spot_img
दुनिया में जो बदलाव आप देखना चाहते हैं, वह खुद बनिए. - महात्मा गांधी
Homeउत्तराखंडकांग्रेस की जय हिंद सभा में सेना के शौर्य को सलाम और...

कांग्रेस की जय हिंद सभा में सेना के शौर्य को सलाम और केंद्र पर सियासी हमला

ऑपरेशन सिंदूर की बहादुरी को समर्पित सभा में कांग्रेस ने ट्रम्प का उड़ाया मजाक, भाजपा पर सेना के नाम पर राजनीति का लगाया आरोप।

हल्द्वानी। रामलीला मैदान रविवार को एक अलग ही जोश और जुनून से भर उठा, जब कांग्रेस पार्टी ने ‘जय हिंद सभा’ का आयोजन करते हुए भारतीय सेना की वीरता और अदम्य साहस का सम्मान किया। यह आयोजन न केवल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भाग लेने वाले जांबाजों को समर्पित था, बल्कि एक राजनीतिक मंच के रूप में भी उभरा, जहां कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता एकजुट होकर अपने तेवरों में केंद्र सरकार पर निशाना साधते नजर आए। कार्यक्रम के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की तस्वीर का उपहास उड़ाते हुए तीखा विरोध दर्ज कराया गया, जिससे यह संकेत मिला कि कांग्रेस अब अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर भी मुखर प्रतिक्रिया देने से पीछे नहीं हट रही। इस सभा ने एक तरफ जहां देशभक्ति की भावना से लोगों को जोड़ने का प्रयास किया, वहीं दूसरी ओर भाजपा की नीतियों और उसकी रणनीतियों पर सीधा प्रहार करने का मौका भी कांग्रेस को मिला। हजारों की संख्या में मौजूद कांग्रेस समर्थकों और पूर्व सैनिकों की भीड़ ने माहौल को देशप्रेम और आक्रोश की मिली-जुली ऊर्जा से भर दिया।

राज्य की राजनीति में मजबूत पकड़ रखने वाले वरिष्ठ नेता जैसे उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष करण माहरा, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, राष्ट्रीय महासचिव काजी निजामुद्दीन, सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी एवं कांग्रेस नेता रोहित चौधरी, हल्द्वानी से विधायक सुमित हृदयेश समेत कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्र के दर्जनों प्रभावशाली विधायकों ने इस आयोजन में भाग लेकर एकता का प्रदर्शन किया। उनकी उपस्थिति ने यह स्पष्ट कर दिया कि कांग्रेस अब मैदान में केवल नारों से नहीं, बल्कि संगठित रणनीति और जमीनी पकड़ के साथ उतरने को तैयार है। यह सभा केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि एक संकल्प थाकृसेना के सम्मान की रक्षा का, और केंद्र सरकार की चुप्पी और राजनीति पर सवाल उठाने का। इस अवसर पर नेताओं ने सेना की बहादुरी को नमन करते हुए जोर देकर कहा कि देश की रक्षा में लगे जवानों को केवल मंच से प्रशंसा नहीं, बल्कि ठोस नीतिगत समर्थन की आवश्यकता है।

कार्यक्रम के दौरान नेताओं ने एक के बाद एक भाषणों में यह दोहराया कि भारतीय सेना ने हर मोर्चे पर देश की रक्षा की है, चाहे वह कारगिल की ऊंचाइयों पर हो या सीमाओं पर चल रहे मौजूदा ऑपरेशनों में। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर उन्होंने गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि यह अभियान भारत की सैन्य क्षमता का प्रमाण है और यही कारण है कि इस पर राजनीति करने के बजाय, इसे सम्मान और श्रद्धा से देखा जाना चाहिए। लेकिन अफसोसजनक यह है कि भाजपा बार-बार सेना के नाम पर चुनावी फायदे लेने की रणनीति अपनाती रही है, जिससे ना केवल सैन्य प्रतिष्ठानों की गरिमा प्रभावित होती है, बल्कि आम जनमानस में भ्रम भी उत्पन्न होता है। वक्ताओं ने कहा कि जब-जब देश संकट में आया है, सेना ने बलिदान देने में कभी पीछे नहीं हटाया, लेकिन राजनीतिक दलों को यह याद रखना चाहिए कि शौर्य और त्याग किसी दल की जागीर नहीं होते।

पत्रकारों से बातचीत के दौरान कांग्रेस नेताओं ने केंद्र सरकार पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा युद्धविराम की घोषणा करना और विदेश मंत्री के माध्यम से भारत की सैन्य कार्रवाई की पूर्व जानकारी साझा करना बेहद गंभीर और संवेदनशील मामला है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या भारत अब इतना कमजोर हो गया है कि उसकी सैन्य योजनाएं अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पहले ही सामने आ जाती हैं? यह स्थिति देश की सुरक्षा और रणनीतिक नीति पर गहरे प्रश्नचिन्ह खड़े करती है। उनका कहना था कि इस मामले पर केंद्र सरकार को अविलंब देश को स्पष्टीकरण देना चाहिए, क्योंकि इससे न केवल भारत की अंतरराष्ट्रीय साख प्रभावित हो रही है, बल्कि सेना के ऑपरेशनों की गोपनीयता भी खतरे में पड़ रही है। इस सभा के माध्यम से कांग्रेस ने यह संदेश स्पष्ट रूप से दिया कि वह केवल विपक्ष की भूमिका में नहीं, बल्कि एक सतर्क प्रहरी के रूप में कार्य कर रही है, जो हर उस विषय पर सवाल उठाएगी, जहां देशहित दांव पर लगे।

‘जय हिंद सभा’ में उमड़े जनसैलाब ने यह जता दिया कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं में न केवल जोश है, बल्कि एकजुटता और संगठित शक्ति भी है। कुमाऊं और गढ़वाल मंडल से आए हजारों कार्यकर्ताओं की उपस्थिति यह दर्शाती है कि कांग्रेस संगठनात्मक रूप से अब मैदान में सक्रिय हो चुकी है। पूर्व सैनिकों की भारी भागीदारी ने इस सभा को केवल राजनीतिक आयोजन न रखकर एक सैन्य श्रद्धांजलि में बदल दिया। उनके चेहरे पर देश के प्रति सम्मान, और भाजपा सरकार की चुप्पी पर नाराजगी साफ झलक रही थी। इस आयोजन से यह स्पष्ट हो गया कि आने वाले चुनावी समय में कांग्रेस न केवल मुद्दों को उठाएगी, बल्कि उन्हें जमीन पर ले जाकर जन आंदोलन का रूप देने में भी पीछे नहीं हटेगी। कांग्रेस ने इस सभा के माध्यम से राजनीतिक विरोध से आगे जाकर एक वैचारिक दिशा में बढ़ने का संकेत दे दिया है, जहां राष्ट्रहित, सैन्य सम्मान और लोकतांत्रिक जवाबदेही को सबसे ऊपर रखा गया है।

संबंधित ख़बरें
गणतंत्र दिवस की शुभकामना
75वां गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ

लेटेस्ट

ख़ास ख़बरें

error: Content is protected !!