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उत्तराखंड में सिख समुदाय में उबाल–कांग्रेसी पार्षद पर हमला कराने, पगड़ी उतारने और तोड़फोड़ का आरोप

सिख समुदाय का फूटा गुस्सा, सड़कों पर उतरा जनसैलाब – न्याय की गूंज से हिली देवभूमि

काशीपुर। देवभूमि उत्तराखंड, जहां ऋषि-मुनियों की तपोभूमि रही है, वहां सिख समुदाय के एक युवक के साथ जो हुआ, उसने पूरे प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश के सिख समाज को झकझोर कर रख दिया है। कांग्रेस के एक पार्षद के नेतृत्व में संगठित भीड़ द्वारा सिख युवक पर हमला, उसकी पगड़ी उतारने और मारपीट करने की घटना के विरोध में आज सिंह गुरुद्वारा सभा के बैनर तले सिख समुदाय के लोगों ने सड़कों पर उतरकर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। इस घटना को लेकर समुदाय में गहरा आक्रोश है और इसे धार्मिक असहिष्णुता का घिनौना उदाहरण बताया जा रहा है।

आज के विरोध प्रदर्शन में सिख समाज के सैकड़ों लोगों ने एकजुट होकर न केवल दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग उठाई, बल्कि सरकार को चेतावनी भी दी कि यदि जल्द से जल्द न्याय नहीं मिला तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा। प्रदर्शन के दौरान सिंह सभा की ओर से मुख्यमंत्री को उपजिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन भेजा गया, जिसमें साफ तौर पर कहा गया कि देवभूमि उत्तराखंड में ऐसी शर्मनाक घटनाओं को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ज्ञापन में आरोप लगाया गया कि कांग्रेस पार्षद वीरपाल के नेतृत्व में एक संगठित भीड़ ने सिख युवक रघुवीर सिंह को घेर लिया, उसकी पगड़ी उतारकर उसे अपमानित किया और उसके प्रतिष्ठान में तोड़फोड़ मचाई। यह कृत्य न केवल एक व्यक्ति विशेष पर हमला है, बल्कि पूरे सिख समाज की अस्मिता को चोट पहुंचाने वाला है।

रघुवीर सिंह पर हुए इस बर्बर हमले के बाद से सिख समुदाय में भय और गुस्से का माहौल है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस पार्षद वीरपाल के नेतृत्व में करीब सौ से सवा सौ लोगों की भीड़ ने योजनाबद्ध तरीके से इस हमले को अंजाम दिया। इस दौरान न केवल रघुवीर सिंह को बुरी तरह पीटा गया, बल्कि उनकी पगड़ी तक उतार दी गई, जो किसी भी सिख के लिए सबसे बड़ा अपमान माना जाता है। इतना ही नहीं, आरोपियों ने उनके प्रतिष्ठान में घुसकर जमकर तोड़फोड़ मचाई, जिससे लाखों रुपये का नुकसान हुआ। इस घटना को लेकर सिख समुदाय ने सरकार और प्रशासन से पूछा है कि क्या उत्तराखंड में अब धार्मिक अल्पसंख्यकों की आस्था सुरक्षित नहीं रही? क्या एक शांतिप्रिय समुदाय को अब संगठित भीड़ का शिकार होना पड़ेगा? सिंह गुरुद्वारा सभा के नेताओं ने आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग करते हुए कहा कि यदि इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो सिख समाज चुप नहीं बैठेगा।

प्रदर्शन में शामिल लोगों ने सरकार से यह भी सवाल किया कि क्या उत्तराखंड में अब बाहुबलियों को खुली छूट दी जा रही है? अगर यही घटना किसी अन्य समुदाय के साथ होती तो क्या सरकार इतनी ही सुस्त रहती? गुरुद्वारा सभा के प्रतिनिधियों ने साफ कहा कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए, ताकि भविष्य में कोई भी ऐसी दुस्साहसिक हरकत करने की हिम्मत न जुटा सके। सिख समुदाय ने इस पूरे मामले को देवभूमि उत्तराखंड की गरिमा से जोड़ते हुए कहा कि यह राज्य ऋषि-मुनियों की भूमि है, जहां शांति और भाईचारे की परंपरा रही है। लेकिन जब एक धार्मिक समुदाय को इस तरह से अपमानित किया जाता है, तो यह न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है, बल्कि राज्य की छवि को भी धूमिल करता है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सरकार और प्रशासन को तत्काल प्रभाव से दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि प्रदेश में कानून का इकबाल बुलंद रह सके और किसी भी समुदाय में भय का माहौल न बने।

सिंह गुरुद्वारा सभा ने मांग की कि आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर उन पर सख्त से सख्त धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस मामले में प्रशासन ने कोताही बरती तो सिख समुदाय पूरे राज्य में बड़ा आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेगा। प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि उत्तराखंड सरकार को इस मामले को विशेष संज्ञान में लेना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। विरोध प्रदर्शन में सिख समाज के अनेक प्रमुख लोग मौजूद रहे, जिन्होंने इस घटना की कड़ी निंदा की और दोषियों को कड़ी सजा दिलाने की मांग उठाई। इस प्रदर्शन में प्रमुख रूप से जगमोहन सिंह बंटी, सतपाल सिंह आनंद, देवेन्द्र सिंह, बलविंदर सिंह, सर्वजीत सिंह रंधावा, संयोग चावला, कुलविंदर सिंह, परमजीत सिंह, वीरेंद्र पाल सिंह, सुखप्रीत चड्ढा, गुलजार सिंह, पृथ्वीपाल सिंह, चरन जीत, जसपाल सिंह, देवेन्द्र सिंह, मुख्त्यार सिंह, गुरविंदर सिंह चंडोक, दिलप्रीत सिंह सेठी समेत सिख समाज के सैकड़ों लोग मौजूद थे।

ऋषिकेश में हुई शर्मनाक घटना को लेकर सिख समाज में गहरा आक्रोश है। सिंह गुरुद्वारा सभा के वरिष्ठ सदस्य गुरविंदर सिंह चंडोक ने घटना पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि “यह केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि पूरे सिख समाज की अस्मिता और धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा प्रहार है।” उन्होंने प्रशासन और सरकार से पूछा कि क्या अब उत्तराखंड में अल्पसंख्यकों की आस्था सुरक्षित नहीं रही? उन्होंने इस कृत्य को धार्मिक असहिष्णुता की पराकाष्ठा बताया और दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की। गुरविंदर सिंह चंडोक ने स्पष्ट किया कि सिख समुदाय शांति और सौहार्द का समर्थक है, लेकिन यदि प्रशासन निष्क्रिय रहा तो यह अन्याय सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द न्याय नहीं मिला, तो सिख समाज पूरे राज्य में उग्र आंदोलन करेगा। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामले में विशेष संज्ञान लेना चाहिए और आरोपियों पर कठोरतम धाराओं में कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। उन्होंने यह भी कहा कि “हमारी पगड़ी हमारा सम्मान है, इसे छीनने का प्रयास हमारी आस्था पर हमला है।” इस घटना ने पूरे देश के सिख समुदाय को झकझोर कर रख दिया है, और यदि सरकार दोषियों को सजा दिलाने में विफल रही, तो सिख समाज संघर्ष से पीछे नहीं हटेगा।

ऋषिकेश सिंह गुरुद्वारा सभा के प्रमुख सदस्य जगमोहन सिंह बंटी ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि “यह केवल एक व्यक्ति पर अत्याचार नहीं, बल्कि पूरे सिख समाज की धार्मिक स्वतंत्रता और गरिमा पर हमला है।” उन्होंने सरकार और प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि दोषियों पर तुरंत कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो सिख समाज राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ने से पीछे नहीं हटेगा। बंटी ने कहा कि उत्तराखंड, जिसे देवभूमि कहा जाता है, वहां इस तरह की घिनौनी घटनाएं होना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन दोषियों को खुली छूट देता रहा, तो इसका विरोध और तेज होगा। सिख समाज शांति प्रिय है, लेकिन अपमान सहन नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि “हम न्याय के लिए किसी के आगे गिड़गिड़ाएंगे नहीं, बल्कि कानूनी और लोकतांत्रिक तरीके से अपना हक लेकर रहेंगे।” उन्होंने सरकार से अपील की कि इस घटना को हल्के में न लिया जाए, वरना सिख समाज न्याय के लिए सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होगा।

प्रदर्शन के दौरान सिख समाज ने साफ किया कि वे किसी भी कीमत पर इस मामले को हल्के में नहीं लेंगे और दोषियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने के लिए हरसंभव कदम उठाएंगे। इस दौरान धार्मिक भजन-कीर्तन भी किया गया और समूचे समुदाय ने मिलकर इस अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद की। सिख समाज के लोगों ने यह भी कहा कि इस घटना ने पूरे देश में सिख समुदाय को झकझोर कर रख दिया है और अगर सरकार इसे हल्के में लेगी तो आने वाले दिनों में बड़े विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे। अब यह सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह कानून का राज स्थापित करे और दोषियों को कठोर दंड दिलाए। “क्या सरकार इस मामले में दोषियों को सजा दिलाने के लिए कदम उठाएगी या सिख समाज को खुद ही न्याय के लिए आगे आना पड़ेगा?”—यह सवाल आज सिख समुदाय के हर व्यक्ति के मन में गूंज रहा है।

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