देहरादून(सुरेन्द्र कुमार)। उत्तराखंड की धामी सरकार ने भारतीय संस्कृति और परंपराओं को बढ़ावा देने के लिए एक और ऐतिहासिक निर्णय लिया है। अब प्रदेश में जारी होने वाली सभी सरकारी अधिसूचनाओं, गजट नोटिफिकेशनों, उद्घाटन पट्टिकाओं और शिलान्यास शिलाओं में ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ-साथ विक्रम संवत और हिंदू पंचांग के महीनों का भी उल्लेख अनिवार्य रूप से किया जाएगा। इस निर्णय को लागू करने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य सचिव को आवश्यक निर्देश जारी करने को कहा है।
उत्तराखंड की धामी सरकार लगातार अपनी सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और भारतीय परंपराओं को पुनर्जीवित करने के लिए कई अहम फैसले ले रही है। इसी कड़ी में, सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए यह तय किया है कि भविष्य में जारी होने वाली सभी अधिसूचनाओं, सरकारी गजट, उद्घाटन पट्टिकाओं और शिलान्यास शिलाओं में विक्रम संवत और हिंदू महीनों का उल्लेख किया जाएगा।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि विक्रम संवत भारत की प्राचीन समय-गणना प्रणाली का हिस्सा है और इसे पुनर्स्थापित करना सांस्कृतिक सम्मान की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने इस फैसले को तत्काल प्रभाव से लागू करने के लिए मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं। इसके तहत प्रदेश के सामान्य प्रशासन विभाग को आवश्यक आदेश जारी करने के लिए कहा गया है, जिससे भविष्य में सभी सरकारी दस्तावेजों और अधिसूचनाओं में इस परंपरा को स्थान मिल सके।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का मानना है कि विक्रम संवत केवल एक पंचांग नहीं, बल्कि भारतीय इतिहास, धर्म और परंपरा का अभिन्न अंग है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय भारतीय संस्कृति को मजबूत करने और लोगों में अपनी जड़ों के प्रति गर्व की भावना विकसित करने के लिए लिया गया है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति हजारों वर्षों पुरानी है, और समय के साथ हमने अपनी जड़ों से दूरी बना ली है। इस फैसले के जरिए हम अपने गौरवशाली इतिहास को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहे हैं।
गौरतलब है कि हिंदू पंचांग के आधार पर विक्रम संवत की शुरुआत राजा विक्रमादित्य ने की थी। यह संवत भारतीय संस्कृति का आधार रहा है और देश के कई हिस्सों में आज भी इसे आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त है। उत्तराखंड सरकार के इस फैसले को भारतीय संस्कृति को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम के रूप में देखा जा रहा है।
धामी सरकार पहले भी भारतीय संस्कृति और परंपराओं को सहेजने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय ले चुकी है। राज्य में स्कूलों में गीता और संस्कृत पढ़ाने पर जोर देने से लेकर हिंदू परंपराओं से जुड़े कई अन्य कदम भी उठाए गए हैं। हाल ही में राज्य में ‘युवाओं के नैतिक और आध्यात्मिक विकास’ को ध्यान में रखते हुए नैतिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल करने की घोषणा भी की गई थी। सरकार के इस नए फैसले को प्रदेशभर में व्यापक समर्थन मिल रहा है। कई धार्मिक संगठनों, समाजसेवियों और शिक्षाविदों ने इस निर्णय की सराहना करते हुए इसे भारतीय संस्कृति के संरक्षण की दिशा में एक साहसिक कदम बताया है।
इस फैसले के बाद सरकार अब इसे व्यवस्थित रूप से लागू करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। सामान्य प्रशासन विभाग इस पर विस्तृत दिशा-निर्देश तैयार कर रहा है, ताकि प्रदेश के सभी सरकारी विभागों, संस्थानों और कार्यालयों में इसका सही तरीके से क्रियान्वयन हो सके। धामी सरकार के इस फैसले से उत्तराखंड में सरकारी अधिसूचनाओं और सरकारी कार्यों में भारतीय संस्कृति की झलक और अधिक स्पष्ट होगी। यह निर्णय न केवल प्रदेश में संस्कृति को पुनर्जीवित करेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को अपनी गौरवशाली परंपराओं से जोड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
उत्तराखंड सरकार का यह फैसला भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। अब प्रदेश में सभी सरकारी दस्तावेजों में विक्रम संवत और हिंदू पंचांग का उल्लेख किया जाएगा, जिससे देश की प्राचीन परंपराओं को सम्मान मिलेगा। मुख्यमंत्री धामी का यह निर्णय भारतीय संस्कृति को पुनर्जीवित करने और लोगों को अपनी जड़ों से जोड़ने की दिशा में एक नई शुरुआत साबित होगा।