काशीपुर। उत्तराखंड की सांस्कृतिक चेतना और सामाजिक एकजुटता की प्रतीक उत्तरांचल पंजाबी महासभा की एक विशेष बैठक 20 जुलाई 2025 को संपन्न हुई, जिसने संगठन के भविष्य को लेकर कई ऐतिहासिक निर्णयों की नींव रखी। लंबे समय से सक्रिय इस संगठन ने अब एक नई दिशा और धार देने की ओर कदम बढ़ा दिया है, जिसमें ना केवल नेतृत्व की धाराओं को पुनर्परिभाषित किया गया बल्कि संगठनात्मक मूल्यों की पुनः पुष्टि भी की गई। इस बैठक का वातावरण भावनात्मक भी था और उत्साहजनक भी, जहां जिम्मेदारियों के हस्तांतरण की बात हुई तो वहीं भावी कार्ययोजनाओं की गूंज भी सुनाई दी। कार्यसमिति के सदस्यों और वरिष्ठजनों की गरिमामयी उपस्थिति में इस संवाद ने आने वाले समय की दिशा तय कर दी।
इस बैठक की शुरुआत संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राजीव घई द्वारा अपने पद से अवकाश लेने की भावपूर्ण पेशकश के साथ हुई। उन्होंने भावी नेतृत्व को अवसर देने की भावना के साथ यह निवेदन किया कि उम्र और स्वास्थ्य की सीमाओं के चलते अब संगठन का संचालन किसी नवोन्मेषी और कर्मठ साथी को सौंपा जाना चाहिए। उनके इस निर्णय ने सभी को एक क्षण के लिए चौंकाया, लेकिन साथ ही यह संकेत भी दिया कि वह नेतृत्व की गरिमा को समझते हुए आने वाले समय को अधिक सक्षम हाथों में सौंपने के इच्छुक हैं। हालांकि, बैठक में मौजूद समस्त वरिष्ठजनों और कोर कमेटी के सदस्यों ने पूर्ण एकमत से इस प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए आग्रह किया कि घई संगठन का मार्गदर्शन पूर्ववत जारी रखें। यह विरोध एक साधारण असहमति नहीं, बल्कि उनके प्रति गहरे सम्मान और विश्वास की अभिव्यक्ति थी।
वहीं संगठन की गति को बनाए रखने और उसे और अधिक सशक्त करने के उद्देश्य से हरिद्वार के वरिष्ठ समाजसेवी जगदीश पाहवा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव भी बैठक में सर्वसम्मति से पारित किया गया। यह नियुक्ति संगठन की सतत सक्रियता और कार्य विभाजन की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण निर्णय माना गया। पाहवा की सामाजिक सेवा में दीर्घकालिक सहभागिता, विनम्र नेतृत्वशैली और विचारशील दृष्टिकोण को देखते हुए सभी ने इस प्रस्ताव का खुलकर समर्थन किया। अब वह संगठन के विविध स्तरों पर होने वाली गतिविधियों को गति और दिशा देने में निर्णायक भूमिका निभाएंगे। इस बदलाव को संगठन की एक सशक्त शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है, जो भविष्य में और भी प्रभावशाली बनकर सामने आएगा।
बैठक के दौरान कई अन्य निर्णायक प्रस्तावों को भी स्वीकृति दी गई, जिनमें प्रमुख रूप से यह तय किया गया कि उत्तरांचल पंजाबी महासभा का स्वरूप पूर्णतरू गैर-राजनीतिक रहेगा। यह सुनिश्चित किया गया कि संगठन में किसी भी सक्रिय राजनीतिक दल से जुड़े व्यक्ति को कोई जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी, जिससे संगठन की निष्पक्षता और सामाजिक उद्देश्य की शुद्धता बनी रहे। इसके साथ-साथ यह भी प्रस्ताव पारित हुआ कि प्रदेशभर में उपमा की सभी इकाइयों को पुनर्गठित कर उन्हें और अधिक जागरूक तथा सक्रिय रूप दिया जाएगा, ताकि संगठन का प्रभाव जमीनी स्तर पर और भी अधिक सशक्त हो सके। यह दिशा केवल पुनर्निर्माण की नहीं, बल्कि एक वैचारिक पुनर्जागरण की ओर संकेत करती है।
एक महत्वपूर्ण निर्णय यह भी लिया गया कि आगामी 14 अगस्त को “विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस” पूरे उत्तराखंड में सामूहिक रूप से मनाया जाएगा। यह निर्णय उस ऐतिहासिक दर्द को अगली पीढ़ी तक पहुँचाने की मंशा से लिया गया, जिससे विभाजन के दौरान पंजाबी समाज गुज़रा था। यह आयोजन न केवल श्रद्धांजलि का प्रतीक होगा, बल्कि समाज के त्याग और संघर्ष की गाथा को सजीव बनाएगा। इससे युवा वर्ग को अपनी जड़ों से जोड़ने और इतिहास की सच्चाइयों से अवगत कराने का महत्वपूर्ण अवसर मिलेगा। यह फैसला संगठन की संवेदनशीलता और सामाजिक बोध को भी स्पष्ट करता है।
इस बैठक के निर्णयों के बाद संगठन के प्रति भावनात्मक समर्थन और सामूहिक उत्साह की लहर पूरे प्रदेश में दौड़ गई। काशीपुर इकाई से प्रवीण सेठी, आशीष अरोड़ा, राजीव परनामी, मोहन सिंधवानी और प्रीत ढींगरा ने राजीव घई के निवास पर पहुंचकर पुष्पगुच्छ भेंट कर उनका अभिनंदन किया। यह मुलाकात केवल एक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि यह उस सामाजिक समर्पण और संगठनात्मक प्रतिबद्धता का जीवंत चित्रण थी, जो उपमा के प्रत्येक सदस्य में रची-बसी है। इस अवसर ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि संगठन केवल बैठकों और प्रस्तावों का समूह नहीं, बल्कि एक जीवंत चेतना है जो हर सदस्य के दिल में धड़कती है।
बैठक की व्यापक प्रतिक्रिया प्रदेशभर में स्पष्ट रूप से देखी गई। हरिद्वार, देहरादून, रुद्रपुर, हल्द्वानी, किच्छा, गदरपुर, रुड़की सहित अन्य क्षेत्रों से बड़ी संख्या में सदस्यों ने फोन, संदेश और सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी प्रसन्नता व्यक्त की। यह खुशी केवल नेतृत्व परिवर्तन की नहीं, बल्कि संगठन की नई दिशा, मजबूत सोच और सामाजिक प्रतिबद्धता की थी। लोगों ने इसे संगठन की नयी पारी की शुरुआत कहा, जिससे यह संकेत मिला कि उपमा अब एक विचारधारा के रूप में समाज में पुनः उभर रही है।
बैठक की जानकारी देते हुए प्रदेश मीडिया प्रभारी दलप्रीत सेठी ने बताया कि यह पूरा आयोजन संगठन की दीर्घकालिक योजना का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत आगामी छह महीनों में नेतृत्व विकास की दिशा में ठोस और सुव्यवस्थित कार्ययोजना पर अमल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पारदर्शिता, सेवा और विचारशील संगठनात्मक शैली ही उपमा की पहचान है और अब समय आ गया है कि हर सदस्य इस परिवर्तन का भाग बने। राजीव घई ने सभी साथियों का आभार प्रकट करते हुए दोहराया कि उत्तरांचल पंजाबी महासभा केवल संस्था नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्तराधिकार और सामाजिक उत्तरदायित्व का प्रतिबिंब है, जिसे सभी को मिलकर और ऊंचाइयों तक ले जाना है।