देहरादून(एस पी न्यूज़)। उत्तराखंड की धरती ने एक बार फिर ऐतिहासिक मिसाल पेश की है। प्रदेश की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू कर, इसे अपनाने वाला भारत का पहला राज्य बना दिया है। यह कदम न केवल सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करता है, बल्कि व्यक्तिगत अधिकारों को भी प्राथमिकता देता है। नए प्रावधान शादी, तलाक, उत्तराधिकार, वसीयत और लिव-इन रिलेशनशिप जैसे विषयों को नियंत्रित करते हुए समाज में समरसता और समानता लाने का वादा करते हैं। सबसे खास बात यह है कि UCC के तहत सेना के जवानों के लिए खास प्रावधान किए गए हैं। “विशेषाधिकार प्राप्त वसीयत” (Privileged Will) के तहत सैनिकों, वायुसेना कर्मियों और मरीन के लिए सरल और लचीले नियम बनाए गए हैं। युद्ध जैसी कठिन परिस्थितियों में भी सैनिक अपनी वसीयत को मौखिक या लिखित रूप में बिना किसी जटिल प्रक्रिया के तैयार कर सकते हैं।
युद्ध के मैदान में, जहां हर पल कीमती होता है, सैनिक अब दो गवाहों की उपस्थिति में मौखिक वसीयत तैयार कर सकते हैं। यह वसीयत तब तक वैध मानी जाएगी जब तक उनकी सक्रिय सेवा जारी है। अगर सैनिक सेवा समाप्त होने के एक महीने बाद तक जीवित रहते हैं, तो यह वसीयत स्वतः अमान्य हो जाएगी। इसके अलावा, अगर सैनिक अपनी इच्छाओं को किसी अन्य व्यक्ति के जरिए लिखवाते हैं और उसे मौखिक रूप से स्वीकार करते हैं, तो भी यह वसीयत वैध मानी जाएगी। सैनिकों की सेवा के दौरान उनकी इच्छाओं को प्राथमिकता देने के लिए यह प्रावधान उनकी बलिदानी भावना और परिवार के प्रति उनके कर्तव्यों का सम्मान करता है।UCC ने इस प्रक्रिया को सरल बनाकर सैनिकों के परिवारों की चिंताओं को कम करने का प्रयास किया है।
अगर कोई सैनिक अपनी वसीयत तैयार करने से पहले लिखित निर्देश देता है और दुर्भाग्यवश उसकी मृत्यु हो जाती है, तो उसके निर्देश को भी वसीयत माना जाएगा। इस शर्त के तहत, यह साबित होना चाहिए कि वह वास्तव में सैनिक की इच्छाएं थीं। इस प्रावधान ने सैनिकों और उनके परिवारों के बीच विश्वास और सुरक्षा की भावना को और अधिक मजबूत कर दिया है। इसमें एक और खास बात यह है कि सैनिक अपने विशेषाधिकार प्राप्त वसीयत को किसी भी समय रद्द कर सकते हैं और नई वसीयत बना सकते हैं। इससे यह सुनिश्चित होता है कि उनकी परिस्थितियों और प्राथमिकताओं के अनुसार उनके अधिकार संरक्षित रहेंगे।
UCC का उत्तराखंड में लागू होना न केवल राज्य के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक नई दिशा का संकेत है। यह कदम देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकता है। पुष्कर सिंह धामी सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि सामाजिक समानता, अधिकारों की सुरक्षा और कानून व्यवस्था को मजबूती मिले। उत्तराखंड के इस निर्णय ने साबित कर दिया है कि प्रदेश सामाजिक सुधारों की दिशा में नेतृत्व करने के लिए तैयार है। यह पहल राज्य के नागरिकों और खासतौर पर सैनिकों को अधिक अधिकार और सुरक्षा प्रदान करती है। UCC के इस क्रांतिकारी कदम ने उत्तराखंड को एक नई पहचान दी है, जो पूरे देश में एक उदाहरण प्रस्तुत करता है।