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अंबेडकर संदेश यात्रा के समीक्षा और सम्मान समारोह ने वैचारिक जागरण की नई दिशा दी

काशीपुर। कुशल योजना और संगठनात्मक गरिमा के साथ काशीपुर के हृदयस्थल में शनिवार की शाम जब 14 अप्रैल 2025 को निकली अंबेडकर संदेश यात्रा की समीक्षा और सम्मान समारोह आयोजित हुआ, तब वहां मौजूद हर व्यक्ति के भीतर डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों की लपटें और चेतना की लहरें स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थीं। माहौल में जोश था, गर्व था, और अपने इतिहास की विरासत को संजोने का एक सजीव एहसास था। रामनगर से आये बौद्ध विचारधारा के प्रमुख प्रचारक जगन्नाथ पेंटर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता कि वही कृषि विभाग के पूर्व एएसओ बलजीत सिंह ने मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की।

कार्यक्रम के संचालन का जिम्मा जब अंबेडकर संदेश यात्रा के संस्थापक जितेंद्र देवांतक ने संभाला, तो उनके शब्दों की गरिमा, स्वर की आत्मीयता और विचारों की स्पष्टता ने पूरे आयोजन में एक अलग ही ऊर्जावान वातावरण रच दिया। उनके बोलने का तरीका न सिर्फ सुगठित था, बल्कि ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे वे हर श्रोता के हृदय से संवाद कर रहे हों। उन्होंने मंच संचालन को महज़ एक जिम्मेदारी के रूप में नहीं निभाया, बल्कि उसे एक वैचारिक पुल की तरह गढ़ा, जिसके माध्यम से बाबा साहब अंबेडकर के विचारों की गहराइयाँ सीधे जनता के अंतर्मन तक पहुंचीं। उनके संचालन में श्रद्धा, गंभीरता और जागरूकता का जो समन्वय था, उसने इस पूरे समारोह को न सिर्फ सुचारू रूप से आगे बढ़ाया, बल्कि उसे वैचारिक चेतना का जीवंत मंच बना दिया जो लंबे समय तक याद रखा जाएगा।

जब कार्यक्रम की शुरुआत मंच पर बाबा साहब डॉ. आंबेडकर के चित्र पर श्रद्धा से माल्यार्पण कर और बौद्ध परंपरा के अनुसार मंत्रोच्चारण व वंदना से की गई, तो वह क्षण केवल एक औपचारिक उद्घाटन नहीं, बल्कि आत्मा को झकझोर देने वाला अनुभव बन गया। जैसे ही बौद्ध वंदना की स्वर लहरियाँ वातावरण में गूंजीं, सभा स्थल की हवा में एक आध्यात्मिक ऊर्जा फैल गई और वहां उपस्थित हर व्यक्ति के भीतर सम्मान, आस्था और चेतना की लहरें दौड़ने लगीं। यह शुभारंभ वास्तव में उस क्रांति का स्मरण था, जिसकी मशाल डॉ. भीमराव अंबेडकर ने जातीय अन्याय, भेदभाव और सामाजिक शोषण के अंधकार को चीरकर जलाई थी। यह क्षण ऐसा था जिसने यह सिद्ध किया कि यह आयोजन केवल सांस्कृतिक नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन की अमिट लौ को जीवंत करने का एक पवित्र संकल्प था।

कार्यक्रम के दौरान जब डॉ. भीमराव अंबेडकर जन्मोत्सव समारोह समिति के अध्यक्ष सुक्लेश कुमार आज़ाद जी ने मंच से अपने भावनात्मक शब्दों में उन सभी साथियों का नाम लेकर धन्यवाद और आभार प्रकट किया, जिन्होंने इस भव्य अंबेडकर संदेश यात्रा को सफल बनाने में तन-मन-धन से सहयोग दिया, तो वह क्षण वास्तव में एक भावनात्मक संगम बन गया। उनका यह सार्वजनिक सम्मान केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि उन सभी कार्यकर्ताओं के समर्पण को असली सम्मान देने की गवाही थी। इसके बाद जब समिति के कोषाध्यक्ष शंकर सिंह ने पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ मंच से आय और व्यय का विस्तृत ब्योरा प्रस्तुत किया, तो वहां उपस्थित जनसमूह को यह साफ़ संदेश मिला कि यह आयोजन किसी दिखावे या प्रचार का माध्यम नहीं, बल्कि विचार, सिद्धांत और जवाबदेही के मूल्यों पर खड़ा हुआ एक आदर्श प्रयास था।

वातावरण उस समय रोमांचित हो उठा जब सी डी पब्लिक स्कूल के नन्हें-मुन्हें छात्र-छात्राओं ने अपनी मधुर बौद्ध वंदना और विविध रंगों से सजे सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से उपस्थितजनों का मन मोह लिया। दर्शकों की तालियों की गूंज और उन्हें दी गई प्रोत्साहन राशि इस बात का प्रमाण बन गई कि इन बाल प्रतिभाओं ने सभा में आकर केवल प्रस्तुति ही नहीं दी, बल्कि विचारों को जीवंत किया। कार्यक्रम में अंबेडकर संदेश यात्रा के सहयात्रियों को मंच पर स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया, साथ ही शोभायात्रा के मार्ग में जिन-जिन स्थानों पर स्वागत और स्टॉल लगाकर सहयोग दिया गया, वहां के सहयोगियों को भी खुले दिल से मान-सम्मान दिया गया। यह सम्मान केवल प्रतीकों का आदान-प्रदान नहीं था, यह उन मूल्यों का उत्सव था जो बाबा साहब के आदर्शों को समाज में आत्मसात करते हैं।

मंच का सबसे भावपूर्ण क्षण तब आया जब अंबेडकर संदेश यात्रा के संस्थापक जितेंद्र देवांतक ने समिति के पदाधिकारियों को पगड़ी पहनाकर और बाबा साहब का चित्र भेंट कर उनका सार्वजनिक अभिनंदन किया। यह दृश्य एक प्रकार का आत्मिक आलोक था, जहां संघर्षशील विचारों को मंचीय स्वीकृति के साथ भावनात्मक ऊंचाई भी प्राप्त हुई। प्रेस से बातचीत के दौरान जितेंद्र देवांतक ने स्पष्ट किया कि इस अंबेडकर संदेश शोभायात्रा का मुख्य उद्देश्य बाबा साहब के विचारों को शहर से लेकर देश के हर वर्ग तक पहुंचाना है। उन्होंने यह भी कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि डॉ. भीमराव अंबेडकर को केवल दलित-शोषित वर्ग का नेता कहकर सीमित किया जाता है, जबकि उन्होंने समस्त भारतवासियों के लिए, संविधान की रचना कर एक समतामूलक राष्ट्र की नींव रखी थी।

एस पी न्यूज़ से विशेष बातचीत में अंबेडकर संदेश यात्रा के संस्थापक जितेंद्र देवांतक ने अपनी भावनाओं को जिस स्पष्टता और दृढ़ता से व्यक्त किया, उसने इस यात्रा की मूल भावना को और भी मुखर बना दिया। उन्होंने कहा कि यह शोभायात्रा केवल एक प्रतीकात्मक आयोजन नहीं, बल्कि एक वैचारिक मिशन है, जिसका उद्देश्य बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के उन क्रांतिकारी विचारों को नगर-नगर, गली-गली और गाँव-गाँव तक पहुँचाना है, जो आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उन्होंने दोहराया कि यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि बाबा साहब को आज भी केवल दलितों, शोषितों और वंचितों के नेता के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जबकि उन्होंने संविधान निर्माण से लेकर लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना तक, भारत के प्रत्येक नागरिक के अधिकारों की रक्षा हेतु जीवन भर संघर्ष किया। उनका सपना एक ऐसा भारत था, जिसमें कोई भेदभाव न हो, सबको बराबरी का हक़ मिले और हर नागरिक आत्मसम्मान के साथ जी सके। यही संदेश हर दिल तक पहुँचाना हमारा दायित्व है।

डॉ. भीमराव अंबेडकर जन्मोत्सव समारोह समिति के अध्यक्ष सुक्लेश कुमार आज़ाद ने समीक्षा एवं सम्मान समारोह के उपरांत एस पी न्सूज़ से बात करते हुए बताया कि इस आयोजन के दौरान जो बहुमूल्य सुझाव उपस्थितजनों और सहभागी सदस्यों की ओर से प्राप्त हुए हैं, उन पर न केवल गम्भीरता पूर्वक चर्चा की गई, बल्कि समिति ने उन्हें आगामी वर्ष के कार्यक्रमों की रूपरेखा में सम्मिलित करने का संकल्प भी लिया है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि जनभागीदारी से प्रेरित एक सशक्त संवाद मंच बन चुका है, जहां हर विचार, हर सुझाव को आदरपूर्वक सुना जाता है और उस पर विचार किया जाता है। उन्होने कहा कि समिति इस बात को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है कि आने वाले समय में इन सुझावों के अनुरूप योजनाएँ बनाई जाएँगी और उन पर अमल करते हुए कार्यक्रम को और अधिक सारगर्भित, सशक्त और जनसंवादी स्वरूप दिया जाएगा, जिससे बाबा साहब के विचार अधिक प्रभावशाली रूप से जनमानस तक पहुँच सकें।

कार्यक्रम की गरिमा तब और बढ़ गई जब मंच पर उपस्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर जन्मोत्सव समारोह समिति के सम्माननीय अध्यक्ष अखिलेश कुमार आज़ाद, संरक्षक विजय पाल सिंह जाटव, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता महिलाल गौतम, महासचिव एडवोकेट सौरभ कुमार, कोषाध्यक्ष शंकर सिंह, उपाध्यक्ष हरगुलाल गौतम, शिक्षाविद् इंदल सिंह, एससी-एसटी शिक्षा संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मदनलाल शिल्पकार, प्रेरक सामाजिक कार्यकर्ता धर्मपाल सिंह, प्रमोद कुमार कैप्टन, समर पाल सिंह, प्रदीप कुमार, बालकराम, छोटेला, संजीव कुमार, राजेंद्र सिंह, प्रिंसिपल लाल सिंह, सतीश कुमार, वार्ड 6 के पार्षद हरनाम सिंह, वीर सिंह, बाबूजी दयाल सिंह, सोना सिंह, जगत सिंह, पुष्कर, सी डी पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य बृहमेश, प्रकाश चंद, राजेंद्र सिंह, राजीव कुमार सैकड़ों गणमान्य नागरिकों, बुद्धिजीवियों, समाजसेवियों और आम जन की गरिमामयी उपस्थिति ने इस पूरे समारोह को एक साधारण समीक्षा या सम्मान आयोजन से कहीं आगे बढ़ाकर एक वैचारिक महायज्ञ का स्वरूप दे दिया। हर चेहरा उत्साहित था, हर मन श्रद्धा और जागरूकता से भरा हुआ था, और हर स्वर बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के सामाजिक न्याय, समानता और बौद्धिक स्वतंत्रता के मंत्र को दोहरा रहा था। यह कार्यक्रम किसी परंपरा का निर्वहन नहीं, बल्कि उस वैचारिक चिंगारी को मशाल में बदलने की शपथ थी, जो अंबेडकरवादी चेतना को अगली पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए आवश्यक है। सभा स्थल पर मौजूद हर व्यक्ति इस संकल्प का जीवंत प्रतीक बन चुका था कि बाबा साहब के विचार केवल अतीत की स्मृति नहीं, बल्कि भविष्य की दिशा हैं। इस ऐतिहासिक उपस्थिति ने सिद्ध कर दिया कि यह आयोजन भावनाओं और विचारों के मिलन की एक अद्वितीय मिसाल बनकर आने वाले समय की राहें रोशन करेगा।

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