काशीपुर। खेल केवल प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि आत्म-विकास, अनुशासन और आपसी सौहार्द्र का प्रतीक होते हैं। जब खेल के मैदान पर आध्यात्मिकता की महक घुल जाए, तो वह आयोजन केवल प्रतियोगिता नहीं, बल्कि प्रेरणा का स्रोत बन जाता है। ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल, समालखा (हरियाणा) में, जहां 25वें बाबा गुरबचन सिंह मेमोरियल क्रिकेट टूर्नामेंट (रजत जयंती वर्ष) का भव्य समापन हुआ। 26 फरवरी 2025 से प्रारंभ हुए इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में देशभर से 24 सर्वश्रेष्ठ टीमों ने भाग लिया। खिलाड़ियों ने न केवल क्रिकेट कौशल का प्रदर्शन किया, बल्कि सेवा, समर्पण और एकत्व का संदेश भी दिया। इस टूर्नामेंट ने खेल को एक आध्यात्मिक अनुभव बना दिया, जहां हर चौके-छक्के के साथ प्रेम और भाईचारे की भावना मजबूत होती गई। टूर्नामेंट के प्रारंभिक दौर में शानदार प्रदर्शन के बाद भटिंडा, बरेली, आगरा और चंडीगढ़ की टीमों ने सेमीफाइनल में अपनी जगह बनाई। इन मुकाबलों में खिलाड़ियों का जज्बा देखने लायक था, जहां हर खिलाड़ी जीत के लिए अपना शत-प्रतिशत देने को तैयार दिखा।
13 मार्च 2025 को हुए महान फाइनल मुकाबले में आगरा और भटिंडा की टीमें आमने-सामने थीं। इस मुकाबले का क्रिकेट प्रेमियों को बेसब्री से इंतजार था, और जब यह शुरू हुआ, तो हर क्षण रोमांच से भरपूर रहा। दोनों टीमों ने शानदार खेल का प्रदर्शन किया, लेकिन आगरा की टीम ने अपनी कड़ी मेहनत, अनुशासन और रणनीतिक खेल से यह प्रतिष्ठित खिताब अपने नाम कर लिया। पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करने वाले आगरा टीम के दीपक राजपूत को ‘मैन ऑफ द सीरीज’ का खिताब मिला। उनकी बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों ही मैच के निर्णायक क्षणों में प्रभावशाली रही, जिसने उनकी टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। विजेता और उपविजेता खिलाड़ियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया, जिससे उनके उत्साह और मनोबल को और भी बढ़ावा मिला।

संपूर्ण टूर्नामेंट सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के पावन निर्देशानुसार आदरणीय श्री जोगिंदर सुखीजा जी (सचिव, संत निरंकारी मंडल) के नेतृत्व में आयोजित किया गया। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि, “यह टूर्नामेंट केवल क्रिकेट प्रतियोगिता नहीं, बल्कि प्रेम, भाईचारे और एकत्व को साकार करने का मंच बना। खिलाड़ियों ने खेल के माध्यम से यह संदेश दिया कि जीवन में सच्ची जीत केवल ट्रॉफी तक सीमित नहीं, बल्कि इंसानियत और आध्यात्मिक मूल्यों को अपनाने में है।”
टूर्नामेंट के समापन समारोह में मुख्य अतिथि आदरणीय श्री एस. एल. गर्ग (कनवीनर, केन्द्रीय योजना सलाहकार बोर्ड) ने विजेता टीम को ट्रॉफी प्रदान कर सम्मानित किया। इस गरिमामयी अवसर पर संत निरंकारी मंडल की प्रधान, आदरणीय श्रीमती राजकुमारी जी भी उपस्थित रहीं। अपने प्रेरणादायक संबोधन में उन्होंने कहा—”खेल केवल जीत और हार तक सीमित नहीं होते, बल्कि यह आत्म-विकास, अनुशासन, टीम भावना और सामूहिक समर्पण का प्रतीक हैं। खिलाड़ियों ने जिस भावना से इस टूर्नामेंट में भाग लिया, वह सराहनीय है।”

इस अवसर पर बड़ी संख्या में खेल प्रेमी, संत निरंकारी मिशन के श्रद्धालु और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। पूरे आयोजन के दौरान आध्यात्मिकता और खेल का सुंदर समन्वय देखने को मिला। इस टूर्नामेंट में केवल गेंद और बल्ले का खेल नहीं था, बल्कि यह सतगुरु माता जी की शिक्षाओं से प्रेरित एक आध्यात्मिक अभियान था। खिलाड़ियों ने मैदान पर केवल ट्रॉफी जीतने के लिए नहीं, बल्कि मानवता के उच्चतम मूल्यों को अपनाने और प्रसारित करने के उद्देश्य से हिस्सा लिया। इस टूर्नामेंट की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि इसने यह सिद्ध कर दिया कि खेल केवल प्रतिस्पर्धा का माध्यम नहीं, बल्कि प्रेम, सेवा और एकत्व को जीने का सशक्त मंच भी हो सकता है।

संत निरंकारी मिशन हमेशा से समाज सेवा, आध्यात्मिकता और भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए कार्यरत रहा है। इस टूर्नामेंट के माध्यम से मिशन ने न केवल खेल को बढ़ावा दिया, बल्कि युवा पीढ़ी को अनुशासन, परिश्रम और एकता के महत्व को भी समझाया। इस आयोजन से यह स्पष्ट हो गया कि खेल महज मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि जीवन को सकारात्मक दिशा देने और मानवता की सच्ची सेवा करने का एक बेहतरीन माध्यम हो सकता है। इस टूर्नामेंट ने सभी खिलाड़ियों और दर्शकों को यह सिखाया कि जीत और हार से बढ़कर, सच्ची उपलब्धि आपसी प्रेम और सौहार्द्र को अपनाने में है। निरंकारी मिशन के इस प्रयास ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सच्ची जीत केवल स्कोरबोर्ड पर नहीं, बल्कि दिलों में जगह बनाने में होती है।