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उत्तराखंड में बदला मौसम का मिजाज, कमजोर पश्चिमी विक्षोभ से बढ़ा तापमान और घटी बर्फबारी

जलवायु परिवर्तन के असर से उत्तराखंड में सर्दियों का बदला पैटर्न, बारिश और बर्फबारी में भारी गिरावट, वैज्ञानिकों ने जताई चिंता

रामनगर(एस पी न्यूज़)। यहां उत्तराखंड का मौसम फिर करवट लेता नजर आ रहा है, जहां प्रदेश के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश होने की संभावना जताई गई है। मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़, बागेश्वर, अल्मोड़ा, नैनीताल, चंपावत और ऊधमसिंह नगर में हल्की बारिश देखने को मिल सकती है, जबकि बाकी जिलों में मौसम सामान्य और शुष्क बना रहेगा। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि यह बदलाव अस्थायी हो सकता है, लेकिन आने वाले दिनों में ठंड में कुछ बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। मौसम की यह स्थिति अगले कुछ दिनों तक बनी रह सकती है, जिससे तापमान में भी उतार-चढ़ाव होने की संभावना है।

इस बदलते मौसम का असर केवल आज तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि मंगलवार को भी प्रदेश के कुछ इलाकों में बारिश की संभावना बनी रहेगी। देहरादून, टिहरी, पौड़ी, चंपावत, नैनीताल, ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार जिलों में बादलों की आवाजाही बनी रहेगी और हल्की बारिश हो सकती है। हालांकि, इस बारिश के बाद मौसम एक बार फिर साफ हो सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, सर्दी के बाद इस तरह के बदलाव सामान्य होते हैं, लेकिन इस बार तापमान में तेजी से वृद्धि देखने को मिल रही है।

उत्तराखंड में पश्चिमी विक्षोभ की स्थिति कमजोर हो गई है, जिससे पोस्ट विंटर की बारिश में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। इस कारण तापमान में इजाफा हो रहा है और हिमालयी क्षेत्र में बर्फबारी भी कम हो गई है। जलवायु वैज्ञानिकों का मानना है कि पिछले कुछ वर्षों में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव तेजी से बढ़ा है, जिससे मौसम का चक्र भी प्रभावित हो रहा है। ठंड के मौसम में जो ठंडी हवाएं और पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय रहते थे, वे अब कमजोर पड़ते जा रहे हैं, जिसका सीधा असर पूरे उत्तराखंड के पर्यावरण पर दिख रहा है।

एक समय था जब सर्दियों के खत्म होने के बाद तीन से चार बार मजबूत पश्चिमी विक्षोभ उत्तराखंड में सक्रिय हुआ करता था, जिससे न सिर्फ राज्यभर में अच्छी बारिश होती थी, बल्कि ऊंचाई वाले इलाकों में जबरदस्त बर्फबारी भी देखने को मिलती थी। लेकिन अब यह पैटर्न बदल रहा है, जिससे हिमालय में बर्फ की चादर भी पतली होती जा रही है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि प्राकृतिक प्रक्रियाओं में हुए बदलावों के चलते पश्चिमी विक्षोभ कमजोर पड़ गया है, और इसी का प्रभाव उत्तराखंड के मौसम पर देखने को मिल रहा है।

बर्फबारी के लिए बारिश एक अनिवार्य कारक मानी जाती है, लेकिन जब सर्दियों में बारिश कम होती है तो इसका असर बर्फबारी पर भी पड़ता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, बारिश से ही तापमान में गिरावट आती है और उसके बाद बर्फबारी होती है। लेकिन जब बारिश ही नहीं हो रही तो बर्फबारी भी प्रभावित हो रही है। मानसून और सर्दियों की बारिश में लगातार गिरावट आ रही है, जिससे पहाड़ी इलाकों में सूखे की समस्या भी गहराने लगी है। यह एक चिंता का विषय बन चुका है, क्योंकि इससे उत्तराखंड के पारिस्थितिकी तंत्र और जलस्तर पर गहरा असर पड़ सकता है।

अब सवाल यह उठता है कि क्या आने वाले समय में उत्तराखंड का मौसम इसी तरह प्रभावित होता रहेगा? मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे, अन्यथा आने वाले वर्षों में बारिश और बर्फबारी का यह असंतुलन और भी ज्यादा बढ़ सकता है। राज्य सरकार और वैज्ञानिक संस्थानों को मिलकर इस दिशा में शोध और समाधान खोजने की जरूरत है, ताकि उत्तराखंड के प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखा जा सके।

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