काशीपुर(एस पी न्यूज़)। केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 के विरोध में काशीपुर बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने एकजुट होकर आंदोलन तेज कर दिया है। वकीलों का कहना है कि इस संशोधन के नाम पर सरकार उनके संवैधानिक अधिकारों को खत्म करने का प्रयास कर रही है और इससे अधिवक्ताओं के हितों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। अधिवक्ताओं का मानना है कि यह बिल केवल उनके लिए ही नहीं, बल्कि आम जनता के लिए भी घातक सिद्ध होगा।
काशीपुर बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित आम सभा में इस बिल के नकारात्मक प्रभावों पर विस्तार से चर्चा की गई और यह निर्णय लिया गया कि अधिवक्ताओं की सहमति से इस बिल के खिलाफ व्यापक स्तर पर विरोध दर्ज कराया जाएगा। इस दौरान सचिव नृपेंद्र कुमार ने अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 को वकीलों के संवैधानिक अधिकारों पर सीधा हमला बताया है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक न केवल अधिवक्ताओं की स्वतंत्रता को बाधित करता हैए बल्कि बार काउंसिल की स्वायत्तता को भी कमजोर करने की साजिश है। यह अधिवक्ताओं के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और संघ बनाने के अधिकार पर सीधा प्रभाव डाल सकता हैए जो भारतीय संविधान में निहित मौलिक अधिकार हैं।
नृपेंद्र कुमार चौधरी ने कहा कि इस बिल में ऐसे प्रावधान शामिल किए गए हैंए जिनसे वकीलों को प्रदर्शन करने और हड़ताल पर जाने के अधिकार से वंचित किया जा सकता है। अगर कोई अधिवक्ता सरकार की नीतियों या न्यायिक प्रणाली में किसी त्रुटि के खिलाफ आवाज उठाता हैए तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। यह अधिवक्ताओं की लोकतांत्रिक आवाज को दबाने का एक प्रयास हैए जिसे कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि नए नियमों के तहत अधिवक्ताओं के लाइसेंस रद्द करने का खतरा बढ़ सकता है। अगर कोई वकील किसी भी नियम का उल्लंघन करता हैए तो उसका रजिस्ट्रेशन रद्द करने की कार्रवाई की जा सकती है। यह बिल वकीलों को दबाव में लाकर काम करने के लिए मजबूर करेगाए जिससे न्याय प्रक्रिया पर भी असर पड़ेगा। सचिव नृपेंद्र कुमार चौधरी ने कहा कि इस बिल से बार काउंसिल की स्वायत्तता भी खतरे में पड़ जाएगी। सरकार बार काउंसिल के अधिकारों में कटौती कर सकती हैए जिससे यह संस्था कमजोर हो जाएगी और वकीलों के हितों की रक्षा नहीं कर पाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर सरकार इस विधेयक को वापस नहीं लेतीए तो अधिवक्ता उग्र आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।
पूर्व बार एसोसिएशन अधिवक्ता धर्मेंद्र तुली ने अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 को वकीलों के अधिकारों पर सीधा आघात बताया है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक वकीलों की संवैधानिक स्वतंत्रता को सीमित करने का प्रयास करता है, जिससे अधिवक्ता समुदाय के लिए कार्य करना मुश्किल हो जाएगा। धर्मेंद्र तुली ने कहा कि इस बिल के तहत वकीलों के हड़ताल और विरोध प्रदर्शन करने के अधिकार को बाधित किया जा सकता है। यदि कोई अधिवक्ता सरकार या न्याय प्रणाली की किसी त्रुटि के खिलाफ आवाज उठाता है, तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। यह एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में वकीलों की भूमिका को कमजोर करने वाला कदम है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि नए प्रावधानों के तहत अधिवक्ताओं के लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया को और सख्त बनाया जा सकता है, जिससे स्वतंत्र अधिवक्ताओं पर सरकार का सीधा नियंत्रण बढ़ जाएगा। धर्मेंद्र तुली ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार इस विधेयक को वापस नहीं लेती, तो अधिवक्ता सड़कों पर उतरकर विरोध करने को मजबूर होंगे और न्याय व्यवस्था पर इसका गंभीर असर पड़ेगा।
इस आम सभा में अध्यक्ष अवधेश कुमार चौबे, उपाध्यक्ष अनूप शर्मा, सचिव नृपेंद्र कुमार चौधरी, उपसचिव सूरज कुमार, कोषाध्यक्ष सौरभ शर्मा, ऑडिटर हिमांशु बिश्नोई, पुस्तकालय अध्यक्ष सतपाल सिंह बल, प्रेस प्रवक्ता दुष्यंत चौहान, महिला उपाध्यक्ष रश्मि पाल, तहसील उपाध्यक्ष विजय सिंह समेत कार्यकारी सदस्यगण कामिनी श्रीवास्तव, नरेश कुमार पाल, अर्पित कुमार सौदा, अमित कुमार गुप्ता, अमृत पाल सिंह, अमितेश सिसोदिया, अविनाश कुमार, नरदेव सिंह सैनी, बार कौंसिल ऑफ़ उत्तराखंड के सदस्य हरि सिंह नेगी, मनोज जोशी, सनत कुमार पैगिया, उमेश जोशी, आनंद रस्तोगी, शैलेंद्र मिश्रा, इंदर सिंह, वीरेंद्र चौहान, धर्मेंद्र सिंह, के डी भट्ट, भास्कर त्यागी, परवेज आलम, सोनू चंद्रा, प्रदीप चौहान, अरविंद सक्सेना, रईस अहमद, विधु शेखर, गिरीश चंद्र अधिकारी, महावीर सिंह, सुभाष पाल, संजय चौहान, गिरिराज सिंह, अर्पित सिंह चौहान, शिवम् अग़वाल, धर्मेंद्र तुली, विनोद पंत, दौलत सिंह, सुहैल आलम अंसारी, मोहम्मद नईम, अनिल कुमार शर्मा, निसार अहमद, भुवन चंद्र हरबोला, अचल वर्मा, सुरेंद्र पाल सिंह, सुंदर सिंह, संजय कुमार, रामकुवर चौहान, कविता चौहान, प्रसून वर्मा, महेश कुमार, सुशील चौधरी, अजय सैनी, चांद मोहम्मद, विकास अग्रवाल, विष्णु भटनागर, संजय रुहेला, अनूप विश्नोई, निर्भय चौधरी, लवेन्द्र, शहाना शबाना, परवीन सुमयला, पूनम गाड़िया, मोहित गुप्ता, सुहाना शर्मा, जितेंद्र सिंह, राहुल दुआ, समर्थ विक्रम, अचल वर्मा, कैलाश बिष्ट, अरविंद सिंह, बलवंत लाल, विवेक मिश्रा, सुनील कुमार, यशवंत सैनी, महावीर सिंह, कमर नईम, अब्दुल राशिद, नस्तर, नागेंद्र सिंह नेगी, सिंह अमित रस्तोगी, दौलत सिंह, महेंद्र चौहान, राजाराम, नईम अहमद, सुंदर सिंह, शैलेन्द्र कुमार मिश्रा, सुरेन्द्र पाल सिंह, वकील सिद्दीकी, नरगिस समेत बड़ी संख्या में अधिवक्ता मौजूद रहे।
सभा के दौरान वकीलों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि यदि सरकार अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 को वापस नहीं लेती, तो वे अपने विरोध को और अधिक तेज करेंगे। वकीलों ने चेतावनी दी कि बड़े स्तर पर प्रदर्शन किए जाएंगे और अदालतों का पूर्ण बहिष्कार जारी रहेगा। इस विरोध को केवल काशीपुर तक सीमित नहीं रखा जाएगा, बल्कि अन्य जिलों में भी इसका असर देखने को मिलेगा। विभिन्न बार एसोसिएशनों के अधिवक्ताओं ने संकेत दिया है कि आने वाले दिनों में इस आंदोलन को और व्यापक किया जाएगा। सरकार की ओर से कोई ठोस कदम न उठाए जाने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल तक की योजना बनाई जा सकती है। वकीलों ने स्पष्ट किया कि यह केवल अधिवक्ताओं का मुद्दा नहीं है, बल्कि न्याय व्यवस्था और आम जनता के अधिकारों से जुड़ा विषय है, जिसे लेकर वे किसी भी स्तर तक संघर्ष करने के लिए तैयार हैं।