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उत्तराखंड में 10वीं कक्षा में अनिवार्य होंगे 10 विषय, शिक्षा में होगा बड़ा बदलाव

देहरादून(एस पी न्यूज़)। उत्तराखंड में शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव आने वाला है, क्योंकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत राज्य में नई पाठ्यचर्या तैयार की जा रही है। इस बदलाव के साथ, राज्य सरकार ने 10वीं कक्षा में छात्रों के लिए अनिवार्य विषयों की संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव किया है। अब सरकारी स्कूलों के 10वीं के छात्रों को पांच नहीं, बल्कि दस विषयों का अध्ययन करना होगा। यह बदलाव प्रदेश के शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ी पहल मानी जा रही है, जिसे लेकर शिक्षाविदों और छात्रों में हलचल है। इससे पहले 10वीं कक्षा में पांच विषय अनिवार्य थे, लेकिन अब एससीईआरटी ने इस संख्या को बढ़ाकर दस करने की सिफारिश की है। यह कदम शिक्षा के स्तर को और बेहतर बनाने की दिशा में एक अहम कदम साबित हो सकता है। इसके बाद छात्रों को 11वीं कक्षा में आकर विषय बदलने का विकल्प मिलेगा, ताकि वे अपनी पसंद के अनुसार पाठ्यक्रम का चुनाव कर सकें।

एससीईआरटी द्वारा तैयार की जा रही राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा का ड्राफ्ट अब तैयार किया जा चुका है, और इस पर अंतिम मंजूरी के लिए राज्य सरकार के पास भेजा जाएगा। इस बदलाव के जरिए शिक्षा के स्तर को उन्नत करने और छात्रों को व्यापक ज्ञान प्रदान करने का उद्देश्य रखा गया है। इसके साथ ही, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत छात्रों को तीन भाषाओं का अध्ययन करने का भी अवसर मिलेगा। कक्षा 9 और 10 में तीन भाषाओं को शामिल किया जाएगा, जिनमें दो भारतीय भाषाएं अनिवार्य होंगी। यह बदलाव भारतीय भाषाओं के संरक्षण और उन्हें बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया जा रहा है, ताकि छात्र अपनी मातृभाषाओं को अच्छे से समझ सकें और उनका सम्मान बढ़े।

इसके अतिरिक्त, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान जैसे अन्य महत्वपूर्ण विषयों के लिए भी अलग-अलग समय निर्धारित किया गया है। गणित और विज्ञान के लिए 135-135 घंटे का समय तय किया गया है, जबकि तीन भाषाओं के लिए 70-70 घंटे का समय शैक्षिक सत्र में निर्धारित किया गया है। इस समय-सीमा को सुनिश्चित करके यह प्रयास किया जाएगा कि छात्रों को प्रत्येक विषय में गहरी समझ और ज्ञान प्राप्त हो। स्कूलों में शारीरिक शिक्षा, कला शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा जैसे विषयों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इसके अलावा, छात्रों को कम्यूटेशनल चिंतन और सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों के माध्यम से उनके सोचने और विश्लेषण करने की क्षमता को बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा।

शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, यह बदलाव छात्रों के लिए केवल शिक्षा का स्तर बढ़ाने के उद्देश्य से नहीं किया जा रहा, बल्कि यह उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक ज्ञान और कौशल प्रदान करने का भी एक प्रयास है। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि इस बदलाव के परिणामस्वरूप छात्रों को विभिन्न शैक्षिक और व्यावसायिक क्षेत्र में बेहतर अवसर मिल सकेंगे। इस बदलाव के बाद, छात्र अपनी शिक्षा को एक नए दृष्टिकोण से देखेंगे, जिसमें अधिक विषयों का अध्ययन करना उनके लिए चुनौतीपूर्ण और फायदेमंद होगा। इस बदलाव का एक उद्देश्य यह भी है कि छात्रों को भविष्य के लिए तैयार किया जा सके, ताकि वे किसी भी क्षेत्र में अपनी पहचान बना सकें और दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकें।

एससीईआरटी के अपर निदेशक प्रदीप रावत ने भी इस बदलाव को लेकर अपनी राय दी है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों के आधार पर राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा तैयार की जा रही है। इस बदलाव को सरकार के सामने पेश करने से पहले इसे विभिन्न समितियों के माध्यम से परखा जाएगा। प्रदीप रावत का मानना है कि यह बदलाव शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा, जिससे छात्रों को उच्चतम स्तर की शिक्षा प्राप्त होगी। उनके अनुसार, यह कदम छात्रों को उनके व्यक्तिगत और शैक्षिक विकास में मदद करेगा और राज्य में शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाएगा।

इस कदम से शिक्षा क्षेत्र में एक नई ऊर्जा का संचार होगा, और छात्र अधिक समर्पण के साथ अपने अध्ययन की ओर ध्यान देंगे। यह पहल राज्य की शिक्षा प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव का संकेत देती है, जो छात्रों को सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं, बल्कि उनके सर्वांगीण विकास में सहायक होगी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बदलाव के बाद छात्रों और शिक्षकों पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है और शिक्षा प्रणाली में कितनी सुधार की दिशा में यह कदम सफल होता है।

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