spot_img
दुनिया में जो बदलाव आप देखना चाहते हैं, वह खुद बनिए. - महात्मा गांधी
Homeउत्तराखंडउत्तराखंड में 2969 किमी हाईवे निर्माण से बदलेगी तस्वीर त्रिवेन्द्र ने की...

उत्तराखंड में 2969 किमी हाईवे निर्माण से बदलेगी तस्वीर त्रिवेन्द्र ने की सराहना

नितिन गडकरी ने दी विस्तृत जानकारी, चारधाम परियोजना में देरी पर बताए कारण, त्रिवेन्द्र रावत ने समयबद्ध काम की रखी जोरदार मांग।

नई दिल्ली। उत्तराखंड की पहाड़ी परिस्थितियों में मजबूत और टिकाऊ सड़क नेटवर्क का निर्माण एक दीर्घकालिक चुनौती रही है, लेकिन केंद्र सरकार के निरंतर प्रयासों के चलते अब इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति होती दिखाई दे रही है। इसी क्रम में लोकसभा के मानसून सत्र के दौरान हरिद्वार से सांसद एवं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से राज्य के सड़क आधारभूत ढांचे से संबंधित चार बिंदुओं पर जानकारी मांगी। अपने लिखित उत्तर में नितिन गडकरी ने स्पष्ट किया कि वर्ष 2014-15 से जून 2025 तक उत्तराखंड में कुल 2,969 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण और उन्नयन किया जा चुका है। यह आँकड़ा न केवल राज्य की विकास यात्रा में एक मील का पत्थर है, बल्कि यह बताता है कि दुर्गम क्षेत्रों को अब मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में वास्तविक बदलाव आने लगे हैं।

उत्तराखंड की जीवन रेखा माने जाने वाली चारधाम परियोजना पर हो रही देरी के संदर्भ में नितिन गडकरी ने सटीक जवाब देते हुए कहा कि कई बाधाएं इस महत्वपूर्ण योजना की गति में रुकावट बन रही हैं। इनमें वन और पर्यावरण स्वीकृतियों का अदालतों में लंबित होना, भूमि अधिग्रहण में सुस्ती, अचानक आई प्राकृतिक आपदाएं, स्थानीय जनता की मांगों के समाधान में समय लगना और संविदात्मक विवाद शामिल हैं। इन सभी तत्वों ने मिलकर इस महत्वपूर्ण परियोजना को तय समय पर पूर्ण करने में बाधा उत्पन्न की है। फिर भी सरकार की ओर से निरंतर प्रयास जारी हैं कि इन अड़चनों का शीघ्र समाधान हो सके और श्रद्धालु एवं पर्यटक सुरक्षित और सुगम यात्रा का लाभ ले सकें। इस परियोजना की सफलता राज्य के पर्यटन, रोजगार और आर्थिक प्रगति को नई ऊंचाई देने में सहायक होगी।

इसके साथ ही त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा उठाया गया तीसरा सवाल था बाइक टैक्सी नीति को लेकर, जिस पर केंद्रीय मंत्री ने जानकारी दी कि मोटर यान एग्रीगेटर दिशानिर्देश 2025 के अनुसार, राज्य सरकारें गैर-परिवहन श्रेणी की मोटरसाइकिलों को साझा यात्री सेवाओं के लिए अनुमति दे सकती हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उत्तराखंड से इस नीति के खिलाफ अब तक कोई विवाद या शिकायत केंद्र को प्राप्त नहीं हुई है, जो यह दर्शाता है कि राज्य में इस पहल को लेकर किसी प्रकार का प्रशासनिक या सामाजिक गतिरोध नहीं है। यह नीति शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में ट्रैफिक की समस्या को कम करने के साथ-साथ युवाओं को स्वरोजगार का नया रास्ता दे सकती है, जिससे राज्य में आर्थिक रूप से भी सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।

चौथे बिंदु पर बात करते हुए नितिन गडकरी ने बताया कि केंद्र सरकार सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ‘4E नीति’—Education, Engineering, Enforcement और Emergency care को सक्रियता से लागू कर रही है। उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा के लिए क्रैश बैरियर्स, रंबल स्ट्रिप्स, स्पष्ट साइनेज, गति नियंत्रण उपाय, नियमित सड़क सुरक्षा ऑडिट, ब्लैक स्पॉट की पहचान और सुधार, और IRAD परियोजना के तहत दुर्घटनाओं के आंकड़ों का विश्लेषण जैसे प्रभावी उपाय लगातार किए जा रहे हैं। इससे दुर्घटनाओं की संख्या को कम करने और यात्रियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है। इस नीति का उद्देश्य केवल दुर्घटना के बाद की आपात प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि पहले से ही सड़कों को तकनीकी रूप से सुरक्षित बनाना है, जिससे जान-माल की क्षति को न्यूनतम किया जा सके।

त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सदन में उत्तराखंड जैसे संवेदनशील भूगोल वाले राज्य की आवश्यकताओं को लेकर जोरदार तरीके से अपनी बात रखी। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा राज्य के सड़क तंत्र को बेहतर बनाने के लिए की जा रही पहलों की सराहना करते हुए आग्रह किया कि इन परियोजनाओं की समयबद्ध प्रगति सुनिश्चित की जाए, जिससे राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों तक कनेक्टिविटी मजबूत हो सके और जनता को विकास का वास्तविक लाभ मिल सके। उन्होंने विशेष रूप से यह रेखांकित किया कि यदि सड़कें मजबूत, सुरक्षित और टिकाऊ होंगी, तो राज्य में स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और पर्यटन जैसे तमाम क्षेत्रों में स्वाभाविक विकास तेज़ी से संभव हो सकेगा। उनका यह प्रयास राज्य की आवाज़ को केंद्र में मजबूती से उठाने का प्रमाण है और जनता के प्रति उनके उत्तरदायित्व का परिचायक भी।

उत्तराखंड की भौगोलिक जटिलताओं और पर्वतीय चुनौतियों के बीच सड़क निर्माण को केवल एक इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना नहीं, बल्कि जीवन रेखा का विस्तार मानकर केंद्र सरकार की ओर से जो गंभीरता दिखाई गई है, वह निश्चित रूप से स्वागतयोग्य है। अब जब राज्य के प्रतिनिधि भी इस दिशा में सक्रिय पहल कर रहे हैं, तब यह अपेक्षा की जा सकती है कि आने वाले वर्षों में उत्तराखंड का हर कोना मजबूत, सुलभ और सुरक्षित सड़कों से जुड़ेगा—जहां न केवल पर्यटक आसानी से पहुंच सकेंगे, बल्कि आम नागरिकों का जीवन भी सरल और सुरक्षित बन सकेगा।

संबंधित ख़बरें
गणतंत्र दिवस की शुभकामना
75वां गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ

लेटेस्ट

ख़ास ख़बरें

error: Content is protected !!