रामनगर(एस पी न्यूज़)। उत्तराखंड में 23 जनवरी को हुए निकाय चुनावों के दौरान, मतदान प्रक्रिया में भारी गड़बड़ी और अराजकता का मंजर देखने को मिला। जहां एक ओर चुनावी प्रक्रिया को लेकर आशंका जताई जा रही थी, वहीं दूसरी ओर मतदाता सूची में नामों के गायब होने और मतदान केंद्रों पर हुई गड़बड़ियों ने विवाद को जन्म दिया। जब लोग मतदान करने पहुंचे, तो कई जगहों से यह रिपोर्ट आई कि उनका वोट पहले ही किसी और ने दे दिया था। मसूरी से लेकर काशीपुर नगर निगम के बूथों तक यह समस्या सामने आई, जहां से मतदाता अपनी उपस्थिति दर्ज कराते तो उनका नाम पहले से ही वोटर लिस्ट में मौजूद नहीं पाया जाता। इसके अतिरिक्त, अल्मोड़ा में ढाई सौ से अधिक ऐसे लोगों के नाम वोटर लिस्ट में पाए गए, जो उत्तराखंड से बाहर के थे, इस पर भाजपा ने कड़ी आपत्ति जताई। इस दौरान आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हुआ, भाजपा और कांग्रेस दोनों ने एक-दूसरे पर गड़बड़ी के आरोप लगाए। मतदान के दिन जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, स्थिति और अधिक तनावपूर्ण होती चली गई।
इस चुनाव में सबसे बड़े हंगामे की खबर रुड़की से आई, जहां कांग्रेस विधायक ममता राकेश का फूट-फूट कर रोने वाला वीडियो वायरल हो गया। इसके पहले रुड़की में लाठीचार्ज का एक वीडियो भी सामने आया था, जिसमें पुलिस और स्थानीय जनता के बीच तनाव की स्थिति नजर आई। मसूरी नगर पालिका और उत्तरकाशी के बड़कोट में भी जोरदार हंगामे हुए, जहां दो पक्ष आपस में भिड़ गए, और पुलिसकर्मी कुछ नहीं कर पाए। इससे साफ नजर आता है कि चुनाव में सुरक्षा और मतदान प्रक्रिया में भारी कमी रही। दोनों प्रमुख दलों के बीच इस मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया, और दोनों ने राज्य निर्वाचन आयोग के खिलाफ गंभीर सवाल उठाए। कांग्रेस ने इसे भाजपा सरकार की साजिश करार दिया, जबकि भाजपा ने भी राज्य निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए।
भाजपा के वरिष्ठ नेता नरेश बंसल ने राज्य निर्वाचन आयोग पर निशाना साधते हुए कहा कि बड़ी संख्या में लोगों के नाम वोटर लिस्ट से काट दिए गए हैं, और इसके लिए आयोग की तत्परता पर सवाल उठाए। उनका कहना था कि राज्य निर्वाचन आयोग को चाहिए था कि वह इस गंभीर मुद्दे पर समय रहते कार्रवाई करता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। चुनाव में अराजकता और गड़बड़ी के कारण दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के बीच तीखी बहस और आरोप-प्रत्यारोप का माहौल बना रहा। हालांकि, राज्य निर्वाचन आयोग ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया, और बस फोन पर बयान देकर अपनी व्यस्तता का हवाला दिया। आयोग का कहना था कि प्रदेश में हुई गड़बड़ी और हंगामे के बारे में उन्हें कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई, हालांकि दो स्थानों से मतपेटी के साथ छेड़छाड़ की शिकायतों की जांच के निर्देश दे दिए गए थे।
इसके अलावा, कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने यह भी आरोप लगाया कि उत्तराखंड में हुए इस चुनाव के दौरान पूरी प्रक्रिया अराजक हो गई थी। वोटर लिस्ट में नामों की गड़बड़ी, बिना अनुमति के पहले से वोट डाले जाने, और अन्य कई खामियों के चलते यह चुनाव पूरी तरह से विवादों में घिर गया। उनका कहना था कि यह स्थिति भाजपा के डबल इंजन सरकार की साजिश का हिस्सा हो सकती है। इस विवाद ने राज्य निर्वाचन आयोग की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल उठाया और साथ ही यह भी जाहिर किया कि चुनावी प्रक्रिया में सुधार की जरूरत है।
वोटिंग प्रक्रिया में यह असहमति और गड़बड़ी सिर्फ एक उदाहरण नहीं था, बल्कि पूरे प्रदेश में इसे लेकर विभिन्न जगहों से शिकायतें आईं। राज्य निर्वाचन आयोग ने जब इन सवालों का जवाब देने की कोशिश की, तो उन्होंने केवल फोन पर बयान दिया और किसी भी सार्वजनिक बयान से बचते हुए अपनी व्यस्तता का हवाला दिया। अब देखना यह होगा कि इस घटनाक्रम के बाद राज्य निर्वाचन आयोग क्या कदम उठाता है और आगामी चुनावों में सुधार के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं।