देहरादून(एस पी न्यूज़)। उत्तराखंड के जंगलों को अब दुनिया की सबसे एडवांस टेक्नोलॉजी से संरक्षित किया जाएगा। इस पहल के तहत एक अत्याधुनिक फॉरेस्ट फायर एप्लीकेशन का इस्तेमाल किया जाएगा, जिसे भारतीय वन सेवा के अधिकारी वैभव सिंह ने वर्षों की मेहनत के बाद विकसित किया है। कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका जैसे देशों में पहले से ही मौजूद एप्लीकेशनों का गहराई से अध्ययन करने के बाद इस एप को तैयार किया गया है। सबसे अहम बात यह है कि यह एप्लीकेशन जंगलों में आग लगने की स्थिति में तेज और सटीक जानकारी प्रदान करेगा, जिससे रिस्पॉन्स टाइम में करीब 5 से 6 घंटे की कमी आएगी।

भारत में उत्तराखंड वनाग्नि की समस्या से बुरी तरह प्रभावित रहा है। हर साल यहां जंगलों में लगने वाली आग प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन जाती है। सरकार और वन विभाग के लगातार प्रयासों के बावजूद कई बार घने जंगलों में आग पर नियंत्रण पाना बेहद मुश्किल साबित हुआ है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों में जंगलों में आग की विकरालता को देखते हुए इस एप को खासतौर पर डिज़ाइन किया गया है, जिससे यह आग की सटीक लोकेशन, वन क्षेत्र की श्रेणी, मौसम की स्थिति और कर्मचारियों की लाइव लोकेशन को तुरंत ट्रैक कर सके। यह एप अब उत्तराखंड के वन विभाग द्वारा आधिकारिक रूप से अपनाया जा चुका है और इसे प्रदेशभर में लागू किया जाएगा।
आईएफएस अधिकारी वैभव सिंह ने इस एप्लीकेशन को विकसित करने में कई सालों तक रिसर्च की। उन्होंने फायर इकोलॉजिस्ट के साथ मिलकर कनाडा में भी अध्ययन किया, जहां तीन महीने तक एप्लीकेशन की मूल संरचना तैयार की गई। इसके बाद, ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका और अन्य देशों के फॉरेस्ट फायर मैनेजमेंट सिस्टम का गहन विश्लेषण किया गया। इस प्रक्रिया के दौरान उन्होंने अलग-अलग तकनीकों को परखा और उनके प्रभावों का मूल्यांकन किया। आखिरकार, उत्तराखंड के भौगोलिक और पारिस्थितिकीय परिस्थितियों के अनुरूप इस अत्याधुनिक एप्लीकेशन का निर्माण किया गया।

इस एप्लीकेशन की विशेषताओं की बात करें तो इसमें कई ऐसी खूबियां हैं, जो इसे दुनिया के अन्य फॉरेस्ट फायर एप्लीकेशनों से अलग बनाती हैं। इस एप के माध्यम से पूरे राज्य में जंगलों में लगने वाली आग की निगरानी की जा सकेगी। इसके जरिए आग लगने की सटीक लोकेशन की सूचना पहले की तुलना में बहुत जल्दी संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों तक पहुंचाई जाएगी। खास बात यह है कि कर्मचारियों की लाइव लोकेशन को भी यह एप ट्रैक करेगा, जिससे किसी भी आपातकालीन स्थिति में त्वरित और प्रभावी कदम उठाए जा सकें। इसके अलावा, 40 से अधिक वन विभाग के वाहनों को इस एप्लीकेशन से जोड़ा जाएगा, जिससे उनकी लोकेशन की रियल-टाइम जानकारी उपलब्ध होगी।
वन विभाग ने इस एप को पहले ट्रायल के रूप में साल 2020 से 2022 तक रुद्रप्रयाग में लागू किया था, जहां इसने बेहद शानदार परिणाम दिए। उस दौरान यह देखा गया कि एप्लीकेशन के माध्यम से कर्मचारियों को जंगल में आग लगने की सूचना बहुत जल्दी मिल रही थी, जिससे वे समय रहते आग को काबू में ला सके। अब इस एप का विस्तार पूरे उत्तराखंड में किया जा रहा है। वन विभाग के अनुसार, यह एप भविष्य में अन्य राज्यों में भी लागू किया जा सकता है, जिससे पूरे देश में जंगलों की सुरक्षा को नई मजबूती मिलेगी।

फॉरेस्ट फायर एप्लीकेशन में एक और खास फीचर यह जोड़ा गया है कि इसमें वन क्षेत्रों की श्रेणी और उनके प्रकार की जानकारी भी उपलब्ध होगी। इससे यह पता चल सकेगा कि आग किन प्रकार के जंगलों में लगी हैकृचीड़ के जंगलों में, बांज के जंगलों में या किसी अन्य प्रकार के वन में। इसके साथ ही, यह एप वन विभाग को जीपीएस के माध्यम से जंगलों में गश्त कर रहे वाहनों की स्थिति से भी अवगत कराएगा। यह एप न केवल कर्मचारियों के लिए उपयोगी होगा, बल्कि आम जनता को भी इसमें शामिल किया जाएगा। कोई भी नागरिक जंगल में आग लगने की सूचना इस एप के माध्यम से दे सकेगा, जिससे आग लगने की घटनाओं पर जल्द नियंत्रण पाया जा सकेगा।
उत्तराखंड के एपीसीसीएफ निशांत वर्मा का कहना है कि यह एप वन विभाग के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा। इसे इंटीग्रेटेड कमांड सेंटर के डैशबोर्ड से जोड़ा गया है, जिससे पूरे प्रदेश की वन संबंधी गतिविधियों पर सीधी नजर रखी जा सकेगी। एप में चौकियों, निगरानी टावर्स और अन्य वन संरचनाओं की भी जानकारी उपलब्ध कराई गई है, जिससे आपात स्थिति में विभाग तुरंत कार्रवाई कर सके।

फॉरेस्ट फायर एप्लीकेशन की एक और अनोखी विशेषता यह है कि यह सेटेलाइट से प्राप्त जानकारी को सीधे एप में अपडेट करेगा। पहले आग लगने की सूचना कर्मचारियों तक पहुंचने में काफी समय लगता था, लेकिन अब सेटेलाइट के माध्यम से मिली जानकारी तुरंत एप पर उपलब्ध होगी। इतना ही नहीं, एप्लीकेशन फॉल्स अलर्ट को भी फिल्टर करेगा, जिससे केवल वास्तविक घटनाओं पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। इसके अलावा, भारत सरकार के मौसम विभाग के साथ हुए अनुबंध के तहत, इस एप में मौसम की स्थिति की भविष्यवाणी की भी सुविधा दी गई है, जिससे वन विभाग को पहले से सतर्क रहने का मौका मिलेगा।
फिलहाल उत्तराखंड में पहली बार इस तरह के एडवांस एप का इस्तेमाल किया जा रहा है और इसे लेकर वन विभाग पूरी तरह से आशान्वित है। अगर यह एप उम्मीदों पर खरा उतरता है, तो इसे अन्य राज्यों में भी लागू करने पर विचार किया जाएगा। वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए यह एप भविष्य में एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है।