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दक्षिण-पूर्व एशिया में भूकंप का कहर म्यांमार और थाईलैंड में तबाही अफगानिस्तान भी दहला

भूकंप के भीषण झटकों से म्यांमार और थाईलैंड में तबाही सैकड़ों इमारतें ढहीं, अफगानिस्तान में भी हड़कंप

काबुल। शुक्रवार की रात म्यांमार और थाईलैंड में विनाशकारी भूकंप के झटकों ने तबाही मचा दी। नेशनल सेंटर ऑफ सीस्मोलॉजी (एनसीएस) की रिपोर्ट के अनुसार, म्यांमार में आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 7.7 मापी गई, और कुछ ही मिनटों बाद 6.4 तीव्रता का आफ्टरशॉक दर्ज किया गया। म्यांमार के सागैंग शहर के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र को इसका सबसे अधिक प्रभाव झेलना पड़ा। इस भूकंप से 150 से ज्यादा लोगों की जान चली गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए। दूसरी ओर, थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में भी भूकंप के असर से इमारतें ध्वस्त हो गईं, जिसमें 10 लोगों की मौत की खबर सामने आई है। इस विनाशकारी घटना के चलते म्यांमार और थाईलैंड के कई इलाकों में सैकड़ों इमारतें जमींदोज हो गईं, जिससे जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। राहत और बचाव कार्य तेजी से किए जा रहे हैं, लेकिन स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है।

शनिवार सुबह अफगानिस्तान भी धरती के हिलने के अहसास से अछूता नहीं रहा। वहां सुबह 5रू16 बजे (आईएसटी) भूकंप के झटके दर्ज किए गए, जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.7 मापी गई। विशेषज्ञों के अनुसार, इसका केंद्र 180 किलोमीटर की गहराई में स्थित था। हालांकि, फिलहाल इस भूकंप से किसी तरह के नुकसान की सूचना नहीं मिली है, लेकिन अफगानिस्तान में आए इस झटके ने वहां के लोगों में दहशत भर दी। दूसरी ओर, म्यांमार में शुक्रवार रात 11रू56 बजे (स्थानीय समय) फिर भूकंप आया, जिसकी तीव्रता 4.2 दर्ज की गई। भूकंप का केंद्र धरती के 10 किलोमीटर नीचे था। यह झटका अपेक्षाकृत कम तीव्रता का था, लेकिन लगातार आ रहे झटकों से स्थानीय लोगों के बीच भय का माहौल बना हुआ है।

इस आपदा को देखते हुए चीनी सरकार ने भी मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने 37 सदस्यीय आपदा प्रतिक्रिया दल को म्यांमार भेजा है। यह दल युन्नान से भेजा गया है और इसके साथ भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली, ड्रोन और पोर्टेबल उपग्रहों सहित आपातकालीन बचाव उपकरणों के 112 सेट भी भेजे गए हैं। चीन की इस पहल से म्यांमार में चल रहे राहत कार्यों में तेजी आने की उम्मीद की जा रही है।

इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस त्रासदी पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि अमेरिका म्यांमार की सहायता करेगा। पत्रकारों से बातचीत के दौरान ट्रंप ने कहा कि इस भूकंप ने म्यांमार और थाईलैंड में जो तबाही मचाई है, उसे देखकर अमेरिका मदद के लिए आगे आएगा। उन्होंने आगे कहा कि गिरी हुई इमारतों, टूटे हुए पुलों और बर्बाद हो चुकी सड़कों की जो तस्वीरें सामने आई हैं, वे दिल दहला देने वाली हैं। यह बयान म्यांमार और थाईलैंड के लिए राहत की उम्मीद जगा सकता है, क्योंकि इन देशों को अब अंतरराष्ट्रीय सहायता की सख्त जरूरत है।

इस बीच, थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में भी स्थिति काफी भयावह बनी हुई है। वहां भूकंप के झटकों से एक निर्माणाधीन 30 मंजिला इमारत गिर गई, जिसमें 43 श्रमिक फंस गए। यह हादसा बेहद दर्दनाक था, क्योंकि उस समय साइट पर काम कर रहे श्रमिकों को बाहर निकलने का मौका ही नहीं मिला। राहत और बचाव दल मौके पर जुटे हुए हैं, लेकिन मलबे में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालना चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। स्थानीय प्रशासन ने बताया कि इस हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि कई लोग अभी भी मलबे में दबे हुए हैं।

कुल मिलाकर, यह भूकंप दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए एक बड़े संकट के रूप में सामने आया है। म्यांमार, थाईलैंड और अफगानिस्तान में आए इन भूकंपों ने न केवल सैकड़ों लोगों की जान ली है, बल्कि इन देशों में बुनियादी ढांचे को भी भारी नुकसान पहुंचाया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अभी आफ्टरशॉक्स का खतरा बरकरार है, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है। म्यांमार और थाईलैंड में राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है, लेकिन इस तबाही से उबरने में लंबा वक्त लग सकता है।

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