हरिद्वार। भारतीय जनता पार्टी जिला कार्यालय में बुधवार को एक ऐसा दृश्य देखने को मिला, जहाँ मौन की गहराई में आक्रोश की आग सुलगती रही। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में निर्दाेष नागरिकों पर हुए आतंकी हमले की वीभत्सता ने हर किसी की आत्मा को झकझोर कर रख दिया। भाजपा कार्यकर्ताओं ने आतंक की इस अमानवीय करतूत के खिलाफ न केवल कड़े शब्दों में निंदा जाहिर की, बल्कि दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए पूरे दो मिनट का मौन रखकर शांति पाठ भी किया। इस क्षणिक चुप्पी में सैकड़ों दिलों की तड़प, क्रोध और करुणा का समुंदर सिमटा हुआ था। उपस्थित जनसमूह की आंखों में छलकता गुस्सा और श्रद्धा, उन मासूमों के लिए थी, जिनकी ज़िंदगियों को आतंक की काली परछाइयों ने लील लिया।
भीड़ के बीच से उभरी एक दृढ़ आवाज़, अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री श्री संजय निर्मल की थी, जिन्होंने इस दर्दनाक त्रासदी को मानवता पर कलंक करार देते हुए कहा कि पहलगाम की इस रक्तरंजित घटना ने पूरे राष्ट्र को भीतर तक हिला दिया है। उन्होंने कहा कि जो मासूम जानें इस कायराना हमले में शहीद हो गईं, उन्हें हम अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनके परिजनों के प्रति हमारी गहरी संवेदना है। साथ ही उन्होंने देश की जनता को भरोसा दिलाते हुए यह कहा कि जिस संजीदगी से हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री श्री अमित शाह ने इस घटना का संज्ञान लिया है, यह स्पष्ट संकेत है कि अब कोई भी आतंकवादी, चाहे वह देश की सरहद के इस पार हो या उस पार, सुरक्षित नहीं बचेगा। भारत की सुरक्षा एजेंसियां उन्हें उनकी सही जगह पहुँचाए बिना चौन से नहीं बैठेंगी।
जिला अध्यक्ष श्री आशुतोष शर्मा ने जब अपनी बात रखी, तो उनका स्वर भावनाओं से भीगा हुआ था, लेकिन उनके शब्दों में एक फौलादी संकल्प भी झलक रहा था। उन्होंने कहा कि जो माताएँ अपने लालों को खो चुकी हैं, जिन घरों में अब सन्नाटा पसरा है, उस शोक की गहराई को शब्दों में बयान करना असंभव है। उन्होंने कहा कि यह हमला केवल कुछ परिवारों पर नहीं, बल्कि पूरे भारतवर्ष की आत्मा पर किया गया प्रहार है। श्री शर्मा ने विश्वास से लबरेज़ होकर कहा कि देश का हर नागरिक आज सरकार के साथ चट्टान की तरह खड़ा है और यह संकल्प सर्वत्र है कि जो भी इस वीभत्स कृत्य के दोषी हैं, उन्हें किसी भी हालत में माफ़ नहीं किया जाएगा। उनके लिए न कोई शरण मिलेगी, न कोई क्षमा।
आतंकवाद को केवल एक राजनीतिक या सुरक्षा संकट समझना इसकी भयावहता को कम आंकना होगा। यह विचार स्वयं को देशभक्तों की पहली पंक्ति में खड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं ने साझा किया, जिन्होंने स्पष्ट किया कि आतंक का सीधा हमला भारत की संस्कृति, उसकी सहिष्णुता और मानवता के बुनियादी मूल्यों पर है। इस संदर्भ में डॉ जयपाल सिंह चौहान, आशु चौधरी, लव शर्मा, ऋषिपाल सिंह, देवेंद्र प्रधान, नकली राम सैनी, विपिन शर्मा, संजीव चौधरी, विशाल मुखिया, अरविंद कुमार, नागेंद्र राणा, कमल प्रधान, विनोद सैनी, मनोज परलिया, सुबह सिंह, प्रदीप कुमार, अनिल राणा, देवेश वर्मा, पवन चौहान, चित्रा शर्मा, महेंद्र नेगी, सुनील पाल, मनोज चौहान, सुरेंद्र शर्मा, अमित कौशिक, राजकुमार मलिक, यशपाल कंबोज, पवन शर्मा, सार्थक राज, अमन प्रजापति, अशोक चौहान और एम एस जायसवाल ने अपनी उपस्थिति और भावनाओं के साथ इस संकल्प को और अधिक दृढ़ किया।
हरिद्वार की इस संगठित और भावनात्मक एकजुटता ने न केवल यह संदेश दिया कि देशद्रोही शक्तियाँ चाहे जितनी बार भी वार करें, भारतीय जनमानस की एकता और संवेदना की दीवारें उनके हर हमले को नष्ट कर देंगी, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया कि जब बात देश की अस्मिता और नागरिकों की सुरक्षा की हो, तब प्रत्येक भारतवासी एक सैनिक की तरह तैयार खड़ा होता है। यह शांति पाठ मात्र एक आध्यात्मिक कर्मकांड नहीं, बल्कि एक क्रांतिकारी आह्वान था कृ उस भारत का, जो अपने हर वीरगति को प्राप्त भाई के लिए न्याय चाहता है और अपने हर नागरिक के लिए भयमुक्त जीवन का अधिकार सुनिश्चित करना जानता है।