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उत्तराखंड के भविष्य को लेकर उपपा का ऐलान, पंचायत चुनावों में उतरेगी पूरी ताकत के साथ

रामनगर। अग्रवाल धर्मशाला में उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी की एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें आगामी पंचायत चुनावों को लेकर व्यापक रणनीति और चिंतन किया गया। इस बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने न केवल प्रदेश बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर व्याप्त संकटों पर भी गहरी चिंता व्यक्त की। उनका मानना था कि वर्तमान समय में देश सामाजिक और आर्थिक रूप से बेहद गंभीर दौर से गुजर रहा है। शिक्षा व्यवस्था पटरी से उतर चुकी है, रोजगार के अवसर लगातार सिकुड़ते जा रहे हैं और संप्रदायिकता की लपटें समाज के ताने-बाने को तहस-नहस कर रही हैं। इस माहौल में सभी ने एकमत होकर यह संकल्प लिया कि अब इन समस्याओं से लड़ने के लिए संगठित संघर्ष का समय आ गया है, जहां क्षेत्रीय स्वाभिमान और जनता के अधिकारों को प्राथमिकता दी जाएगी।

उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पी.सी. तिवारी ने इस अवसर पर अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में पार्टी पूरी मजबूती से भागीदारी करेगी। उन्होंने कहा कि सीमित संसाधनों के बावजूद उनकी पार्टी ग्राम और क्षेत्र पंचायतों में ऐसे प्रत्याशियों को सामने लाने का प्रयास करेगी जो न केवल ईमानदार हों, बल्कि धरातल पर कार्य करने की क्षमता और निष्ठा रखते हों। उनका यह भी कहना था कि प्रदेश के गांव और कस्बे ही बदलाव की असली नींव हैं और यही कारण है कि उपपा पंचायत स्तर पर मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने के लिए कृतसंकल्प है। उन्होंने राष्ट्रीय दलों पर सीधा हमला करते हुए कहा कि ये पार्टियां जनता से कट चुकी हैं और केवल सत्ता का समीकरण साधने में लगी हैं।

बैठक को संबोधित करते हुए केंद्रीय प्रधान सचिव प्रभात ध्यानी ने पार्टी कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे पंचायती चुनावों को किसी भी हालत में हल्के में न लें। उनका कहना था कि यही वह समय है जब उत्तराखंड की क्षेत्रीय ताकतों को एकजुट कर एक साझा मंच तैयार किया जा सकता है, जो प्रदेश के हित में एक सशक्त विकल्प बन सके। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी केवल चुनावी राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन की एक ज़मीन तैयार कर रही है। उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सत्ता में बैठे लोग समाज को धर्म, जाति, लिंग और अंधविश्वास के नाम पर बांट रहे हैं, और इससे सामाजिक समरसता पर सीधा प्रहार हो रहा है। उपपा इस विभाजनकारी राजनीति को चुनौती देने के लिए पूरी तरह तैयार है।

इस चर्चा में अनेक प्रमुख स्थानीय नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं ने भाग लिया और अपने विचार साझा किए। कुलदीप मधवाल, दिनेश उपाध्याय, अशोक डालाकोटी, दीवान सिंह खनी, अमीनुरहमान, चिन्ता राम, के. एन. भट्ट, सी. पी. आर्या, बसन्त खनी, लाखन चिलवाल, अनिल पाठक, सुनील पर्नवाल, लालमणी, एस. आर. टमटा, प्रकाश जोशी, पृथ्वी पाल, तहसीन खान, मोहन सजवान, मोहम्मद आसिफ, लालता श्रीवास्तव और नारायण राम जैसे तमाम नाम इस विचार-विमर्श का हिस्सा बने। सभी ने इस बात पर जोर दिया कि बदलाव की शुरुआत गांवों से ही संभव है और जब तक जमीनी स्तर पर ईमानदार नेतृत्व नहीं उभरेगा, तब तक व्यवस्था परिवर्तन एक सपना ही रहेगा।

इस विचार गोष्ठी में कुछ विशेष अतिथि भी शामिल रहे, जिन्होंने अपनी बातों से उपस्थित जनसमूह को प्रेरित किया। वरिष्ठ पत्रकार चारू तिवारी, स्वाभिमान पार्टी के बलदेव राज सूद (हिमाचल प्रदेश) और रायपुर (छत्तीसगढ़) के पूर्व विधायक वीरेन्द्र पांडे ने भी बैठक को संबोधित करते हुए उत्तराखंड में क्षेत्रीय स्वायत्तता और जनभागीदारी पर बल दिया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड को अब बाहरी राजनीतिक प्रभावों से मुक्त कर एक ऐसे जनआंदोलन की आवश्यकता है, जो पहाड़ के जनमानस की भावना से जुड़ा हो और स्थानीय मुद्दों को प्राथमिकता दे। उनकी बातों से स्पष्ट हुआ कि परिवर्तन की यह लड़ाई अब केवल एक दल की नहीं रही, बल्कि एक व्यापक जनचेतना बन चुकी है।

रामनगर में हुई यह बैठक न केवल उपपा की सांगठनिक क्षमता को दर्शाती है, बल्कि यह संकेत भी देती है कि आने वाले पंचायत चुनावों में अब एक नई राजनीतिक सोच दस्तक देने वाली है। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी अब केवल एक नाम नहीं, बल्कि एक उद्देश्य बन चुका हैकृजनता के बीच से नेतृत्व उभारने और सत्ता के गलियारों तक उसे पहुंचाने का। ऐसे समय में जब राष्ट्रीय दल अपने एजेंडों में जनहित को पीछे छोड़ चुके हैं, उपपा जैसे दल प्रदेश की राजनीति में एक नई ऊर्जा और उम्मीद लेकर आए हैं। पंचायत 2027 केवल एक चुनाव नहीं, एक परिवर्तन की नींव साबित हो सकता हैकृअगर जनता इस आह्वान को समझकर उसके साथ खड़ी होती है।

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