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कैंची धाम में उमड़ा भक्ति का महासागर, सुरक्षा में तैनात एटीएस और एसएसबी

फूलों से सजा बाबा नीम करौली का दरबार, लाखों श्रद्धालुओं की भीड़, मालपुए का प्रसाद और कड़ी सुरक्षा में गूंजे जयकारे और मंत्र।

नैनीताल। उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित प्रसिद्ध कैंची धाम का स्थापना दिवस 15 जून को हर वर्ष धूमधाम से मनाया जाता है और इस बार भी नजारा कुछ अलग नहीं है, बल्कि पहले से ज्यादा भव्य और श्रद्धा से परिपूर्ण दिख रहा है। शुक्रवार शाम से ही श्रद्धालुओं का भारी जमावड़ा कैंची धाम में उमड़ना शुरू हो गया है और शनिवार सुबह तक श्रद्धा की यह लहर जनसागर में बदल चुकी है। ऐसा माना जा रहा है कि इस बार मेले में 5 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंच सकते हैं। इस अद्भुत आयोजन को सुचारु रूप से संपन्न कराने के लिए स्थानीय पुलिस एवं प्रशासन ने बेहद सख्त और संगठित व्यवस्थाएं कर दी हैं। सुबह से ही मंदिर परिसर में दर्शन के लिए उमड़ी भीड़ श्रद्धा और भक्ति से ओतप्रोत दिखी। हर कोई बाबा नीम करौली महाराज के दरबार में पहुंचकर अपनी आस्था समर्पित कर रहा है। भक्तों के इस सैलाब को नियंत्रण में रखने के लिए पुलिस, प्रशासन और स्वयंसेवकों की टीम लगातार कार्य कर रही है।

इस बार की सबसे बड़ी खूबसूरती है कैंची धाम का श्रृंगार, जिसे देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो रहा है। पूरा मंदिर प्रांगण फूलों की मालाओं से सजाकर ऐसे संवारा गया है जैसे किसी दुल्हन को सजाया गया हो। हर कोना, हर द्वार, हर शिखर को विशेष सजावट के साथ सुसज्जित किया गया है। रंग-बिरंगी रोशनी की चमक ने जैसे मंदिर को सितारों की दुनिया में बदल दिया है। रात के अंधेरे में यह नजारा और भी चमत्कारी लगता है। हर भक्त की जुबान पर बस एक ही बात है – “धाम को देख कर लगता है जैसे स्वर्ग धरती पर उतर आया हो।” भक्तों के चेहरे पर न केवल श्रद्धा की आभा दिखाई दे रही है, बल्कि बाबा की उपस्थिति का अनुभव हर भक्त कर रहा है। पूरे वातावरण में भजन, मंत्रोच्चार और घंटियों की गूंज से एक दिव्य अनुभूति हो रही है जो हर किसी के हृदय को स्पर्श कर रही है।

मालपुए के प्रसाद का महत्व कैंची धाम में विशेष होता है और बाबा के दरबार से मिलने वाला यह प्रसाद श्रद्धालुओं के लिए केवल मिठास नहीं, बल्कि आशीर्वाद माना जाता है। इस बार भी मालपुए का प्रसाद बांटने के लिए मंदिर प्रशासन ने विशेष योजना बनाई है। श्रद्धालुओं की अत्यधिक संख्या को देखते हुए यह प्रसाद अब केवल एक दिन नहीं, बल्कि तीन दिनों तक वितरित किया जाएगा। 15 जून को स्थापना दिवस के मुख्य दिन के अलावा, 16 और 17 जून को भी भक्तों को मालपुए का प्रसाद प्राप्त होगा। हर भक्त इस प्रसाद को बाबा का चमत्कारी आशीर्वाद मानकर अपने साथ ले जाता है और उसे श्रद्धा से ग्रहण करता है। मंदिर प्रशासन ने यह निर्णय इसलिए लिया है ताकि किसी भी श्रद्धालु को निराशा हाथ न लगे और सभी को बाबा का यह विशेष आशीर्वाद प्राप्त हो सके।

हर वर्ष मेले में उमड़ने वाली विशाल भीड़ को नियंत्रित करना अपने आप में एक चुनौती होती है और इस बार पुलिस प्रशासन ने इसे बहुत ही गंभीरता से लिया है। नैनीताल पुलिस ने इस अवसर पर ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर बेहद सख्त और रणनीतिक बदलाव किए हैं। 14 जून की सुबह 8 बजे से 15 जून की शाम 7 बजे तक भवाली-कैंची मार्ग पर यातायात पूरी तरह से डायवर्ट कर दिया गया है। इस दौरान भवाली से कैंची धाम की ओर जाने वाले सभी निजी और सार्वजनिक वाहनों की आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। काठगोदाम से आने वाले श्रद्धालुओं को ज्योलीकोट-भवाली-रामगढ़ होते हुए नथुवाखान और क्वारब की ओर भेजा जा रहा है। वहीं हल्द्वानी से भीमताल जाने वालों को खुटानी-धानाचूली-आल्मोड़ा रूट से भेजा जा रहा है। दूसरी ओर, अल्मोड़ा से आने वाले वाहनों को क्वारब-नथुवाखान-रामगढ़-भवाली होते हुए हल्द्वानी की दिशा में मोड़ा जा रहा है। यह ट्रैफिक व्यवस्था 15 जून को मेला समाप्त होने तक प्रभावी रहेगी, ताकि किसी प्रकार की दुर्घटना या जाम की स्थिति न उत्पन्न हो।

श्रद्धालुओं की अभूतपूर्व संख्या को देखते हुए इस बार सुरक्षा प्रबंध और भी कड़े किए गए हैं। तीन बटालियन पीएसी के साथ-साथ 800 से अधिक पुलिस कर्मियों को मेले की सुरक्षा में तैनात किया गया है। इतना ही नहीं, पहली बार एंटी टेररिज्म स्क्वाड (ATS) और सशस्त्र सीमा बल (SSB) को भी सुरक्षा व्यवस्था में शामिल किया गया है। यह विशेष तैनाती इस बात का संकेत है कि प्रशासन श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर बेहद गंभीर है। SSB के प्रशिक्षित जवानों को मेला परिसर के हर संवेदनशील स्थान पर तैनात किया गया है। इसके अतिरिक्त पूरे मेला क्षेत्र में ड्रोन कैमरे और हाई-रिज़ॉल्यूशन सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से निगरानी की जा रही है। हर गतिविधि पर कंट्रोल रूम से रियल-टाइम निगरानी की जा रही है ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि को तुरंत रोका जा सके और स्थिति पर पूर्ण नियंत्रण रखा जा सके। यह सभी इंतज़ाम इस बात का प्रमाण हैं कि कैंची धाम न केवल श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी एक आदर्श आयोजन स्थल बन चुका है।

इस बार का कैंची धाम स्थापना दिवस सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं रह गया है, बल्कि यह एक विराट भक्ति यात्रा का रूप ले चुका है, जिसमें श्रद्धा और समर्पण की मिसाल देखने को मिल रही है। इस आयोजन में न सिर्फ हजारों-लाखों भक्तों ने अपनी गहरी आस्था के साथ भागीदारी की है, बल्कि प्रशासन और सुरक्षा बलों ने भी इसे पूरी तरह सफल बनाने में दिन-रात एक कर दिया है। हर कोई अपने-अपने स्तर से इस महाआयोजन को सफल बनाने में जुटा है। बाबा नीम करौली महाराज के प्रति लोगों की अगाध श्रद्धा ने इस आयोजन को केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि प्रबंधन, अनुशासन और आस्था का अनुपम संगम बना दिया है। श्रद्धा, सेवा और समर्पण का यह सुंदर संगठित स्वरूप, कैंची धाम के इतिहास में एक नई और भव्य छवि जोड़ चुका है।

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