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उत्तराखंड में विवाह पंजीकरण अनिवार्य, UCC पोर्टल पर ऐसे करें रजिस्ट्रेशन, जानिए प्रक्रिया और शुल्क की जानकारी

उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू, विवाह रजिस्ट्रेशन अनिवार्य, ऑनलाइन प्रक्रिया से शादी पंजीकरण हुआ सरल और पारदर्शी

देहरादून(एस पी न्यूज़)। देहरादून। उत्तराखंड में 27 जनवरी 2025 से यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू हो गया है, जिसके तहत राज्य के नागरिकों को अब विवाह रजिस्ट्रेशन, तलाक पंजीकरण, और लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य रूप से कराना होगा। इस ऐतिहासिक कदम से राज्य में कानूनी और सामाजिक मामलों में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। अब उत्तराखंड के लोग इस रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड की वेबसाइट (ucc.uk.gov.in) का उपयोग कर सकते हैं, जो विवाह रजिस्ट्रेशन को आसान और पारदर्शी बनाएगा। यूनिफॉर्म सिविल कोड के तहत, जो भी विवाह 27 जनवरी 2025 के बाद होगा, उसका रजिस्ट्रेशन विवाह की तिथि से अगले 60 दिनों के भीतर अनिवार्य रूप से किया जाएगा। अगर इस अवधि के भीतर विवाह रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया, तो रजिस्ट्रेशन के लिए अतिरिक्त लेट शुल्क या फाइन देना होगा। इसके अलावा, जो विवाह 26 मार्च 2010 और 27 जनवरी 2025 के बीच हुए थे, उनका रजिस्ट्रेशन भी छह महीने के भीतर करवाना होगा।

यूसीसी की वेबसाइट पर विवाह रजिस्ट्रेशन का काम बेहद आसान बना दिया गया है, जहां लोग अपने लैपटॉप या मोबाइल फोन के जरिए इस प्रक्रिया को पूरा कर सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति खुद से रजिस्ट्रेशन नहीं कर पाता है, तो वह नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर (सीएसी) में जाकर भी विवाह रजिस्ट्रेशन करा सकता है। हालांकि, सीएसी में रजिस्ट्रेशन करवाने पर अतिरिक्त शुल्क भी देना होगा। विवाह रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू करने से पहले यह जरूरी है कि आपके पास आधार नंबर हो और वह मोबाइल नंबर भी सक्रिय हो, जो आधार से लिंक है। इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए आपको यूसीसी की वेबसाइट (ucc.uk.gov.in) पर लॉगिन करना होगा। होम पेज पर लॉगिन या ‘Apply Now’ का ऑप्शन दिखाई देगा, जिसे क्लिक करके आप रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकते हैं।

अगर आपने पहले से यूसीसी की वेबसाइट पर अकाउंट नहीं बनाया है, तो ‘Do not have an account? Register here’ का ऑप्शन चुनें। इस पर क्लिक करते ही साइन अप का नया पेज खुलेगा, जहां आपको आधार ऑथेंटिकेशन या नॉन-आधार ऑथेंटिकेशन का विकल्प मिलेगा। यदि आप आधार ऑथेंटिकेशन का विकल्प चुनते हैं, तो आपकी जानकारी ऑटोमैटिक रूप से भर जाएगी। इसके बाद आपको अपने आधार नंबर को दर्ज करना होगा और फिर आधार से लिंक मोबाइल नंबर पर भेजे गए OTP को डालकर प्रक्रिया को आगे बढ़ाना होगा। आधार से लिंक मोबाइल नंबर पर भेजे गए 6 अंकों के कोड को डालने के बाद, आपको एक पासवर्ड सेट करना होगा, जिसके जरिए भविष्य में आप लॉगिन कर सकेंगे। इसके बाद, आपको UCC ID मिलेगी, जो आपकी साइन अप प्रक्रिया को पूरा करने का प्रमाण होगी। UCC ID में “UCC” के बाद तारीख और पांच डिजिट का नंबर होगा, जैसे (UCC-250128-×××××)। इसके बाद, आप अपने लॉगिन ID और पासवर्ड के माध्यम से वेबसाइट पर लॉगिन कर सकते हैं।

विवाह रजिस्ट्रेशन के बाद, आपको 3 दिन के भीतर विवाह प्रमाण पत्र प्राप्त हो जाएगा। रजिस्ट्रेशन के लिए दो विकल्प होंगे—‘Standard Service’ और ‘Tatkal Service’। अगर आप स्टैंडर्ड सर्विस का चयन करते हैं, तो आपको 250 रुपए शुल्क भरने होंगे और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया 15 दिन में पूरी हो जाएगी। वहीं, अगर आप तत्काल सेवा (Tatkal Service) का चयन करते हैं, तो आपको 2500 रुपए शुल्क भरना होगा और केवल 3 दिन के भीतर आपका विवाह रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र मिल जाएगा। यह कदम राज्य में विवाह और अन्य कानूनी मामलों की पारदर्शिता को बढ़ाने में सहायक होगा। अब तक, विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं था, जिसके चलते कई लोग रजिस्ट्रेशन कराने में पीछे रहते थे। अब, यूनिफॉर्म सिविल कोड के तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी विवाह पंजीकृत हों, जिससे भविष्य में किसी भी प्रकार की कानूनी समस्याओं से बचा जा सके।

यूनिफॉर्म सिविल कोड का उद्देश्य राज्य में समानता और न्याय सुनिश्चित करना है। अब नागरिकों को विवाह के अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में पूरी जानकारी होगी, साथ ही वे सही तरीके से अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे। यह कदम राज्य में कानून व्यवस्था को और मजबूत करेगा और समाज में कानूनी मामलों को लेकर जागरूकता बढ़ाएगा। यूसीसी के तहत विवाह रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को सरल और सुगम बनाया गया है। अब उत्तराखंड के नागरिकों को विवाह रजिस्ट्रेशन के लिए जटिल प्रक्रियाओं का सामना नहीं करना पड़ेगा। यह पहल राज्य सरकार की एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है, जिससे राज्य में विवाह, तलाक और लिव-इन रिलेशनशिप के मामलों में सुधार आने की उम्मीद है। कुल मिलाकर, यह कदम उत्तराखंड के नागरिकों के लिए एक नई कानूनी व्यवस्था की शुरुआत है, जिसमें पारदर्शिता और समानता को बढ़ावा मिलेगा।

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