देहरादून(सुरेन्द्र कुमार)। उत्तराखंड राज्य में आयुष्मान योजना के तहत मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाओं में फर्जीवाड़े को रोकने के लिए सरकार ने एक नई व्यवस्था लागू कर दी है। अब केवल उन्हीं लाभार्थियों को इस योजना का फायदा मिलेगा जिनके राशन कार्ड खाद्य विभाग के ऑनलाइन पोर्टल पर मौजूद हैं। सरकार ने यह कदम उन फर्जी लाभार्थियों पर लगाम लगाने के लिए उठाया है, जिन्होंने निरस्त किए गए राशन कार्ड के माध्यम से आयुष्मान योजना का लाभ उठाना जारी रखा था।
हाल ही में खाद्य विभाग द्वारा राज्य में बड़े पैमाने पर राशन कार्डों की जांच की गई थी, जिसमें यह खुलासा हुआ कि कई ऐसे लाभार्थी हैं जिनकी सालाना आय पांच लाख रुपये से अधिक होने के बावजूद उन्होंने फर्जी दस्तावेजों के सहारे राशन कार्ड बनवा लिए थे। इस अनियमितता को ध्यान में रखते हुए सरकार ने पिछले वित्तीय वर्ष में विशेष अभियान चलाया और एक लाख से अधिक राशन कार्ड निरस्त कर दिए। लेकिन इस निरस्तीकरण के बावजूद हजारों लोग अब भी अपने पहले से बने आयुष्मान कार्ड का उपयोग कर मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठा रहे थे। इस गड़बड़ी को समाप्त करने के लिए राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने अब नए सिरे से सत्यापन प्रक्रिया शुरू कर दी है।
सरकार के इस कदम से ऐसे लोगों पर शिकंजा कसा जाएगा, जो अपात्र होने के बावजूद आयुष्मान योजना के लाभार्थी बने हुए थे। आयुष्मान योजना के तहत प्रत्येक पात्र व्यक्ति को मुफ्त चिकित्सा सेवाएं दी जाती हैं, जिसके लिए सरकार ने अब तक लगभग 2300 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। चूंकि यह योजना केवल उन्हीं परिवारों के लिए बनाई गई थी जिनकी सालाना आय पांच लाख रुपये से कम है, इसलिए सरकार को यह सुनिश्चित करने की जरूरत थी कि इसका लाभ केवल सही पात्र लोगों को ही मिले। इसी के मद्देनजर अब यह नया नियम लागू किया गया है कि यदि किसी व्यक्ति का राशन कार्ड खाद्य विभाग की ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध नहीं होगा तो उसका आयुष्मान कार्ड भी स्वतः ही अमान्य हो जाएगा।
इस नई व्यवस्था से उन हजारों अपात्र लोगों का आयुष्मान कार्ड निरस्त हो जाएगा जो अभी तक इस योजना का अनुचित लाभ ले रहे थे। हालांकि, इस बदलाव का असर उन वास्तविक लाभार्थियों पर नहीं पड़ेगा जो सरकारी नियमों के तहत योजना के हकदार हैं। सरकार द्वारा शुरू की गई इस सख्त जांच प्रक्रिया का मकसद केवल अपात्र लोगों को योजना से बाहर करना है, ताकि इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ वास्तविक जरूरतमंदों तक पहुंच सके। राज्य में 25 दिसंबर 2018 को अटल आयुष्मान योजना की शुरुआत की गई थी, जिसके तहत अब तक करीब 54 लाख आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं। इन लाभार्थियों में से लगभग 12.5 लाख लोगों ने मुफ्त स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ लिया है। यह योजना गरीब और वंचित परिवारों के लिए संजीवनी साबित हुई है, लेकिन कुछ लोगों ने इस योजना का दुरुपयोग कर सरकार को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाया है।
सरकार की इस नई पहल के बाद अब राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण उन सभी कार्डधारकों का सत्यापन कर रहा है, जिनके राशन कार्ड निरस्त कर दिए गए थे। जैसे ही किसी व्यक्ति का राशन कार्ड ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध नहीं होगा, उसका आयुष्मान कार्ड भी तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि केवल उन्हीं लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मिले जो इसके पात्र हैं। राज्य सरकार के इस कदम का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य सुविधाओं को अपात्र लोगों के दुरुपयोग से बचाना और योग्य नागरिकों को उचित लाभ देना है। खाद्य विभाग ने भी इस प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाई है, ताकि किसी भी तरह की धांधली को रोका जा सके। यह फैसला सरकार की पारदर्शिता और ईमानदारी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
अब राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण और खाद्य विभाग की ओर से उन सभी लोगों के कार्डों की निगरानी की जा रही है, जिनका नाम खाद्य विभाग की सूची में नहीं है। इसका सीधा असर उन लोगों पर पड़ेगा जो अब तक गलत तरीके से इस योजना का फायदा उठा रहे थे। इस नई व्यवस्था से सरकार को भी आर्थिक राहत मिलेगी और जरूरतमंदों को उचित चिकित्सा सुविधाएं मिलने में मदद मिलेगी। इस योजना में सुधार के लिए उठाए गए इस कदम की सराहना की जा रही है, क्योंकि इससे योजना में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा और सरकारी धन का सही उपयोग सुनिश्चित हो सकेगा।