काशीपुर। मुरलीबाला स्टोन क्रेशर के साझेदारों और पूर्व शिक्षा मंत्री व विधायक अरविंद पांडे के बीच तकरार ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। इस मामले में जमीन मालिक और स्टोन क्रेशर के पूर्व साझेदार गुरपेज सिंह, गुरविंदर सिंह, राजू, बलविंदर सिंह ने विधायक पर पक्षपात के गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि बिना कोई तथ्य जाने और पूरी स्थिति समझे, अरविंद पांडे ने खुलकर अनूप अग्रवाल के पक्ष में बयान दिया और हमें गुंडा करार देकर बदनाम करने की कोशिश की। इस आरोप-प्रत्यारोप के बीच दोनों पक्षों के बयान आए हैं, लेकिन जहां एक तरफ राजनीति गरमाई है, वहीं मुरलीबाला स्टोन क्रेशर के पूर्व साझेदारों की आर्थिक और मानसिक स्थिति चिंताजनक हो चली है। उन्होंने मीडिया के सामने अपनी तकलीफें बयां करते हुए शासन प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग की है, अन्यथा वे आत्मदाह की चेतावनी भी दे चुके हैं।
वहीं, प्रेस वार्ता में गुरपेज सिंह ने विस्तार से बताया कि उन्होंने अनूप अग्रवाल के साथ मिलकर वर्ष 2016 में मुरलीबाला स्टोन क्रेशर की स्थापना की थी। इस व्यापार को शुरू करने के लिए करोड़ों रुपये के लोन और कई भारी वाहनों की खरीदारी की गई, लेकिन वित्तीय हालत लगातार बिगड़ती गई। 2017 से अब तक न तो कोई मुनाफा मिला और न ही स्पष्ट लेखा-जोखा। जब उन्होंने अपनी हिस्सेदारी और लाभ मांगने की कोशिश की तो लगातार धमकियों का सामना करना पड़ा। यह सबकुछ इतना गंभीर हो गया कि बैंक ने कर्ज की अदायगी नहीं होने पर कर्जदारों के खिलाफ नोटिस चस्पा कर दिए, जिससे कुल कर्ज लगभग 35 से 40 करोड़ रुपये पहुंच गया। इस भारी कर्ज और आर्थिक संकट ने सभी साझेदारों को मानसिक रूप से टूटने पर मजबूर कर दिया है। उनके मुताबिक, इस परिस्थिति में प्रशासन और पुलिस उनकी शिकायतों को गंभीरता से लेने में विफल रही है, जिससे उनका आक्रोश और बढ़ गया है।
गुरपेज सिंह ने प्रैस के दौरान बताया कि हमने जबसे यह व्यवसाय शुरू किया है, हमने कभी भी अपने हिस्से का हिसाब नहीं कराया। जब भी हमने हिसाब मांगने की कोशिश की, जवाब में बस टाल-मटोल सुनने को मिलाकृ‘अभी नहीं, कल करेंगे, परसों आएंगे।’ फिर कह दिया जाता है कि ‘आज अनमोल नहीं है, आज हम ठीक नहीं हैं, आज रेणु बाहर हैं।’ इस तरह हमारा हिसाब नहीं कराया गया और हम भटकते रहे। हमें न तो कोई सही जानकारी दी गई और न ही जवाब मिला कि आखिर हमारा पैसा कहां है। यह सब कुछ अरविंद पांडे के सामने स्पष्ट है, वे सब जानते हैं कि क्या हुआ। अब हम भी अपनी पूरी सच्चाई सामने लाने वाले हैं। हम उनके खिलाफ सख्त कदम उठाएंगे। हमारी शुभकामनाएं उन लोगों के साथ हैं जो न्याय की राह पर हैं। अरविंद पांडे को चाहिए कि वे हमसे सीधे मिलें और इस मुद्दे को कहीं बैठकर सुलझाएं, ताकि कोई विवाद न रहे।
इस विवाद में सबसे अहम मुद्दा अरविंद पांडे के पक्षपात का है, जिसके चलते मुरलीबाला स्टोन क्रेशर के पूर्व साझेदारों ने विधायक पर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने बिना जांच-परख के अनूप अग्रवाल के समर्थन में बयान दे कर उनकी छवि खराब करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि यह मामला सिर्फ व्यक्तिगत मतभेद या राजनीतिक रंजिश नहीं है, बल्कि करोड़ों की आर्थिक हानि और उनके परिवारों के भविष्य से जुड़ा हुआ है। उनकी बातों से साफ जाहिर होता है कि उन्होंने न्याय की उम्मीद से भरे हुए हैं। इन लोगों ने राज्य सरकार से निष्पक्ष और त्वरित जांच कराने की मांग की है ताकि उनके द्वारा झेली जा रही आर्थिक और मानसिक त्रासदियों का अंत हो सके। साथ ही चेतावनी दी गई है कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं निकला तो वे आत्मदाह जैसी गंभीर कार्रवाई करने पर मजबूर होंगे।
मुरलीबाला स्टोन क्रेशर के पूर्व साझेदारों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी शिकायतों को लगातार टाला जा रहा है और कोई भी उचित कदम नहीं उठाया जा रहा। उनके अनुसार, बैंक का भारी कर्ज उनके ऊपर एक बड़ी कर्ज की चोट की तरह है, जो हर दिन बढ़ता जा रहा है। इस कर्ज के चलते उनके ऊपर बैंक और ऋणदाता लगातार दबाव बना रहे हैं, जिससे मानसिक तनाव चरम पर पहुंच चुका है। उनके इस दर्दभरे बयान से यह स्पष्ट हो गया कि इस मामले की जटिलता को समझना और उचित कार्रवाई करना प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है। साथ ही उन्होंने लोगों से भी अपील की है कि वे इस मामले को गंभीरता से लें और उन्हें न्याय दिलाने में सहयोग करें।
यह विवाद न केवल मुरलीबाला स्टोन क्रेशर के पूर्व साझेदारों के लिए आर्थिक आपदा लेकर आया है, बल्कि काशीपुर की राजनीति में भी हलचल मचा दी है। जहां एक तरफ विधायक अरविंद पांडे के बयान ने मामले को और जटिल बना दिया है, वहीं दूसरी ओर इस पूरे प्रकरण से जुड़ी गंभीर वित्तीय और सामाजिक समस्याओं ने इलाके की आम जनता को भी चिंतित कर दिया है। अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन इस मामले में निष्पक्षता से काम करेगा और पीड़ितों को न्याय दिला पाएगा या फिर यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला जाएगा। फिलहाल इस प्रकरण पर निगाहें टिकी हैं और हर कोई इंतजार कर रहा है कि भविष्य में इस विवाद का समाधान कैसे निकलेगा, जिससे क्षेत्र में शांति और भरोसा वापस लौट सके।