रामनगर(एस पी न्यूज़)।उत्तराखंड में आज एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू किया जा रहा है, जिससे यह राज्य देश में पहली बार इस कानून को अपनाने वाला अग्रणी प्रदेश बन जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अहम फैसले की घोषणा पहले ही कर दी थी और अब इसकी औपचारिक शुरुआत के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। राज्य सरकार ने इस कानून को लागू करने के लिए लगभग ढाई साल तक गहन मंथन और होमवर्क किया। विशेषज्ञों की एक समिति गठित की गई थी, जिसने व्यापक अध्ययन और समीक्षा के बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। 27 मई 2022 को गठित इस समिति ने 2 फरवरी 2024 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसके बाद 8 मार्च 2024 को विधानसभा में विधेयक पारित किया गया था। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद इसे आज से लागू किया जा रहा है। मुख्यमंत्री धामी आज इस महत्वपूर्ण कानून से संबंधित पोर्टल और नियमावली का लोकार्पण करेंगे, जिससे राज्य में UCC का क्रियान्वयन औपचारिक रूप से शुरू हो जाएगा।
उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए गहन तैयारी की है और इसे एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री धामी ने इस कदम को भाजपा के 2022 के चुनावी वादे की पूर्ति बताया है। उन्होंने कहा कि इस कानून के लागू होने से प्रदेश में लिंग, जाति और धर्म के आधार पर किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया जाएगा। यह कानून सभी नागरिकों को समान अधिकार और जिम्मेदारियां देने का मार्ग प्रशस्त करेगा। सीएम धामी ने गणतंत्र दिवस समारोह के बाद इस बात पर जोर दिया कि यह कदम राज्य के विकास और समरसता को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किए गए इस वादे को पूरा करना भाजपा सरकार की प्राथमिकता थी। संविधान के अनुच्छेद 44 का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि पूरे देश में नागरिकों के लिए समान कानून लागू करने का प्रयास किया जाना चाहिए और उत्तराखंड ने इसे लागू करके एक मिसाल पेश की है।

यह कानून उत्तराखंड के पूरे क्षेत्र में लागू किया जाएगा और यह राज्य के बाहर रहने वाले उत्तराखंड निवासियों पर भी प्रभावी होगा। हालांकि, अनुसूचित जनजातियों और कुछ विशेष संरक्षित समुदायों को इस अधिनियम से छूट दी गई है। समान नागरिक संहिता का उद्देश्य विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और संपत्ति से संबंधित व्यक्तिगत कानूनों को एक समान और स्पष्ट बनाना है। नए नियमों के तहत विवाह केवल उन्हीं व्यक्तियों के बीच मान्य होगा जिनका कोई अन्य जीवित जीवनसाथी नहीं है, दोनों मानसिक रूप से सक्षम हैं, पुरुष की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और महिला की 18 वर्ष होनी चाहिए। इसके अलावा, विवाह संबंध किसी निषिद्ध रिश्ते की श्रेणी में नहीं आना चाहिए। विवाह की रस्में पारंपरिक धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार या कानूनी प्रक्रियाओं के तहत पूरी की जा सकती हैं, लेकिन अधिनियम के तहत विवाह के 60 दिनों के भीतर रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा।
उत्तराखंड में इस कानून के लागू होने के बाद विवाह संबंधी मामलों में पारदर्शिता और सुगमता आने की उम्मीद है। इससे विवाह, तलाक और उत्तराधिकार से जुड़े विवादों में कमी आएगी और एक स्पष्ट दिशा-निर्देश मिलेगा। सरकार ने UCC लागू करने के लिए सभी कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को पूरा कर लिया है। इसके क्रियान्वयन के लिए व्यापक जन जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं ताकि नागरिकों को इसके विभिन्न प्रावधानों की जानकारी दी जा सके। मुख्यमंत्री धामी ने इस अवसर पर राज्य की जनता को आश्वस्त किया कि यह कानून सभी के हितों को ध्यान में रखते हुए लागू किया गया है और इसके प्रभाव से राज्य में सामाजिक समरसता और समानता को बढ़ावा मिलेगा। सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि सभी नागरिकों को इस कानून के तहत मिलने वाले अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में पूर्ण जानकारी दी जाएगी।

इस ऐतिहासिक कदम को उत्तराखंड सरकार की दूरदर्शी नीति का हिस्सा माना जा रहा है, जो राज्य को सामाजिक न्याय और समरसता की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि समान नागरिक संहिता का क्रियान्वयन राज्य में एक नए युग की शुरुआत करेगा और इससे नागरिकों को अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में बेहतर समझ प्राप्त होगी। उन्होंने राज्य के लोगों से इस कानून को स्वीकार करने और राज्य के समग्र विकास में सहयोग करने की अपील की। UCC लागू होने के बाद उत्तराखंड देश के अन्य राज्यों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन सकता है और भविष्य में अन्य राज्यों में भी इस दिशा में पहल की जा सकती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने जनता के हित में जो कदम उठाया है, वह आने वाले वर्षों में राज्य के लिए मील का पत्थर साबित होगा।