल’ से सरकार चलाई जाती थी। भसीन ने यह भी कहा कि राहुल गांधी जैसे नेता संविधान की रक्षा की बात करते हैं, जबकि वे स्वयं सार्वजनिक मंच से अपनी ही सरकार के अध्यादेश को फाड़कर संवैधानिक मर्यादाओं का मखौल बना चुके हैं।
भारतीय लोकतंत्र की छवि को बार-बार कलंकित करने वाले कृत्यों का जिक्र करते हुए देवेंद्र भसीन ने बताया कि कैसे कांग्रेस नेताओं ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति तक का अपमान करने से गुरेज़ नहीं किया। उन्होंने कहा कि यह वही पार्टी है जिसने बाबा साहेब अंबेडकर की 125वीं जयंती तक का विरोध किया और संविधान दिवस को मनाने के फैसले पर आपत्ति जताई। ऐसी पार्टी किस नैतिकता से संविधान की रक्षा का दावा कर सकती है? उन्होंने कहा कि जब-जब कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई, तब-तब उसने ईवीएम, चुनाव आयोग, न्यायपालिका, सीएजी, ईडी, सीबीआई जैसी संवैधानिक संस्थाओं की निष्पक्षता पर सवाल उठाकर देश की लोकतांत्रिक संरचना को कमजोर करने की कोशिश की है।
देवेंद्र भसीन ने कांग्रेस के आरोपों को न केवल झूठा बताया, बल्कि यह भी कहा कि पार्टी ने सेना जैसे गौरवशाली संस्थानों को भी नहीं बख्शा। उन्होंने याद दिलाया कि कांग्रेस नेताओं ने सेना प्रमुख बिपिन रावत को ‘सड़क का गुंडा’ कहा, सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाए और यहां तक कि सीमाओं पर तैनात जवानों की वीरता को भी कमतर कर दिखाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने राफेल जैसे मुद्दे पर झूठ फैलाकर देश की सुरक्षा से खिलवाड़ किया और अंत में राहुल गांधी को अदालत में माफी मांगनी पड़ी।
इतिहास के और गहरे पन्नों में जाते हुए देवेंद्र भसीन ने बताया कि 1949 में कांग्रेस ने अनुच्छेद 370 को लागू कर कश्मीर को देश की मुख्यधारा से अलग करने का पाप किया। फिर 1954 में मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए वक्फ कानून लाया गया और 2013 में उसमें ऐसा संशोधन कर दिया गया जिससे वक्फ बोर्ड जमीन माफिया जैसा बन गया। उन्होंने कहा कि 1975 में जब हाई कोर्ट ने इंदिरा गांधी के खिलाफ फैसला सुनाया तो उन्होंने देश में आपातकाल थोप दिया और उस दौरान ऐसे-ऐसे संविधान संशोधन किए गए, जो आज भी लागू होते तो लोकतंत्र पूरी तरह खत्म हो जाता। यह कांग्रेस की सच्ची पहचान है।
देवेंद्र भसीन ने कहा कि राजीव गांधी के कार्यकाल में भी कांग्रेस का संविधान से दुश्मनी वाला व्यवहार जारी रहा। 1985 में शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटना, 1988 में प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के लिए मानहानि विरोधी कानून लाना, सब इस बात के गवाह हैं कि कांग्रेस ने हमेशा संविधान की भावना को रौंदने का काम किया। मनमोहन सरकार के कार्यकाल में वक्फ बोर्ड को भूमाफिया में तब्दील करना और प्रधानमंत्री को कमजोर कर सलाहकार समिति बनाकर सोनिया गांधी को ‘सुपर पीएम’ बनाना कांग्रेस की लोकतंत्र विरोधी सोच को उजागर करता है। कांग्रेस ने संविधान, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति तक को अपमानित किया है।
देवेंद्र भसीन ने कहा कि कांग्रेस का मकसद संविधान बचाना नहीं बल्कि अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाने के लिए संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम कर लोकतंत्र को गुमराह करना है। देवेंद्र भसीन ने कहा कि कांग्रेस की कथनी-करनी का ने स्पष्ट कर दिया कि भारत अब पुराने सियासी षड्यंत्रों के युग में नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक नए युग की ओर बढ़ रहा है-जहाँ संविधान की रक्षा सिर्फ नारे नहीं, एक संकल्प बन चुका है।
इस प्रेस वार्ता के दौरान नज़ारा पूरी तरह से भारतीय जनता पार्टी की ताक़त और एकजुटता का प्रतीक बन चुका था, जब विधायक त्रिलोक सिंह चीमा की अगुवाई में वरिष्ठ नेताओं की एक मज़बूत कतार मंच की शोभा बढ़ा रही थी। उनके साथ मंच पर पूर्व विधायक हरभजन सिंह चीमा की गरिमामयी उपस्थिति ने राजनीति के अनुभवी आयाम को दर्शाया, जबकि प्रदेश मंत्री गुरविंदर सिंह चंडोक की मौजूदगी ने कार्यक्रम को संगठनात्मक मजबूती का संदेश दिया। काशीपुर भारतीय जनता पार्टी के ज़िला अध्यक्ष मनोज पाल की दमदार उपस्थिति ने ज़मीनी कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया, वहीं ज़िला मंत्री महोन बिष्ट की सहभागिता ने कार्यकर्ताओं में समर्पण की भावना को और सुदृढ़ किया। इन सभी नेताओं की सामूहिक उपस्थिति से यह स्पष्ट हो गया कि भाजपा का यह कार्यक्रम सिर्फ एक प्रेस वार्ता नहीं, बल्कि पार्टी की एकजुटता और विचारधारा का सशक्त मंचन था।