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उत्तराखंड रोडवेज की बड़ी लापरवाही: बीच रास्ते में बस खराब, यात्री बेहाल – कब जागेगा प्रशासन?

यात्रियों को बीच रास्ते में छोड़ा, न कोई मदद, न बैकअप – आखिर कब सुधरेगा उत्तराखंड परिवहन निगम?

रामनगर। यह मामला उत्तराखंड परिवहन निगम की कार्यप्रणाली पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। रामनगर से सिरसा जा रही रोडवेज बस के नहटौर के पास अचानक खराब हो जाने से यात्री बड़ी मुश्किल में पड़ गए। लेकिन असल समस्या यह नहीं थी कि बस खराब हो गई, बल्कि इससे भी अधिक गंभीर बात यह थी कि बस चालक और परिचालक ने यात्रियों की कोई मदद नहीं की। एक तरफ सरकार यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने के दावे करती है, दूसरी ओर इस तरह की घटनाएं इन दावों की पोल खोल देती हैं।

यात्रियों को उनके गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचाने की कोई व्यवस्था करने की बजाय, ड्राइवर और कंडक्टर ने उनसे साफ शब्दों में कह दिया कि वे खुद ही कोई दूसरा साधन ढूंढ लें। इतना ही नहीं, पैसे लौटाकर वे मौके से अलग हो गए, जिससे यात्रियों को असहाय छोड़ दिया गया। यह सोचने वाली बात है कि क्या उत्तराखंड परिवहन निगम की यही नीति है? क्या यदि कोई बस बीच रास्ते में खराब हो जाए, तो यात्री अपने भाग्य के भरोसे छोड़ दिए जाएंगे? परिवहन निगम की इस लापरवाही ने न केवल यात्रियों की परेशानी बढ़ाई, बल्कि उनकी सुरक्षा को भी खतरे में डाल दिया।

इस घटना में सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं और छोटे बच्चों को झेलनी पड़ी। रात के अंधेरे में सुरक्षित सफर की कोई व्यवस्था न होने के कारण यात्रियों को भटकना पड़ा, लेकिन रोडवेज प्रबंधन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। यह कोई पहली बार नहीं हुआ है, बल्कि उत्तराखंड रोडवेज में इस तरह की लापरवाही आम हो चुकी है। बसों का रखरखाव नाममात्र का रह गया है, किसी भी रूट पर आपातकालीन बैकअप व्यवस्था नहीं है और यात्रियों की शिकायतों को अनसुना कर दिया जाता है। यह स्थिति दर्शाती है कि प्रशासन यात्रियों की परेशानियों को गंभीरता से लेने को तैयार ही नहीं है।

यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी रोडवेज प्रशासन की होती है, लेकिन इस मामले में स्पष्ट रूप से उनकी लापरवाही सामने आई है। बसों की नियमित जांच नहीं होने के कारण ही इस तरह की समस्याएं उत्पन्न होती हैं। अगर समय पर मेंटेनेंस किया जाए और हर रूट पर बैकअप बसों की व्यवस्था रखी जाए, तो इस तरह की समस्याओं से बचा जा सकता है। लेकिन उत्तराखंड परिवहन निगम यात्रियों की सुविधा से ज्यादा अपने मुनाफे पर ध्यान देता दिख रहा है। यात्रियों की परेशानियां, उनकी सुरक्षा, उनकी सुविधाकृइन सभी बातों से प्रशासन बेपरवाह नजर आ रहा है।

अब बड़ा सवाल यह है कि सरकार इस लचर व्यवस्था पर कब तक चुप्पी साधे रहेगी? क्या इस लापरवाही पर कोई सख्त कार्रवाई होगी, या फिर आम जनता को यूं ही परेशानी उठानी पड़ेगी? उत्तराखंड परिवहन निगम की बदहाल व्यवस्था कब तक यात्रियों की मुश्किलें बढ़ाती रहेगी? परिवहन मंत्री को इस पर जवाब देना चाहिए कि आखिर कब तक रोडवेज यात्री इस अव्यवस्था का शिकार बनते रहेंगे। अगर सरकार सच में जनता की परेशानियों को लेकर गंभीर है, तो उसे तुरंत प्रभावी कदम उठाने होंगे। बसों के रखरखाव, इमरजेंसी बैकअप और यात्रियों की सुरक्षा पर ध्यान देना अनिवार्य है। यदि सरकार और परिवहन विभाग इस ओर ध्यान नहीं देंगे, तो यात्रियों को रोजाना इसी तरह की मुसीबतों से जूझना पड़ेगा। जनता को अब अपनी आवाज उठानी होगी, ताकि इस लापरवाही के खिलाफ ठोस कार्रवाई हो सके और भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं।

उत्तराखंड परिवहन निगम की इस लापरवाही को अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि एक गंभीर समस्या है जो यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा से जुड़ी है। अगर आज इसे अनदेखा किया गया, तो कल फिर कोई बस बीच रास्ते में खराब होगी, और यात्री अपने हाल पर छोड़ दिए जाएंगे। यह न सिर्फ प्रशासन की उदासीनता दिखाता है, बल्कि यात्रियों के प्रति गैर-जिम्मेदाराना रवैया भी उजागर करता है। आम जनता को अब अपनी आवाज बुलंद करनी होगी, ताकि ऐसे मामलों पर उचित कार्रवाई हो। सरकार और परिवहन विभाग को इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए ठोस कदम उठाने होंगे। बसों के नियमित रखरखाव, इमरजेंसी बैकअप और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सख्त नियम लागू करने होंगे। जब तक जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक ऐसी घटनाएं दोहराई जाती रहेंगी और यात्री इसी तरह परेशान होते रहेंगे।

यह घटना सिर्फ एक एकाकी मामला नहीं है, बल्कि उत्तराखंड परिवहन निगम की बदहाल व्यवस्था का स्पष्ट प्रतिबिंब है। यह दर्शाता है कि रोडवेज प्रबंधन अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ रहा है और यात्रियों की सुरक्षा एवं सुविधा को अनदेखा कर रहा है। अगर ऐसी स्थिति बनी रही, तो यात्रियों की मुश्किलें बढ़ती ही जाएंगी। सरकार को इस अव्यवस्था पर तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए और रोडवेज प्रणाली में सुधार लाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। बसों का नियमित रखरखाव, इमरजेंसी बैकअप और यात्रियों के लिए बेहतर सुविधाओं की व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए। आखिरकार, यात्री ही इस सेवा के उपभोक्ता हैं और उनकी सुरक्षा सर्वाेपरि होनी चाहिए। यदि रोडवेज प्रशासन अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाता, तो सरकार को सख्त कार्रवाई करनी होगी, ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही दोबारा न हो और यात्री निर्भय होकर सफर कर सकें।

इस खबर को अधिक से अधिक साझा करें ताकि जिम्मेदार अधिकारियों तक यह मामला पहुंचे और इस लापरवाही पर जल्द से जल्द कार्रवाई हो। अगर आज इसे नजरअंदाज किया गया, तो भविष्य में भी ऐसी घटनाएं दोहराई जाती रहेंगी, और आम जनता को बार-बार परेशानी उठानी पड़ेगी। यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा से समझौता नहीं किया जा सकता। यदि जनता अपनी आवाज नहीं उठाएगी, तो परिवहन विभाग और सरकार इसे गंभीरता से नहीं लेंगे। रोडवेज प्रबंधन की मनमानी और गैर-जिम्मेदाराना रवैया कब तक चलता रहेगा? जरूरत है कि इस लापरवाही के खिलाफ आवाज बुलंद की जाए और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की जाए। आम लोगों की समस्याओं को अनदेखा नहीं किया जा सकता, और जब तक ठोस कदम नहीं उठाए जाते, तब तक ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति होती रहेगी।

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